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Rohit
White inme ye 😝kitne hai 😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛 😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛 😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛 😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛 😛😛😛😛😝😛😛😛😛😛😛😛😛 😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛 comment me btaye.......... ©Rohit #World_Emoji_Day #Emoji #Question #Mind #Test
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read moreAnkita Tiwari
Unsplash जरूरी नहीं है हर सवालों का जवाब बोलकर ही दिया जाए, कुछ सवालो के जवाब शांत रहकर भी दिए जाते हैं।। ©Ankita Tiwari #library #Quote #jawab #Life #Question
sakhi_1310
White मै सोचती बहुत हु तुम मुझे शांत कर पाओगे क्या मै उदास बहुत रहती हु तुम मुझे खुश रख पाओगे क्या मै गुस्सा बहुत जल्दी करती हु तुम सहन कर पाओगे क्या मै रोती बहुत हु तुम मुझे संभाल पाओगे क्या मै चीजों की बहुत शौकीन हु तुम नखरे उठा पाओगे क्या मै हर मुश्किल में अकेले होती हु तुम साथ दे पाओगे क्या मै बीमार बहुत रहती हु तुम ख्याल रख पाओगे क्या मै गलतिया बहुत करती हु तुम माफी माँग पाओगे क्या मुझे सर्दी बहुत लगती है तुम कंबल ओढ़ा पाओगे क्या मुझे खाना पीना बहुत पसंद है तुम मेरे लिए खाना बना पाओगे क्या मुझे घूमना बहुत पसंद है तुम घुमा पाओगे क्या ©sakhi_1310 #Question
Balwant Mehta
डगमगाया हूं पर हारा नहीं, सियासत का खेल है, सारा यही। जीत कर भी मुकाम जो पाया नहीं, एक कदम पीछे, पर दिल घबराया नहीं। कुर्सी की जंग में चली चाल नई, सत्ता के संग दोस्ती भी बेमायनी। नेता जी ने झुककर दिखा दी मिसाल, जनता की खातिर किया हर सवाल। राजनीति में ऊंच-नीच का है खेल, कभी जीत का ताज, कभी हार का मेल। पद पीछे सही, मगर हौसला वही, नेता जी का जज्बा, मिसाल बनी। ©Balwant Mehta #maharashtra #Politics
Ubaida khatoon Siddiqui
politics jab start huyi thi तब भले ही लोगों ने, लोगों की, देश की भलाई के लिए काम किये जाते थे, फिर उसके बाद से politics के नाम पर सिर्फ और सिर्फ politics ही हुई हैं, अपना उल्लू सीधा करने की बस, इन सब में बस मासूमों की जान जाती हैं और कुछ नहीं होता और ना ही कभी होगा , शायद! 😏 5/12/24 08:45 p. m. (U. K.) ✍️ ©Ubaida khatoon Siddiqui #sad_quotes #Ubaidakhatoon #ubaidawrites #Politics
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read moreI.K.Sridhar
White இப்போதெல்லாம் நிறைய தனியார் நிறுவனங்களில் எங்காவது பார்க்கப்போவதை நம்மிடம் இங்கேயே பார்க்கட்டும் என உறவினர்களை பணிக்கு அமர்த்துகிறார்கள். எல்லோரையும் போல அவர்களும் சக பணியாளர்களே...! ஆனால்.. எரிச்சல் அடைய வைக்கிறது.. பணி சார்ந்த நம் சந்தேகங்களுக்கு "சித்தப்பா சொன்னார்.. தம்பியிடம் பேசிக்கொள்கிறேன். அக்காவிடம் கேட்டிருக்கிறேன்... மேலும் மாமா, மாப்பிள்ளை " போன்ற சம்பாஷனைகள். அலுவல் சார்ந்த விஷயங்களில் உறவு முறைகளை உட் கொணர்தல் நாகரீகமான செயல்களன்று. இது எப்போது புரியப்போகிறது இவர்களுக்கு? -ஸ்ரீதர்.ஐ.கே. ©I.K.Sridhar office politics
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