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ARTI DEVI(Modern Mira Bai)
ARTI JI
GoluBabu
Bharat Bhushan pathak
सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी। नयन से बह,चुकी गंगा,न नारी प्राण सुन देगी।। पुरानी रीत होती थी,बहाए चोट पर आँसू। संभल के सुन, रहो पापी,लगेगी मार अब धाँसू।। ©Bharat Bhushan pathak #oddone सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी। नयन से बह,चुकी गंगा,न नारी प्राण सुन देगी।। पुरानी रीत होती थी,बहाए चोट पर आँसू। संभल के सु
theunnamedpoet99
तुम बनारस सा इश्क तो दिखाना अगर मैं गंगा घाट ना हो जाऊं तो फिर कहना। ©theunnamedpoet99 तुम बनारस सा इश्क तो दिखाना अगर मैं गंगा घाट ना हो जाऊं तो फिर कहना।
Sangeeta Kalbhor
काळीज तुटता तुटता.. काळीज तुटता तुटता तुटून जातो माणूस का अन् कशासाठी प्रश्नात अडकतो माणूस वहायचे असते आत्मफूल आत्मा नाही सापडत अंधार करुन भवताली अखंड असतो चाचपडत नशीब म्हणून जयाचे लागेबांधे जो जपतो कमनशिबी बनण्याचे खापर तोच पचवतो प्रेम करुनिया वैकुंठी रिक्त ज्याची ओंजळ भाव तयाचे असतात किती किती प्रांजळ हे राम तुम्ही म्हणता मर्यादाचे कर पालन अपनत्व इच्छा मनी अवगुणांचे व्हावे क्षालन कसे आणि कोठून उधार घ्यावयाचे धैर्य जयाच्या मनी सदैव असतच नाही स्थैर्य काळीज असणाऱ्यांचा काळोख दाटून उरतो प्रेम हवे म्हणूनिया प्रेमाचा रोमरोम थरथरतो त्या वेदनेला कुठून यावी ग्लानी शांततेची काळजाला कला अवगत काळीज जोडण्याची..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #hibiscussabdariffa काळीज तुटता तुटता तुटून जातो माणूस का अन् कशासाठी प्रश्नात अडकतो माणूस वहायचे असते आत्मफूल आत्मा नाही सापडत अंधार करुन
Dk Patil
Shivkumar
Meri Mati Mera Desh मेरी माटी मेरा देश हमारा देश तो जैसे गंगा सागर सा है इसकी माटी तो अति पावन है देवों की भी यह मानस माता है ये धरती मां बंधुत्व भाव ही दिखलाती है गंगा , जमुना और सरस्वती जी वो संगम तट पर बहती नित धारा है सांझ सकरे सिंधु चरण पखारे कश्मीर मुकुट सा लगता प्यारा है मेरी माटी मेरा देश अलग सभी से बोली भाषा और भिन्न यहां गण वेश ये प्रेम से भरा हुआ अनेकता मे एकता का है एकता मे अनेकता का ये संसार यहां है पानी से पत्थर तक सब पूजे जाते हैं कण कण मे भी मेरे प्रभु समझे जाते हैं यहीं से खुलता सतयुग का प्रवेश द्वार है ऋषि मुनियों का अब भी बसता संसार है मुझे मेरी माटी मेरे देश पर गर्व है मुझे इसके विशेष होने पर गर्व है अखिल विश्व को भी समझा सकता हूं क्यों है प्यारी मेरी माटी मेरा देश ©Shivkumar #MeriMatiMeraDesh #Nojoto #nojotohindi मेरी माटी मेरा देश
BROKENBOY
तराशे गये किसी वचन की तरह। मोहब्बत करी हमने फ़न की तरह।। मिट जाते थे गिले शिकवे मिलते ही- वो थी गंगा के आचमन की तरह।। थकन को क्या खूब सुकून देती थी- सोफ़े पर रखे हुए कुशन की तरह। ©BROKENBOY #Tulips तराशे गये किसी वचन की तरह। मोहब्बत करी हमने फ़न की तरह।। मिट जाते थे गिले शिकवे मिलते ही- वो थी गंगा के आचमन की तरह।। थकन को क्या
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सुन रघुवर के रूप हैं । शरण चला जा उनके प्यारे , वह भी तेरे भूप हैं ।। मन को अपने आज सँभालो , उलझ गया है बाट में । सारे तीरथ मन के होते , जो है गंगा घाट में ।। तन के वस्त्र नहीं मिलते तो, लिपटा रह तू टाट में । आ जायेगी नींद तुझे भी , सुन ले टूटी खाट में ।। जितनी मन्नत माँग रहे हो , जाकर तुम दरगाह में । उतनी सेवा दीन दुखी की , जाकर कर दो राह में ।। सुनो दौड़ आयेंगी खुशियाँ , बस इतनी परवाह में । मत ले उनकी आज परीक्षा , वो हैं कितनी थाह में ।। जीवन में खुशियों का मेला , आता मन को मार के । दूजा कर्म हमेशा देता , सुन खुशियां उपहार के ।। जीवन की भागा दौड़ी में , बैठो मत तुम हार के । यही सीढ़ियां ऊपर जाएं , देखो नित संसार के ।। २८/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सु