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Ankit Singh
लोग कभी-कभी मनुष्य की पाशविक क्रूरता के बारे में बात करते हैं, लेकिन यह बहुत ही अन्यायपूर्ण है | ©Ankit Singh लोग कभी-कभी मनुष्य की पाशविक क्रूरता के बारे में बात करते हैं, लेकिन यह बहुत ही अन्यायपूर्ण है #animals
Ankit Singh
एक मनुष्य भोजन के लिए जानवरों को मारे बिना जीवित और स्वस्थ रह सकता है, इसलिए, यदि वह मांस खाता है, तो वह केवल अपनी भूख के लिए पशु जीवन लेने में भाग लेता है। ©Ankit Singh एक मनुष्य भोजन के लिए जानवरों को मारे बिना जीवित और स्वस्थ रह सकता है, इसलिए, यदि वह मांस खाता है, तो वह केवल अपनी भूख के लिए पशु जीवन लेने
AwadheshPSRathore_7773
White . बची थी जो शेष जिंदगी उसी को विशेष बनाने के चक्कर में कब यह जीवन भूत से वर्तमान,वर्तमान से भविष्य में कहीं खो गया, पता ही नहीं लगा... तुम्हारा कसकर हाथ पकड़ने की चाह में नमी जिंदगी.. कब सूखी रेत सी हो हाथों से फिसल गई पता ही नहीं लगा न मै..मेँ रही,ना तुम.. तुम रहे तुम्हारी जो जिंदगी थी मैँ..कब -कैसे - क्यूं रास्ते का पत्थर बन गई पता ही नहीं लगा...x कांच के टुकड़ों को क्यूँ हीरोँ का नाम दे...देकर यूं ही सहेजते रहे हम जबकि अपना शीशे सा दिल कब पत्थर हो गया पता ही नहीं लगा.. एक मुलाकात के इंतजार में तुम्हारे ख्यालों को कब कस्तूरी..मृग.. मन..से जिंदगी..ऐ..रुह में उतार लिया... पता ही नहीं लगा.... दीवारों को दर्द सुनाते सुनाते तन्हा दिल ने तन्हा-तन्हा सी जिंदगी में कब..तन्हा..शहर बसा लिया पता ही नहीं लगा...पता ही नहीं लगा... ©AwadheshPSRathore_7773 #nightthoughts शेष विशेष के जैसे चक्की के दो पाटों के बीच फंसती यह जिंदगी,किस तरह सादे मनुष्य से उसके जीवन की सारी सादगी छिन लेती है और अंतत
Satish Gambhir
तुम आत्मा हो शरीर नहीं हो यह बात मान जाओ और इस आत्मज्ञान आधारित जीवन जियो तो भी कल्याण हो जाएगा स्वामी रामसुखदास जी तथा कृपालु जी महाराज ने कहा ©Satish Gambhir #boatclub #जागो मनुष्य जागो आंदोलन
Altaf Raza
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. मनुष्य कर्म से महान होता है, जन्म से नहीं। ©Altaf Raza #quaotes मनुष्य कर्म से महान होता है,
Anurag Vishwakarma
Jai shree ram Chapter 3, verse 34 इन्द्रियस्येन्द्रियस्यार्थे रागद्वेषौ व्यवस्थितौ। तयोर्न वशमागच्छेत्तौ ह्यस्य परिपन्थिनौ॥ ३-३४ Transliteration: indriyasyendriyasyārthe rāgadveṣau vyavasthitau। tayorna vaśamāgacchettau hyasya paripanthinau॥ 3-34 Hindi Translation: इन्द्रियइन्द्रिय (अर्थात् प्रत्येक इन्द्रिय) के विषय के प्रति (मन में) रागद्वेष रहते हैं मनुष्य को चाहिये कि वह उन दोनों के वश में न हो क्योंकि वे इसके (मनुष्य के) शत्रु हैं। English Translation: Attraction and repulsion are ordained with regard to the objects of all the organs. One should not come under the sway of these two, because they are his adversaries. Follow for more..✍️ Like ♥️ ©Anurag Vishwakarma #JaiShreeRam #bhagwatgeeta #learn_English #Love #be_happy #Trending #Nojoto
N S Yadav GoldMine
Meri Mati Mera Desh {Bolo Ji Radhey Radhey} मनुष्य को अनुकूल - प्रतिकूल परिस्थितियों के आने पर सुखी - दु:खी नहीं होना चाहिये; क्योंकि इनसे सुखी - दु:खी होने वाला मनुष्य संसार से ऊँचा उठ कर परम आनन्द का अनुभव नहीं कर सकता। ©N S Yadav GoldMine #MeriMatiMeraDesh {Bolo Ji Radhey Radhey} मनुष्य को अनुकूल - प्रतिकूल परिस्थितियों के आने पर सुखी - दु:खी नहीं होना चाहिये; क्योंकि इनसे
N S Yadav GoldMine
BeHappy {Bolo Ji Radhey Radhey} हर मनुष्य के किसी भी साधन से अन्त:करण में समता आनी चाहिये, समता आये बिना कोई भी मनुष्य सर्वथा निर्विकार नहीं हो सकता। ©N S Yadav GoldMine #beHappy {Bolo Ji Radhey Radhey} हर मनुष्य के किसी भी साधन से अन्त:करण में समता आनी चाहिये, समता आये बिना कोई भी मनुष्य सर्वथा निर्विकार