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बेजुबान शायर shivkumar
White // करें योग रहे निरोग // योग हमारे शरीर की मांसपेशियों को सदैव क्रियाशील रखता योग मनुष्य के दिमाग को शांत रखता योग से मानव तनाव रहित रहता योग से बेहतर नींद का सुख पाता ये भूख को बढाये पाचन दूरुस्त रखे योग समाधि चित को शांत रखे योग मनुष्य की आकुलता, कलुषता पीड़ा, चिंता, तनाव को खत्म करता योग शरीर सांस व मन को जोड़ता नित प्रति शारीरिक आसन स्वांस अभ्यास, ध्यान से शरीर स्वस्थ रहता योग के जनक महर्षि पतंजलि कहे गये योग में चौरासी आसन, मुद्राएं होती सबसे उत्तम शीर्षासन, सर्वांगासन और सिद्धासन माने जाते नित योग करने से शरीर लचीला हस्टपुस्ट स्वस्थ रहेगा सुंदर सुडोल स्वस्थ शरीर का राज नित योग के लिए समय निकालो प्रभात भाग दौड़ की जीवन शैली शरीर को अस्वस्थ रोगी बनाती करें योग रहे निरोगी ये नियम अपनाते हैं ।। ©Shivkumar बेजुबान शायर #Yoga #yogaday #International_yoga_day #YogaGoodHealth #yogalife // करें योग रहे निरोग // #योग हमारे शरीर की मांसपेशियों को सदैव क्रिय
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read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द :- जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।। राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।। भरा पेट क्या भरत राज में । रहते हम भी उस समाज में ।। हजम नहीं वह घी कर पाते । छीन निवाले जो है खाते ।। मंदिर-मंदिर करके रोये । पाये तो सीढ़ी पे सोये ।। चुनकर उनको तुम रखवाला । कर बैठे अपना मुँह काला । मार ठहाका जो हैं हँसते । काटें में मछली हैं फँसते ।। देख खुशी ऐसे हर्षाने , स्वयं न छवि अपनी पहचाने ।। अच्छी सीख अवध ने दी है । भूलूं न मैं भीख में दी है ।। शीश नवाता अवध भूमि को । करना चाहूँ नमन भूमि को ।। पुनः लौट जो अवसर आये । तट सरयू दर्शन हम पाये ।। हनुमत खड़े रहे बन प्रहरी । हर इच्छा जो हरि की ठहरी ।। मैं मानूँ सब हरि की माया । हर काया में उनकी छाया ।। मिला प्रसाद हमें प्रभु दर से । पुनः शुरूआत उसी घर से ।। भूल क्षमा हो रघुवर मेरे । दूर करो ये आज अँधेरे ।। तुम ही हो इस जग के स्वामी । माने तुमको अन्तरयामी ।। राम कहाँ कुछ उनके लगते । जो मन चाहे बकते रहते ।। हमने रघुवर को सब माना । महल बने था दिल में ठाना ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :- जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।। राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।। भरा पेट क्या भरत राज में । रहते
चौपाई छन्द :- जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।। राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।। भरा पेट क्या भरत राज में । रहते #कविता
read moreLakshita kumar/Pravesh kumar
कभी हार न माने.. हमेशा भरोसा रखें.. ऊपर वाला आपके साथ हैं.. #Bhakti
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} सभी के साथ विनम्र रहे, पर कुछ ही के साथ अन्तरंग हों, और इन कुछ को अपना विश्वास देने से पहले अच्छी तरह परख लें, और सही समय पर सही बात माने व सही बात कहे, झूट का साथ अपने मतलब के लिए भी साथ न दे।। जय श्री कृष्ण।। ©N S Yadav GoldMine #flowers {Bolo Ji Radhey Radhey} सभी के साथ विनम्र रहे, पर कुछ ही के साथ अन्तरंग हों, और इन कुछ को अपना विश्वास देने से पहले अच्छी तरह पर
Devesh Dixit
काल चक्र (दोहे) काल चक्र है घूमता, समझो इसका सार। देता सबको सीख है, जो माने वह पार।। रचा ईश ने जब इसे, मकसद है कुछ खास। सदुपयोग इसका करें, उनको भी है आस।। काल चक्र के देवता, देते हैं परिणाम। जिसका जैसा कर्म है, वैसा उसको दाम।। काल चक्र बलवान है, कहते सभी सुजान। विमुुख न होना तुम कभी, बनकर के अनजान।। काल चक्र से बच सका, जरा बताओ कौन। मूल्य नहीं क्यों जानते, अभी रहो तुम मौन।। .......................................................... देवेश दीक्षित. ©Devesh Dixit #काल_चक्र #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry काल चक्र (दोहे) काल चक्र है घूमता, समझो इसका सार। देता सबको सीख है, जो माने वह पार।। रचा
