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Archana Tiwari Tanuja
पत्तियां :- जैसे गिरती हैं किसी शाख से पत्तियां, वैसे ज़िंदगी के दिन गिनती उंगलियां। सुकोमल कोपल दरख़्तों पे यूं निकलती, मानो नवजात शिशु की हो किलकारियां। यूं हवाओं संग तुम राब्ता बनाए रखना, घिर आए जो कभी दु:ख की बदलियां। हर शाख झूमता गिरते हैं पत्ते बेबस हो! ऐसे ही तो चलतीं हमारी भी ज़िंदगियां। चमक-चमक के गरज-गरज के भरमाती, डरातीं हैं बहुत कड़कती हुई बिजलियां। दु:ख की बारिशों बाद होगा दिन सुहाना, सुख की हरियाली लाए रंगीन तितलियां। पत्तियों जैसा है संघर्ष हमारे जीवन का, वर्षा,धूप छांव,आंधी और झेले गर्मियां। अर्चना तिवारी तनुजा ©Archana Tiwari Tanuja #Pattiyan #Nojoto #kavita #NojotoHindi #hindiwriters #mythaughts #Virel 30/06/2023 जैसे गिरतीं हैं किसी शाख से पत्तियां, वैसे ज़िंदगी
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी इस सदी में भी बस जन्म लेकर किलकारियां गुंजा पाये है नजरिया बदलकर परवरिश पा पाये है दहलीज पार किया करते जोखिम लेने में बाप भाई डरा करते है मेरी आबरू पर आंच ना आ जाये चौकीदारी मेरी हर समय करते है इन सोचो से नारी कभी बदल पायेगी खुद के बल पर कभी खड़ी हो पायेगी कितने जिहाद झेलती है नारी आधुनिकता की चमक में भी यौन शोषणों का शिकार बनती है नारी प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Alive जन्म लेकर किलकारियां गुंजा पाये है #nojotohindi
Praveen Storyteller
Versha Kashyap
कुछ किलकारियां... हसीं-खुशी में भी सुनाई दे जाती हैं। हर बार इन्हें मातम न समझा जाएं। ©Versha Kashyap #VershaKashyap #Nojoto #किलकारियां #खुशी #love #लव #हिंदी #शुन्य राणा Akhil Kael Shiv Narayan Saxena Anshu writer Satya
अनिता कुमावत
गुम हो गई खुशियाँ मेरी सारी और एक दिन मैं भी दफ़न हो जाउँगी यही कहीं .... आज ये मकान उजड़ गया है। लेकिन कभी ये भी आबाद था। इसमें भी ख़ुशियों की किलकारियां गूँजती थीं। #मकान #collab #yqbaba #YourQuoteAndMine Collabo
सुसि ग़ाफ़िल
दो नजरों से देखता हूं तो दुनिया बेहतरीन भूल भुलैया दिखती है मुझे एक नजर से देखा तो देखने में आया लोगों की जुबान चलती हुई जैसे चलता है आरा लकड़ियों पर पतंग बनाकर उड़ा दी गई वो बहुत सारी पंक्तियां जो लिखी
Nalini Rupam
एक घर हुआ करता था। वो एक ज़रूरतों से लेस मकाँ नहीं, वो एक ख़ुशियों से भरा घर हुआ करता था। दीवारों पर पूट्टी नहीं, रंग-क़लम के छापे हुआ करते थे। बड़े आलीशान आयने नहीं, दर्पण सा दिल लिए लोग रहा करते थे। थोड़ी मिट्टी हुआ करती थी, थोड़ा पानी हुआ करता था वह एक मकाँ नहीं, प्यारा सा घर हुआ करता था। आज ये मकान उजड़ गया है। लेकिन कभी ये भी आबाद था। इसमें भी ख़ुशियों की किलकारियां गूँजती थीं। #मकान #collab #yqbaba #YourQuoteAndMine Collabo
Sarita Shreyasi
काँच की चार चूड़ियां पहन कर, चार साल की बेटी मेरी इतराती है, फूली नहीं समाती है,इठलाती हुई आती, सूखते होठों पर मुस्कान परोस जाती है, फुदकती, थिरकती ,किलकारियां उसकी क्षुधित आँखों को मीठी दावत दे जाती है। काँच की चार चूड़ियां पहन कर, चार साल की बेटी मेरी इतराती है, फूली नहीं समाती है,इठलाती हुई आती, सूखते होठों पर मुस्कान परोस जाती है, फुदकती,
Sarita Shreyasi
पायल की शोर सुनने को जब सीढ़ियों पर दौड़ जाती थी, तेजी से उतरती दहलीज पार गली में भाग जाती थी, खिलखिलाहट खुल के सर्दी की धूप-सी पसर जाती थी, एक निश्छल हँसी से घर भर की मुस्कान निखर जाती थी। उम्र की उतरती सीढ़ियों पर हमारी खुशी देखने ठहरती थी, हमारी मुस्कान संजोने में उसकी साँस- साँस बिखरती थी, जो खोया सब भूल कर, पूरा जीवन, अंतिम घूँट में पीती, दादी हमारी खुशियों में अपने छोटे बड़े सारे शौक जीती थी। काँच की चार चूड़ियां पहन कर, चार साल की बेटी मेरी इतराती है, फूली नहीं समाती है,इठलाती हुई आती, सूखते होठों पर मुस्कान परोस जाती है, फुदकती,
समय यात्री
सुनाई देती हैं किलकारियाँ अब भी नन्हे कदमों की पदचाप आती है इस मकां में कभी कभी आज ये मकान उजड़ गया है। लेकिन कभी ये भी आबाद था। इसमें भी ख़ुशियों की किलकारियां गूँजती थीं। #मकान #collab #yqbaba #YourQuoteAndMine Collabo