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Ashutosh Mishra
White मैं सड़क पर पड़ा कोई पत्थर नही जो ठोकर मार आगे बढ़ गए पीछे मुड़ कर दे,,,,,,, मेरे सीने में भी एक दिल धड़कता है। अलफ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #Road मैं सड़क पर पत्थर नहीं जो ठोकर मार आगे बढ़ गए पीछे मुड़ कर देख,,,, मेरे सीने में भी एक दिल धड़कता है #सड़क #पत्थर #ठोकर #पीछे #सीने
#Nikita kour
वो ऊंचे पहाड़ों पर हाथ फैलाए खड़े थे। वो बहुत खुश थे कि उसने जो काम हाथ में लिया था, उसमें सफलता मिली। लेकिन अचानक नीचे घाटियों में खड़े लोगों ने उसके सफ़लता को देख बोहोत जल गए और उन्होंने उनके सीने में नहीं, बल्कि उनके चुप्पी पर गोली मार दी ताकि वह आगे कुछ बोल ही न पाए किसी का चुप्पी का फायदा उठाकर तुम उन को दुसरो के आगे मुख साबित कर सकते हो लेकिन किसी के बोले गए शब्दों को गोली नही मार सकते जीतना गोली मारोगे उतना ही ज्यादा शब्द आग की तरह फैलता चला जायेगा क्यूंकि शब्दों से जायदा मौन शोर मचाते हैं ©#Nikita kour #nikita kour वो ऊंचे पहाड़ों पर हाथ फैलाए खड़े थे। वो बहुत खुश थे कि उसने जो काम हाथ में लिया था, उसमें सफलता मिली। लेकिन अचानक नीचे घा
bhim ka लाडला official
Y. B
Yasmin Bano ©Y. B 👦: ❤ये जो तुम रोज चुपके चुपके ❤ ❤लाइन😉 मारते हो न❤ ❤किसी दिन मै पूरा #बिजली विभाग ❤ ❤फेंक के मार दूग
Bharat Bhushan pathak
सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी। नयन से बह,चुकी गंगा,न नारी प्राण सुन देगी।। पुरानी रीत होती थी,बहाए चोट पर आँसू। संभल के सुन, रहो पापी,लगेगी मार अब धाँसू।। ©Bharat Bhushan pathak #oddone सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी। नयन से बह,चुकी गंगा,न नारी प्राण सुन देगी।। पुरानी रीत होती थी,बहाए चोट पर आँसू। संभल के सु
Ganesh joshi खुद को शिक्षित समझकर भगवान को भूलने की कोशिश मत करना
. गुलाल का रंग, गुब्बारों की मार, सूरज की किरणे,खुशियों की बहार, चाँद की चांदनी, अपनों का प्यार, मुबारक हो आपको रंगों का त्योहार ©Ganesh joshi #Holi . गुलाल का रंग, गुब्बारों की मार, सूरज की किरणे,खुशियों की बहार, चाँद की चांदनी, अपनों का प्यार, मुबारक हो आपको रंगों का त्योहार #holi
Devesh Dixit
महँगाई की मार (दोहे) महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल। खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये सुर ताल।। बीच वर्ग के हैं पिसे, देख हुए नाकाम। अब सोचें वह क्या करें, बढ़ा सकें कुछ काम।। फिर भी हैं कुछ घुट रहे, मिला न जिनको काम। महँगाई के दर्द में, जीना हुआ हराम।। चिंतित सब परिवार हैं, दें किसको अब दोष। महँगाई ऐसी बढ़ी, थमें नहीं अब रोष।। विद्यालय व्यवसाय हैं, दिखते हैं सब ओर। शुल्क मांँगते हैं बहुत, पाप करें ये घोर।। मुश्किल से शिक्षा मिले, कहते सभी सुजान। महँगाई की मार है, यही बड़ा व्यवधान।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #महँगाई_की_मार #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi महँगाई की मार (दोहे) महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल। खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये
Ghanshyam Ratre
बिना मौसम कि आसमां में काले बादल छाए हैं। गरज-गरज कर उड़ते तुफान से बरसात आई है।। मानव कि स्वार्थ से प्रकृति के साथ छेड़खानी ने प्रकृति ने अपने रंग दिखा रही है। गर्मी के दिनों में बरसात से प्राणीयों कि जीवन अस्त व्यस्त हो रही है।। ©Ghanshyam Ratre प्रकृति कि मार