#काल_चक्र #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry काल चक्र (दोहे) काल चक्र है घूमता, समझो इसका सार। देता सबको सीख है, जो माने वह पार।। रचा #Poetry #sandiprohila
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत:- डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। डर नहीं इंसान तू अब .... जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे दूर हों । जब शरण उनकी ठिकाना क्यों यहाँ मजबूर हों ।। आस जिसने भी लगाई वो न खाली हाथ है । जो न माने आज इनको वो बड़ा नादान है ।। डर नहीं इंसान तू अब.... राम के ही भक्त है वह राम का ही नाम लें । राम के वह नाम बिन देखो न कोई काम लें ।। राम का तू जाप कर ले राम ही आधार हैं । राम का ही नाम सुनकर खुश सदा हनुमान है ।। डर नहीं इंसान तू अब.... काम इस संसार में कोई हुआ ऐसा नही । दूत दानव दैत्य जो सुन नाम हनु कांपा नही ।। व्यर्थ फिर चिंता तुम्हारी है सुनो संसार में । सब सफल ही काज होंगे जब कृपा हनुमान है ।। डर नहीं इंसान तू अब... जानते हैं लोग भोलेनाथ के अवतार हैं । राम जी का काज करने को सदा तैयार हैं ।। इस जगत में भक्त इनसा सुन जगत में है नही । राम का ही नित्य करते ये सदा गुणगान हैं ।। डर नहीं इंसान तू अब .... डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। २३/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत:- डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। डर नहीं इंसान तू अब .... जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे
गीत:- डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। डर नहीं इंसान तू अब .... जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे #कविता
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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White गीत :- मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक , करो न हमसे बैर । सबको हृदय बसाकर रखता , कहीं न कोई गैर ।। पाँच-साल में जब भी मौका, मिलता आता द्वार । खोल हृदय के पट दिखलाता , तुमको अपना प्यार ।। मानव सेवा करने को अब ... देखो ढ़ोंगी और लालची , उतरे हैं मैदान । उनकी मीठी बातों में अब , आना मत इंसान ।। मुझको कहकर भला बुरा वह , लेंगें तुमको जीत । पर उनकी बातें मत सुनना, होगी तेरी हार । मानव सेवा करने को अब..... सब ही ऐसा कहकर जाते , किसकी माने बात । सच कहते हो कैसे मानूँ , नहीं करोगे घात ।। अब जागरूक है ये जनता ,ये तेरा व्यापार । अपनों को तो भूल गये हो , हमे दिखाओ प्यार ।। मानव सेवा करने को अब .... सच्ची-सच्ची बात बताओ , इस दौलत का राज । मुश्किल हमको रोटी होती , सफल तुम्हारे काज ।। सम्पत्तिन तुम्हारे पिता की, और नहीं व्यापार । हमकों मीठी बात बताकर , लूटो देश हमार । मानव सेवा करने को अब..... मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। २०/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक ,
मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक , #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।। लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है । आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।। १ भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं । दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।। प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में । खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।। २ प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो । प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।। प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते । जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।। ३ प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये । प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।। प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है । प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है ।। ०१/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।
सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । #कविता
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