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Ravendra
Ravendra
Kulbhushan Arora
E mail, What's app के ज़माने में, तुम्हारे हाथो से लिखा ख़त का आना, अचानक दशकों की यादों का जाग जाना, शब्दों में लिखा आया करता प्यार, हर दोपहर करते डाकिए का इंतज़ार, ख़त न आने पर यूं मायूस हो जाना, मानो लूट गया हो अपना कोई खज़ाना, उदासी फिर इंतज़ार में बदल जाती, कल आने की उम्मीद से फिर मुस्कुराती, मगर आज की चकाचौंध ने छीन लिया है वो, रोमांच जो इंतज़ार में हुआ करता था, तकनीकों ने पास तो ला दिया हमे दिलों की दूरियों को तो बड़ा दिया है ना E mail, What's app के ज़माने में, तुम्हारे हाथो से लिखा ख़त का आना, अचानक दशकों की यादों का जाग जाना, शब्दों में लिखा आया करता प्यार, हर द
Shree
हवा का नहीं लगता है कोई किराया!! /अनुशीर्षक/ हीरे से भला है सोना क्योंकि उसको आता है पिघलना सोने से भली है चांदी के जानती है सब शीतल करना चांदी से क्या भला है जब सोचा तो मन में आया तां
jagruti vagh
विश्व पर्यावरण दिन की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं _______________________________________________ _______________________________________________ वसुधा की हर एक धड़कन पर्यावरण की मोहताज है
Aparna Singh
मेरे सपनों का भारत //अनुशीर्षक क्योंकि वो स्वप्न बड़ा ही सुंदर है भारतीयता का भाव जिसके अंदर है स्वप्न वो मेरे भारत का है मेरे घर की नई इमारत का है दिल में हिंदुस्तान, जुबा
Divyanshu Pathak
21वीं सदी के इन 20 वर्षों में दुनिया के बाकी 142 देश शानदार प्रगति कर रहे हैं जिनमें - चीन ब्राजील रूस इंडोनेशिया तुर्की केन्या दक्षिण अफ्रीका के साथ हमारा भारत भी शामिल है । इस विकास की हमारे देश ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है। आबादी की बेलगाम बढ़ोतरी और अनियंत्रित अनियोजित औद्योगिकीकरण ने कई शहरों को पर्यावरणीय नर्क बना डाला और तमाम नगर इसी राह पर चल रहे हैं। देश के 88 में से 75 जॉन बुरी तरह प्रदूषित हो चुके हैं और पवित्र नदियों का पानी नहाने लायक भी नहीं बचा है। 💕🙏#नमस्कार 💕🙏 : बढ़ती जनसंख्या के दबाव और अंधाधुंध तरीके से औद्योगिकीकरण व शहरीकरण की मार झेल रहे हमारे देश में इन समस्याओं से निपटने के नाम
Divyanshu Pathak
Good morning friends हाथ में हाथ मेरे थमा तो जरा हम कदम हमको अपना बना तो जरा रँग दुनिया का तुझको समझ आएगा आँख से अपने पर्दा हटा तो जरा कद छोटा सभी का क्यूं दिखता तुम्हें है खड़ा तू कहाँ, ये बता तोजरा लोग हो जाएंगे तेरे अपने सभी तू अपना किसी को बना तो जरा सुनते रहते हैं जिनको सुनाता है तू खुद को खुद की कभी तू सुना तो जरा पास आ जाएगी मंजिलें भी सभी तेज अपने कदम तू चला तो जरा तुम करोगे ना शिकवा गिला कोई भी दर्द में खुद को जीना सिखातो जरा तुमको दिखती है सारे जहां में कमी खुद में हैं कितनी कमियाँ गिना तो जरा अपने स्वतंत्र अस्तित्व को समझने के लिए चिरकाल से लोगों ने प्रयास किए। नई-नई तकनीकों के विकास के आधार पर नए आयामों का स्थापन किया। विज्ञान और
Aparna Singh
मेरे सपनों का भारत //अनुशीर्षक क्योंकि वो स्वप्न बड़ा ही सुंदर है भारतीयता का भाव जिसके अंदर है स्वप्न वो मेरे भारत का है मेरे घर की नई इमारत का है दिल में हिंदुस्तान, जुबा
Vidhi
सृष्टि का विनाश सृष्टि के विनाश की घड़ी आ चुकी थी। सृष्टि की शुरुआत से ही प्रलय की चेतावनियाँ देवलोक में रोजाना प्रसारित होती थीं लेकिन देवलोक में कभी किसी न