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Devesh Dixit
शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।। जोड़-जोड़ कर शब्द को, देता मैं आयाम। राज हृदय में वह करे, हो मेरा भी नाम।। जन जन तक पहुँचे कभी, ये मेरे अरमान। पुस्तक का मैं रूप दूँ, शब्दों में उत्थान।। शब्दों की माया बड़ी, ये सबको अनुमान। कुछ इससे हैं सीखते, पाते भी सम्मान।। गलत तरीके से करें, शब्दों का उपयोग। होता भी नुकसान है, कब समझेंगे लोग।। झगड़ों का कारण यही, अब समझो नादान। शब्दों का यह जाल है, कहते सभी सुजान।। शब्दों से जो खेलते, उनको ही है बोध। उचित चयन उसका करें, करते देखो शोध।। ....................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #शब्द #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।।
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read moreपंच_भाषी_लेखिका_तरुणा_शर्मा_तरु
शीर्षक कैसा गुनाह कोणत्या प्रकारचा गुन्हा विधा वास्तविक भाव शायरीनुमा Real pic converd Al मुलीचे चारित्र्य असणे हा काय गुन्हा आहे आणि भव #Life #Emotions #Trending #बेटी #poetrycommunity #indianwriter #मराठी #tarukikalam25
read moreBhanu Priya
मैं बहना चाहूं , काश ये नदी ले जाए मुझको , अर्द्धशीश डूबें तरंगनी में , खेलूं उन तरंगों से , सरिता तुम्हारा वारि , मुझको शांत कर दे , देह को छूती शीतल लहरें , जीवन में उत्साह भर दें , मैं बहती रहूं , कोई किनारा न मिलें , अनंत अंबर को देखूं महकती धरा से , नयनों की तृप्ति हो जाए , उड़ान भरते विहग , मुझको भी सागर तक ले जाए । ©Bhanu Priya मैं बहना चाहूं , काश ये नदी ले जाए मुझको , अर्द्धशीश डूबें तरंगनी में , खेलूं उन तरंगों से , सरिता तुम्हारा वारि , मुझको शांत कर दे , देह को
मैं बहना चाहूं , काश ये नदी ले जाए मुझको , अर्द्धशीश डूबें तरंगनी में , खेलूं उन तरंगों से , सरिता तुम्हारा वारि , मुझको शांत कर दे , देह को #Poetry
read moreHimanshu Prajapati
लाखों मिले फिर भी उसका ही आस है, वह मिल जाए तो फिर सब कुछ ही खास है, ढूंढ रहा हूं उसे जिसे देखते ही मिलें मेरे दिल और मेरी दुनिया को सुकून, बस ऐसे ही एक शख्स की तलाश है..! ©Himanshu Prajapati #lovetaj लाखों मिले फिर भी उसका ही आस है, वह मिल जाए तो फिर सब कुछ ही खास है, ढूंढ रहा हूं उसे जिसे देखते ही मिलें मेरे दिल और मेरी दुनिया क
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White दोहा संतो की वाणी सुनो , सब जन करके ध्यान । हो जायेगा नष्ट सब , सारा तम अभिमान ।। जीवों को आहार मत , बनने दो भगवान । बरसाओ इन पर कृपा , मानव को दो ज्ञान ।। प्रकृति मोह सबमें रहे , चाहूँ मैं वरदान । तेरी माया के बिना , यह जग है अज्ञान ।। अब तो नंगे नाँच से , जगत रहा पहचान । अंग-अंग रहता खुला , कहता ऊँची शान ।। बदन सभी ले ढाँक हम , वसन मिलें दो चार । वह भी फैशन में छिने , अब सब बे अधिकार ।। मातु-पिता अब दूर हैं , सास-ससुर अब पास । भैय्या-भाभी कुछ नहीं , साला-साली खास ।। जीवन के हर मोड़ पर , दिया तुम्हीं ने घात । अब आकर तुम कर रहे , मुझसे प्यारी बात ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा संतो की वाणी सुनो , सब जन करके ध्यान । हो जायेगा नष्ट सब , सारा तम अभिमान ।। जीवों को आहार मत , बनने दो भगवान । बरसाओ इन पर कृपा , म
