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P.Kumar
खून पसीना बहा के हमने तुझको मालामाल किया, थोड़ी विपदा हमपे क्या आयी तुमने हमें बेहाल किया। तुझसे थी उम्मीद बहुत फिर हमने जलना सीख लिया, हम इतने भी बेबस नहीं, खुद पैरो पे चलना सीख लिया। #Migrant
Pranshu Kashyap officials
आपकी महंगी गाड़ी चलाने वाला अक्सर पैदल घर जाता है, करोड़ों की रखवाली करने वाला कभी वक़्त पे पगार नहीं पाता हैं, कभी कभी एक वक़्त भूका रहकर , जो आपको आधे घंटे में पिज़्ज़ा पहुंचाता है, और बारिश में छत टपकती है उसकी,जो आपके लिए बड़ी बड़ी बिल्डिंग बनाता हैं। #migrant
Saurabh Kumar
चल दिए, दिल में उम्मीद लिए, पैरो को हौसलों का पंख लगा था । भूख से आंखे नम थी, हौसलों ने पेट भरा, चल दिए, दिल में उम्मीद लिए। ये शहर नागवार थी, इमारतें आंखे कचोटती ; मंजिले बहुत दूर थी, फिर भी चल दिए, दिल में उम्मीद लिए। साथियों का साथ मिला, कुछ ने सफ़र में साथ छोड़ा, हम रुके नहीं, चल दिए दिल में उम्मीद लिए । सफ़र में आंखे धूमिल हो रही थी, लेकिन, घर बांहे फैलाए इंतजार कर रहा था । चल दिए, दिल में उम्मीद लिए। मंजिले मिल ही जायेगी, आज ना कल, ना मिली तो मोक्ष मिलेगा, बस चलते रहना है, दिल में उम्मीद लिए । ~आनंद #migrant
Sundeepak
था गुमान सड़क को लम्बी होने का ... मज़दूर के हौसले ने पैदल ही नाप दिए... _Sundeepak #migrant workers...
aditya kumar
ईश्वर की ये कोई साज़िश है या कोई दूरदृष्टि है कैसा ये विडंबना और कैसी है ये लीला निकले थे घरों से ये एक नया घर बनाने अपने सपनो के पंखों को नया आयाम देने खुद की पसीनो से इन्होंने अमीरों को सींचा तरक्की दी,खुशियां बाटी,नाम रौशन किया उन्नति,प्रोन्नति, घर,बंगला न जाने क्या-क्या पर जब पड़ी ज़रूरत अमीरों की इन्हें तो पाया बस अवहेलना,भूख,अपमान और तिरस्कार रोटी छोड़ा गांव का,छोड़े वो मिट्टी और रिश्तेदार कर याद अपने देश को,छोड़ा मोहरूपी सँसार था किस्मत इनकी झूठी,और तप इनका बेकार ट्रक,बस,ट्रैन और पैदल लौटे सब लाचार लौट अपने देश को,पुनः पाया तिरस्कार देखे सब हयदृष्टि से,जैसे वे हो जाये बीमार। #migrant labour
MyWorz
After working whole day patching street, she had money only enough to buy a days food for her kid... Nevertheless her face did not fail to blossom a smile That smile which was enough to give a hope to her loved ones.. That smile which was enough to live and love the world That smile which was enough to dare the cruelty and partiality of world... #migrant worker
Chand Ahmed
सभी हो गए बेहाल देखो तो सही हर इक की जान का जंजाल देखो तो हटाओ लाखों का चश्मा तो आएगा नज़र पाँव के छाले, खून से सड़कें लाल देखो तो सही #lockdwon #migrant
Gagan Kamat
#LabourDay पुराने मिलों के खंडहर से उम्मीद तोड़ कर आए है, की बदल पाऊं जो चादर गरीबी की ओढ़ कर आएं है, ऐ पत्थर दिलवाले, तेरे पथरीले शहर को सजाने, अपने गांव की हरी भरी मिट्टी को छोड़ कर आए है, -Gagan Kamat #Migrant Worker