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sujeeta
White जरा किरदार अपना सम्भल कर निभाना हम खोने के बाद दोबारा कभी नही मिलते ©sujeeta जरा संभल कर
Lili Dey
दूर है वो आसमान मेरे करीब तो आए जरा, छूं लू थोड़ा उसे कभी वो इजाज़त मुझे भी दे जरा, काफी है जिंदगी में सब कुछ पर मेरे उड़ान अभी भी बाकी है जरा, लाखों कमियां है मुझमें पर मेरे अंदर की एक खुवियां पता कर लू जरा, दूर है वो आसमान मेरे करीब तो आए जरा... ©Lili Dey करीब आए जरा
Alok Verma "" Rajvansh "Rasik" ""
बनठन कर निकला करो तुम राधे जरा सम्भल सम्भल कर, ये दुनियां करें है नजरों की बैमानी रूप बदल बदल कर, मेरा क्या है मैं तो हूं तेरा देखूं तुझे सम्भल सम्भल कर, मैं तो तेरे भले को सोचूं समझाऊं तुझे हर कदम कदम पर, बनठन कर निकला करो तुम राधे ......................................! जरा सम्भल सम्भल कर.....!
Andy Mann
सभी धर्मों में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में अधिक पूजा पाठ और व्रत उपवास करती हैं फिर भी वे पुरुषों से कहीं ज़्यादा दुख कष्ट क्यों झेलती हैं? ©Andy Mann #जरा सोचिएगा
Andy Mann
देवी #मंदिर में नहीं हमारे #समाज मे हैं औरत की दो टांगो की बीच से पैदा होकर वही इंसान...... उसी की छाती के दो स्तनों से अपनी भूख प्यास मिटाता हैं , बलात्कारी , रेपिस्ट भी वासना की भूख ... इन्ही दो टांगो के बीच ओर उन्ही दो स्तनों से अपनी भूख मिटाने की आशा रखता हैं यदि आप देखने का नजरिया बदल लें तो आप भूख मिटाने का खाना ना समझकर उसे मंदिर की तरह सम्मान , आदर भी कर सकते हैं हमे उसी माँ स्वरूप हर महिला बेटी , हो या बहन, जवान हो या बुजुर्ग, हो उसे मंदिर की तरह हमारे दिमाग मे डाले तो हम उस भगवान को बिना मंदिर जाए भी खुश रख सकते हैं । आजकल हर जगह टीवी मोबाइल इंटरनेट कहीं पर भी देखो या हमारे आसपास लोकल भाषा मे भी हमे यही प्रचार देखने को या सुनने को मिल रहा हैं की ओरत वासना की भूख मिटाने की होटल हैं हमे हमारी सोच को बदलना होगा और कंही पे भी औरत के खिलाफ हो रहे अश्लीलता के प्रचार को रोके ओर उन्हें समझाये ओर खुद भी समझे आये दिन हो रहे बलात्कार ,रेप को हमारे ही समाज के लोगो ने जन्म दिया हैं ( सोच बदलकर गांव/ शहर बदलने वाले कहा गए ? ) ©Andy Mann #जरा सोचिएगा
Andy Mann
*खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो.* *सहारे कितने भी, भरोसेमंद हो, एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं ..!* *इज्जत और तारीफ* *मांगी नही जाती है* *कमाई जाती है* *नेत्र केवल दृष्टि प्रदान* *करते है* *परंतु हम कहाँ क्या देखते है* *यह हमारे मन की भावना* *पर निर्भर है* *शब्द जब तक आपके अंदर है ,* *वह आपके आधीन है और* *मुँह से बाहर आने के बाद आप* *उसके आधीन हो जाते हैं* ©Andy Mann #जरा सोचिए