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संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
White मातामही मातामहः ग्राम: अहं तत् क्षणं बहु मधुरं मन्ये यः ग्रामे निवसति स्म पन्थाने कृषिक्षेत्राणि,कोष्ठानि च गृहीतः, मया सः क्षणः वास्तवमेव अतीव मधुरः इति ज्ञातम्। पूर्वं यदा मम मातामही मातामहः ग्रामः अहं बाल्यकाले गच्छामि स्म, हिन्दी अनुवाद नाना नानी के गांव वो क्षण ही बड़ा प्यारा लगा करता था जो गांव में बिता करता था पगडंडी पर खेत खलिहानों का जायजा लिया जाता था, सच वो क्षण बड़ा ही प्यारा लगा करता था जब नाना नानी के गांव बचपन में जाना हुआ करता था, ©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru #Po
स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru Po
read moreAnjali Jain
आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है अपनी सुख सुविधाओं के लिए.... फिर स्वयं विवश होती है अपने दुःख और दुविधाओं से...!! ©Anjali Jain आज का विचार 08.12.24 आज का विचार
आज का विचार 08.12.24 आज का विचार
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
हमारी स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक मन बाॅंवरा विधा मन के विचार भाव वास्तविक अस्तु नभो यत्र तरुस्य हृदयपक्षिणः निवसन्
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
स्वलिखित हिन्दी रचना संस्कृत अनुवाद सहित अनुवाद सहित शीर्षक विचित्रः प्रतिद्वन्द्वी . . विधा गहन विचार भाव वास्तविक
read moreVandana Rana
White जो बची मुझमें तेरी उन खुशबूओं से तू कर रिहा है तुझे अब मेरा हाँ अलविदा, अलविदा ©Vandana Rana जो बची मुझमें तेरी उन खुशबूओं से तू कर रिहा है तुझे अब मेरा हाँ अलविदा, अलविदा
जो बची मुझमें तेरी उन खुशबूओं से तू कर रिहा है तुझे अब मेरा हाँ अलविदा, अलविदा
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
Wishing you all happy winter's day Take care your self in coldy days,☺️ भाषा शैली स्वलिखित हिन्दी रचना संस्कृत अनुवाद सहित शीर्षक शीतः शि
read moreAnukaran
White लोग कहते हैं फर्क पड़ता है क्या? जी हाँ ज़नाब फर्क पड़ता है, चाहे वो रिश्ता इंसानियत का हो या दोस्ती का, जब वो कभी मुश्किल में हो, वो भी अपने आप को वही पाता है, सच्चा दोस्त उसे, उस मुश्किल की निकालने के लिये जी तोड़ कोशिश करता है, उस मुश्किल भरे पल को अपने अंदर महशूस करता है। और आप ज़नाब कहते हैं फर्क पड़ता है क्या? हाँ बहुत फर्क पड़ता है। ©Anukaran #good_night लोग कहते हैं फर्क पड़ता है क्या? जी हाँ ज़नाब फर्क पड़ता है, चाहे वो रिश्ता इंसानियत का हो या दोस्ती का, जब वो कभी मुश्किल में हो,
#good_night लोग कहते हैं फर्क पड़ता है क्या? जी हाँ ज़नाब फर्क पड़ता है, चाहे वो रिश्ता इंसानियत का हो या दोस्ती का, जब वो कभी मुश्किल में हो,
read moreRameshkumar Mehra Mehra
White बेशक मै.................... तुम्हारी जिंदगी का बो गुलाब नही....! जो तुम्हारी जिंदगी को महका देता..!! लेकिन हाँ......!!! मै तुम्हारी जिंदगी का बो पेड जरूर था..!!! जिसकी छाँव मे तुम आपने जीबन की...!!!! हर तपिश से मुक्त हो सकती थी....!!!!! अफसोस,तुम समझ ना सकी....💓 ©Rameshkumar Mehra Mehra # बेशक मै..... तुम्हारी जिंदगी का बो गुलाब नही,जो तुम्हारी जिंदगी को महका देता,लेकिन हाँ,मै तुम्हारी जिंदगी का बो पेड जरुर था,जिसकी छाॅब मे
# बेशक मै..... तुम्हारी जिंदगी का बो गुलाब नही,जो तुम्हारी जिंदगी को महका देता,लेकिन हाँ,मै तुम्हारी जिंदगी का बो पेड जरुर था,जिसकी छाॅब मे
read mores गोल्डी
बेशक मैं - तुम्हारी ज़िंदगी का वो गुलाब नहीं जो तुम्हारी ज़िंदगी को महका देता लेकिन हाँ.... मैं तुम्हारी ज़िंदगी का वो पेड़ ज़रूर था जिसकी छाँव में तुम अपने जीवन की हर तपिश से मुक्त हो सकते थे अफ़सोस , तुम समझ न सके !! 🩶✨ ©s गोल्डी बेशक मैं - तुम्हारी ज़िंदगी का वो गुलाब नहीं जो तुम्हारी ज़िंदगी को महका देता लेकिन हाँ.... मैं तुम्हारी ज़िंदगी का वो पेड़ ज़रूर था जिसकी छाँ
बेशक मैं - तुम्हारी ज़िंदगी का वो गुलाब नहीं जो तुम्हारी ज़िंदगी को महका देता लेकिन हाँ.... मैं तुम्हारी ज़िंदगी का वो पेड़ ज़रूर था जिसकी छाँ
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