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Anuj Ray
White कलेजे की आग" किसी के कलेजे की आग बुझते ही, किसी की रात की चूल्हे की आग जल गई। मिला किसी को कुछ भी नहीं फ़िर भी , दोनों की एक पल के लिए तबियत बहल गई। ©Anuj Ray # कलेजे की आग"
# कलेजे की आग"
read moreAadishakti Shivpriya Parivar
White जय माता दी हर- हर महादेव अधिकतर लोग पित्र दोष से परेशान रहते हैं और भटकते रहते हैं। पित्र दोष निवारण के कुछ सरल उपाय - 1.रोज सुबह उठकर अपने पित्रों को प्रणाम करके गंगा माता के नाम से एक देशी गौमाता के घी या मीठे तेल से दिया जलाकर फल पित्रो को समर्पित करें। 2.महिने की हर अमावस्या को पीपल वृक्ष की 21परिक्रमा करके एक घी का दिया जलाएं। 3.साल में जब भी सोमवार, मंगलवार व शनिवार को अमावस्या आने पर व्रत करके मां पार्वती सहित भगवान शिव की पूजा करके फल पित्रों को दें। 4.पितृपक्ष में व्रत ,उपवास , ब्राह्मण भोजन, दीपदान आदि हम जो भी करते हैं वो पित्रदोष हटाने के लिए काफी कारगर उपाय है। पित्र पक्ष में हर दिन संभव न हो तो अपने पित्रों की तिथि या वो भी ज्ञात न हो तो कम से कम पितृपक्ष में यह उपाय जरूर करें। 5.नित्य गौमाता को रोटी, कुत्ते को रोटी, पक्षियों को दाना, चिटियों को भोजन देने से पित्रदोष मिटता है। ©Aadishakti Shivpriya Parivar पितरदोष निवारण के कुछ कारगर उपाय-#pitradosh #pitrapaksha #poojapath #Shorts आज का विचार /Hinduism
पितरदोष निवारण के कुछ कारगर उपाय-#pitradosh #pitrapaksha #poojapath #Shorts आज का विचार /Hinduism
read moreAnamika Raj
आग अपने ही लगाते है, जिंदगी मे भी... लाश को भी... ☹️ ©Anamika Raj आग अपने ही लगाते है
आग अपने ही लगाते है
read moreParasram Arora
Unsplash ये अच्छी बात हैँ कि बबुल इस किनारे पर था और आग दूसरे किनारे पर भड़की थीं वरना बाबुल को आग निगल जाती अगर दोनों एक ही किनारे पर रहे होते ©Parasram Arora #library आग और बाबुल
#library आग और बाबुल
read moreSumit Kumar
कुछ पुरुष भी जला दिये जाते है उस "दहेज़ की आग" में जो उसने कभी माँगा नहीं होता है.. ©Sumit Kumar दहेज़ की आग और पुरुष.. sad shayari on life
दहेज़ की आग और पुरुष.. sad shayari on life
read moreNina
मैं को मैने... आंसुओं से मैंने मुझको विदा है किया। सुखा कर उन्हे जेब में रुमाल सा सजा लिया। मुस्कुराते हुए मैंने मुझको देख तो लिया, मैं जान न पाया मैंने मुझे दिल था दिया। मैं रोया चमकती आंखों से, नूर बना लिया। मुस्कुराया बुझे अरमानों से, सुख बना लिया। जल उठी वो धरती, वहां मरुस्थल बना लिया। कांटों में फूल खिलाए, नदी से पानी बहा लिया। मैं जाता मुझसे दूर कि सुख से रहना हो लिया। मुझको दूर करना मुझसे ही उचित बना लिया। मैं जान न पाया कब मैंने खुद को शत्रु बना लिया। अजातशत्रु मैने अपना ही प्राण ले लिया।। मेरी दुनिया उजली करने मैने खुद को जला दिया!! ©Nina आग
आग
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