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वरुण तिवारी ~*मुसाफिरखाना*~
Black मिलकर हमने साथ गढ़े थे,सपनो के सोपान। बीच डगर में टूटा नाता,कैसा यह व्यवधान॥ प्रायः वक्त सिखा ही देता,जीवन की हर सीख। आवश्यकता गहरी जितनी,उतनी महंगी भीख॥ सुखद पलों में दिखे हमेशा,बहुधा सुंदर चित्र। विपदा में जो साथ निभाए,वही हमारा मित्र॥ सुई अगर डोरे से लड़ ले,और ठान ले बैर। फिर दर्जी कैसे सिल पाए,आकर्षक परिधान॥ मिलकर हमने,,,,,, कलह,द्वंद्व से कोमल उर भी,हो जाते पाषाण। जीवन नीरस हो जाता बस,नहीं निकलते प्राण॥ सुख आने पर तरह तरह के,मानव भोगे भोग। दुख में साथ खड़े होते जो,याद नहीं वे लोग॥ आज भावना संग हमेशा,होता है खिलवाड़। अपनों से ही छल कर बैठे,कैसा वह इंसान॥ मिलकर हमने,,,,,, ~वरुण तिवारी ~ ©वरुण तिवारी ~*मुसाफिरखाना*~ #Thinking Chocolate सचिन सारस्वत M.k.kanaujiya Kumar Shaurya RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
गौरव आनन्द श्रीवास्तव
@BeingAdilKhan
जागी है अपने दिल में गुलाबों की आरज़ू, जब मौसम-ए-बहार की हद से गुजर गए चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो, सांसों में मेरी खुशबु बनके बिखर जाते हो, कुछ यूँ चला है तेरे इश्क का जादू, सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो क्या चाहूँ रब से तुम्हें पाने के बाद, किसका करूँ इंतज़ार तेरे आने के बाद, क्यों मोहब्बत में जान लुटा देते हैं लोग, मैंने भी यह जाना इश्क़ करने के बाद ©@BeingAdilKhan #oddone Anshu writer Dr.Mahira khan Neha@Nehit_Enola Chocolate R. Ojha
Mahi
love means a lot , it does not see a wealth , it's see truth and trust ©Mahi #sugarcandy #love❤ #Chocolate
मनोज मानव
@BeingAdilKhan
सफलता की राह में हर कदम पर, आज़माइश है नयी, चुनौती है नयी। जिसने थामा जज्बान से उस लक्ष्य को, उसकी तक़दीर में रंग बहार है। मंजिलें उन्हें मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंख सिर्फ हवा में उड़ान नहीं भरते, जिनकी हिम्मत होती है, वही आसमान छू लेते हैं। ©@BeingAdilKhan #Holi Anshu writer Niaz (Harf) Neha@Nehit_Enola Irfan Saeed Chocolate
@BeingAdilKhan
Life Like कोई मौसम हो भले लगते थे दिन कहाँ इतने कड़े लगते थे ख़ुश तो पहले भी नहीं थे लेकिन यूँ न अंदर से बुझे लगते थे रोज़ के देखे हुए मंज़र थे फिर भी हर रोज़ नए लगते थे उन दिनों घर से अजब रिश्ता था सारे दरवाज़े गले लगते थे रह समझती थीं अँधेरी गलियाँ लोग पहचाने हुए लगते थे झीलें पानी से भरी रहती थीं सब के सब पेड़ हरे लगते थे शहर थे ऊँची फ़सीलों वाले डर ज़माने के परे लगते थे बाँध रक्खा था ज़मीं ने 'अल्वी' हम मगर फिर भी अड़े लगते थे ©@BeingAdilKhan #Lifelike Anshu writer Shalu R Ojha Neha@Nehit_Enola Chocolate