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Radhe Radhe

शेर

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शेर शेर है शांत पर लाचार नहीं 
जय श्री राधे

©Radhe Radhe शेर

TAHIR CHAUHAN

VIKHYAT REKWAR

#माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़

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White माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़ लीजिए, पढ़िए माँ पर बेहतरीन शेर देवनागरी, रोमन और उर्दू में सिर्फ़ रेख़्ता पर.

©VIKHYAT REKWAR #माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़

VIKHYAT REKWAR

#माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़

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White माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़ लीजिए, पढ़िए माँ पर बेहतरीन शेर देवनागरी, रोमन और उर्दू में सिर्फ़ रेख़्ता पर.

©VIKHYAT REKWAR #माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़

विष्णु कांत

White मैं निकल चला हूं समंदर की सैर पर,
नंगे पांव मेरे खुरेदार पत्थरों से नहीं टकराते,
अब छाले भी नहीं पड़ते पांव पर।

©विष्णु कांत #समंदर

F M POETRY

#ऐ समंदर...

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ऐ समंदर तू मेरे दिल में लगी आग बुझा दे..

अगर आग न बुझे तो तू मुझे ही मिटा दे..


यूसुफ़ आर खान..

©F M POETRY #ऐ समंदर...

Kavi Himanshu Pandey

समंदर... #beingoriginal Hindi

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चाँद तारे तोड़ लाना आसमान से यदि इतना आसान होता, तो हर कोई ना तोड़ लाता, 
समंदर लाँघना यदि प्यार में, बच्चों का खेल होता, तो हर कोई ना लाँघ जाता! 
..., Er. Himanshu Pandey

©Kavi Himanshu Pandey समंदर... #beingoriginal #NojotoHindi

F M POETRY

#मानता हूँ कि समंदर....

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मानता हूँ कि समंदर भी बड़ा है लेकिन..

तेरे ग़म में बहे अश्कों से बहुत ही कम है..

यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY #मानता हूँ कि समंदर....

Anil Mishra Prahari

#शेर

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White शेर - सा  दहाड़  तुम।

बल असीम पास  रख
लहू, उत्तप्त साँस रख,
प्रचंड  तेज, ताप  से  झुका  खड़ा  पहाड़  तुम
शेर  - सा  दहाड़  तुम ।

हो लौह -पाश तोड़  दे
   तू  उग्र  धार   मोड़   दे, 
अखण्ड ज्योति के लिए तिमिर-चरण उखाड़ तुम
शेर - सा   दहाड़   तुम ।

चुनौतियाँ  हैं  कम   नहीं 
पर  आँधियों में दम नहीं, 
अनर्थ  बात  सोचकर  गला  न  वीर  हाड़   तुम
शेर -  सा    दहाड़    तुम ।

©Anil Mishra Prahari #शेर

डॉ.अजय कुमार मिश्र

समंदर

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White मन्नते मांगते मांगते मुकाम भी मिला तो दरिया के किनारे।
जहां ज्वार भाटा तो आम बात,पीने को मिलता है खारा पानी और सोते हैं रेत के सहारे।
ना हरियाली ना खुशहाली फिर भी शीतलता मिलती है,जल कण के सहारे।
कोई हमें पुकारे या ना पुकारे लेकिन, हर पल हमें पुकारती हैं समंदर से उठती ज्वारें।
हमें हर रात लोरी गा गा कर सुलाती हैं,आकाश की टिमटिमाती तारें।
कितने खुश नसीब हैं हम कि, हर सुबह  हम जगते हैं सूरज के किरणों के सहारे।
हम भूल भी जाएं अपनी चारों दिशाएं,तो हमें दिशाओं की याद दिलाती हैं,समंदर से उठती हवाएं।

©डॉ.अजय कुमार मिश्र समंदर
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