दोहा संतो की वाणी सुनो , सब जन करके ध्यान । हो जायेगा नष्ट सब , सारा तम अभिमान ।। जीवों को आहार मत , बनने दो भगवान । बरसाओ इन पर कृपा , म #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White दोहा :- संतो की वाणी सुनो , सब जन करके ध्यान । हो जायेगा नष्ट सब , सारा तम अभिमान ।। जीवों को आहार मत , बनने दो भगवान । बरसाओ इन पर कृपा , मानव को दो ज्ञान ।। प्रकृति मोह सबमें रहे , चाहूँ मैं वरदान । तेरी माया के बिना , यह जग है अज्ञान ।। अब तो नंगे नाँच से , जगत रहा पहचान । अंग-अंग रखकर खुला , कहता ऊँची शान ।। बदन सभी ले ढाँक हम , वसन मिलें दो चार । वह भी फैशन में छिने , हमसे सब अधिकार ।। मातु-पिता अब दूर हैं , सास-ससुर अब पास । भैय्या-भाभी कुछ नहीं , साला-साली आस ।। जीवन के हर मोड़ पर , दिया तुम्हीं ने घात । अब आकर तुम कर रहे , मुझसे प्यारी बात ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR संतो की वाणी सुनो , सब जन करके ध्यान । हो जायेगा नष्ट सब , सारा तम अभिमान ।। जीवों को आहार मत , बनने दो भगवान । बरसाओ इन पर कृपा , मानव
संतो की वाणी सुनो , सब जन करके ध्यान । हो जायेगा नष्ट सब , सारा तम अभिमान ।। जीवों को आहार मत , बनने दो भगवान । बरसाओ इन पर कृपा , मानव #कविता
read moreDevesh Dixit
श्रद्धा (दोहे) हिस्सों में अब बट रहीं, कितनी श्रृद्धा आज। आफताब घेरे इन्हें, बन कर के वो बाज।। घटनाओं का सिलसिला, बढ़ता है दिन रात। कहती हैं श्रद्धा सभी, समझो अब जज्बात।। धोखा दूँ माँ बाप को, श्रद्धा करे न पाप। आफताब जैसे मिलें, तब होता संताप।। हो श्रद्धा मन में बहुत, खुश होते भगवान। संकट करते दूर हैं, हों पूरे अरमान।। श्रद्धा जिसमें भी रहे, हो उसका उद्धार। पाप कर्म से दूर हो, बना रहे उद्गार।। श्रद्धा से कोमल बने, मन के अपने भाव। दूजों की पीड़ा दिखे, उभरे उर के घाव।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #श्रद्धा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry श्रद्धा (दोहे) हिस्सों में अब बट रहीं, कितनी श्रृद्धा आज। आफताब घेरे इन्हें, बन कर के वो ब
#श्रद्धा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry श्रद्धा (दोहे) हिस्सों में अब बट रहीं, कितनी श्रृद्धा आज। आफताब घेरे इन्हें, बन कर के वो ब #Poetry #sandiprohila
read moreManish Jakhmi
किसी किसी का किरदार कभी कभी उसे ऐसी परिस्थिति में डाल देता है जहां वह वो सारे किरदार निभाता है जो सबसे उच्च स्तर के होते है परंतु उसे वह नहीं मिल पाता जो उस स्तर (औधा)पर सुविधाएं होती है और औधा तो व्यक्ति को हमेशा सुविधाओ का लाभ उठाने के लिए ही होता है ना? ©Manish Jakhmi किसी किसी का किरदार कभी कभी उसे ऐसी परिस्थिति में डाल देता है जहां वह वो सारे किरदार निभाता है जो सबसे उच्च स्तर के होते है परंतु उसे वह नही
किसी किसी का किरदार कभी कभी उसे ऐसी परिस्थिति में डाल देता है जहां वह वो सारे किरदार निभाता है जो सबसे उच्च स्तर के होते है परंतु उसे वह नही #कविता #nojohindi #nojoto2021
read moreDevesh Dixit
शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।। जोड़-जोड़ कर शब्द को, देता मैं आयाम। राज हृदय में वह करे, हो मेरा भी नाम।। जन जन तक पहुँचे कभी, ये मेरे अरमान। पुस्तक का मैं रूप दूँ, शब्दों में उत्थान।। शब्दों की माया बड़ी, ये सबको अनुमान। कुछ इससे हैं सीखते, पाते भी सम्मान।। गलत तरीके से करें, शब्दों का उपयोग। होता भी नुकसान है, कब समझेंगे लोग।। झगड़ों का कारण यही, अब समझो नादान। शब्दों का यह जाल है, कहते सभी सुजान।। शब्दों से जो खेलते, उनको ही है बोध। उचित चयन उसका करें, करते देखो शोध।। ....................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #शब्द #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।।
#शब्द #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।। #Poetry #sandiprohila
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