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Bharat Bhushan pathak
White ओढ़े हिम की श्वेत दुशाला। मोहे गिरि जो नाम हिमाला।। मानें जिसको ताज हिन्द का। रक्षा करता लोक वृंद का ।। ©Bharat Bhushan pathak #Emotional#himalaya#nature ओढ़े हिम की श्वेत दुशाला। मोहे गिरि वो नाम हिमाला।। मानें जिसको ताज हिन्द का। रक्षा करता लोक वृंद का ।।
Shivkumar
महागौरी उपासना, अष्टम दिवस विधान I सारे पूजन कार्य में, सफ़ेद रंग प्रधान II . श्वेत-कुंद के फूल-सा, माँ गौरी का रंग I श्वेत शंख व चन्द्र सजे, आभूषण बन अंग II . दाएं नीचे हाथ में धारण करे त्रिशूल I डमरू बाएँ हाथ में, वस्त्र शान्ति अनुकूल II . माँ की मुद्रा शांत है, और चार हैं हाथ I बैल, सिंह वाहन बने, रहते उनके साथ II . आठ वर्ष की आयु में, देवी का अवतार I जो इनका पूजन करे, उसका बेडा पार II . शुम्भ-निशुम्भ प्रकोप से, साधु संत थे त्रस्त I माँ गौरी आशीष-पा, दिखे सभी आश्वस्त II . शक्ति स्वरूपा कौशिकी, माँ गौरी का अंश I दैत्यों शुम्भ-निशुम्भ का, अंत किया था वंश II . दान नारियल का करें, काला चना प्रसाद I माँ है मंगल दायिनी, दूर करे अवसाद II . माँ गौरी की हो कृपा, मिटते सारे कष्ट I कल्मुष धुल जाते सभी, होते पाप विनष्ट II . गौरी के आशीष से, पिण्ड छुडाते पाप I जब श्रद्धा से पूजते, मिटते तब संताप II . हमेशा साधु-संत का, यह अटूट विश्वास I माँ में अमोघ शक्ति तो, दुःख न भटके पास II . महिला चुनरी भेंट कर, प्राप्त करें आशीष I गौरी के दिन अष्टमी, सभी नवाएँ शीश II ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #नवरात्रि // देवी महागौरी // #महागौरी #उपासना , अष्टम दिवस विधान I सारे पूजन कार्
Dinesh Sharma Jind Haryana
जुबां पर हिंदी और दिल में हिंदुस्तान रखते हैं ©Dinesh Sharma Jind Haryana जय हिन्द
Rameshkumar Mehra Mehra
राजगुरु भगतसिंह खुखदेब आओ झुककर सलाम करे उनको...! जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है....!! खुशनसीब होता है बो खून,जो देश के काम आता है....!!! 23 मार्च शहीद दिबस,अमर शहीदों को भाबपूर्णा,श्रद्धांजलि एंब शृत शृत नमन..!!! !! जय हिन्द जय भारत !! ©Rameshkumar Mehra Mehra #shaheeddiwas 23 मार्च अमर शहीदों की भाबपूर्णा,श्रद्धांजलि एंबेसडर शृत शृत नमन जय हिन्द जय भारत.....
राधे राधे
हजारों दर्द दमन में छुपाए हुए क्या बीती होगी उस मां पर जिसके आंखो के तारे घर लौट के जब वापस ना आए होंगे भारत के उन वीर सपूतों को सत सत नमन ©Sonu Yadav #shaheeddiwas जय हिन्द
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२ लगाओ खूब नारे हिंद के अब । यहाँ कोई भी यूनानी नहीं है ।। ३ जरा सा हौसला करके तो देखो । कोई भी दरिया तूफ़ानी नहीं है ।।४ तुम्हीं से पूछने आये चले हम । हमीं पे क्यूँ मेहरबानी नहीं है ।।५ चुनावी खेल चालू हो गये तो । दिखा कोई भी अभिमानी नहीं है ।।६ लगे आरोप झूठे सैनिकों पे । हमारा देश बलदानी नहीं है ।।७ अदब से सर झुकाते हैं उन्हें बस । प्रखर की वह महारानी नहीं है ।।८ १२/०३ २०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
🙋Womensday😏 "शमा"ये कैसा मुआश्रा है..? बेटी की विलादत पर मुंह बिचकाने वाले खुदके लिए खूबरू बीवी की हसरत लिए फिरते है.... बेशुमार लानत उस दरों दयार पर जिस घर में औरत खुश नही,के खामखां लोग उसकी झूठी मसर्रत लिए फिरते है... मुआश्र्रे की चाहते पिसर ने औरत को दोयम दर्जा है दिया ,और त ही वो हस्ती है बिन जिसके आदमजात वंश की फितरत लिए फिरते है... न दे सका ये मुआश्रा औरत को दर्जा ए ऊरूज,के ढालक र अपनी मन मर्जी के मुताबिक खुदकी सहूलत लिए फिरते है... हर दौर में बसाया गया औरत को किस्से में गजल मे,बहर में, रदीफ में,काफिया में,बस एक दिल में नहीं बसाने की हुज्जत लिए फिरते है.... #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #womeninternation🙋Womensday😏 "शमा"ये कैसा मुआश्रा है..? बेटी की विलादत पर मुंह बिचकाने वाले खुदके लिए खूबरू बीवी की हसरत लिए फिरते है.... ब
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- राज नेता बना दूँ अगर तुम कहो । तख़्त ये भी दिला दूँ अगर तुम कहो ।। वंश हो तुम हमारा तुम्हारे लिए । जान अपनी लुटा दूँ अगर तुम कहो ।। लूटा कैसे है आवाम को मैं यहाँ । राज़ सारे बता दूँ अगर तुम कहो ।। वोट सारे मिलेंगे तुम्हें ही सुनों । बात लिख के दिला दूँ अगर तुम कहो ।। काम थोड़ा करूँ और चर्चा बहुत । नाम ऐसे उठा दूँ अगर तुम कहो ।। गाँव घर को जला सेंक दूँ रोटियां । स्वाद उनका चखा दूँ अगर तुम कहो ।। लड़ पड़ेंगे सभी मूर्ख है ये प्रखर । एक ट्रेलर दिखा दूँ अगर तुम कहो ।। ०३/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- राज नेता बना दूँ अगर तुम कहो । तख़्त ये भी दिला दूँ अगर तुम कहो ।।