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somnath gawade
वसा संघर्षाचा असला तरी प्रश्न मस्तकाच्या मशागतीचा आहे. सुपीक मस्तकेच उद्याची हिरवी स्वप्नं घेऊन येतील. संघर्षाच्या लाल रंगा पेक्षा माझ्यासाठी शाश्वत हिरवी स्वप्नं महत्वाची आहेत. #पुस्तकें
J P Lodhi.
किताबें किताबों कुछ कहना चाहती है हम से,। प्रारम्भ से अंत और भूत से लेकर भविष्य के बारे में। सत्य के बारे में,झूठ के बारे में,भलाई और बुराई के बारे दया,धर्म,धैर्य के बारे में,धोखे और फरेब के बारे में। प्रथ्वी,आकाश , पाताल और सूर्य,चन्द्र, तारो के बारे में। गणित,विज्ञान,साहित्य,भूगोल और इतिहास के बारे में। सागर,नदियां,पर्वत ,घाटी और झीलों के बारे में। मर्यादा,सभ्यता,संस्कृति और चरित्र के बारे में। पशु पक्षी,जीव जंतु,और प्रकृति के बारे में। प्यार,मोहब्बत और नफरत घृणा के बारे में। इंसानियत,अहिंसा,उपकार के बारे में। हमारे पास रहकर, सब कुछ सीखाना चाहती है। हमारे पास रहना चाहती है। पुस्तकें ।।
Ganesh Din Pal
🌹😢😢😢😢😢🌹 जब किताबें खुली सड़कों पर बिकने लगे और जूते चप्पल शीशे के अंदर तो इससे दुर्भाग्य की बात और क्या होगी? मैं इलाहाबाद गया और वहां रास्ते में जाते समय मैंने देखा कि तमाम झंझावातों को झेलते हुए ,दुनिया भर के निशान अपने शरीर पर धारण किए हुए जीर्ण-शीर्ण पुस्तकें मुंह खोलें आने जाने वालों की तरफ बड़ी मासूमियत और व्याकुलता से निहार रही थी। ऐसा लग रहा था, जैसे वह कह रही हो क्या अब मैं इसी लायक रह गई हूं। सच बताऊं उनका इस तरह से निहारना दिल को झकझोरने वाला था। मेरे भी आंखों से आंसुओं की एक लड़ी निकल पड़ी। मैंने कुछ पुस्तकें देखी उनमें क्या जज्बात लिखे हुए थे। मैंने सीने से लगा लिया और सोचने लगा इस कौम का क्या होगा जो इस तरह से पुस्तकों की इज्जत की धज्जियां उड़ा रहा है। यही पुस्तकें हमें जीवन की उन ऊंचाइयों को पहुंचाती हैं, जहां से जब हम नीचे देखते हैं तब हम अपने को पहचानने में भी भूल कर जाते हैं। 🌹😢😢😢🌹 जी डी पाल 🌹🌹🌹 ©Ganesh Din Pal पुस्तकें #MereKhayaal
Nand lal suthar
पुस्तकें थकावट में राहत का खजाना होती है पुस्तकें अज्ञान में ज्ञान का प्रकाश होती है पुस्तकें ग्रीष्म में शीतल हवा सा अहसास होती है पुस्तकें शीत में सुहाना सा ताप होती है पुस्तकें और जो दिल को सुकून दे, निराशा में जुनून दे ऐसी ही कुछ वरदान होती है पुस्तकें।। नन्दलाल सुथार ©Nand lal suthar पुस्तकें #Rose
Author Harsh Ranjan
किताबें वरदान हैं, ये मानता हूँ मैं। फिर किसी ने मुझे टोका, कहा, किताबें भगवान हैं। मैं थम गया। किताबें इंसानों को नाप चुकी। किताबें सब कुछ भांप चुकी। मैंने हामी भरी, किताबों की पूजा होनी चाहिए! नहीं। उसने मेरे गले पर चाकू लगाया, सिर्फ मेरी किताब। इसलिए कि वो ज्यादा मोटी है? तेरी चमड़ी मोटी है! उसने मुझे दो टुकड़े किया और मजहबी नारा लगाता चला गया। मैं सोच रहा हूँ कि किताब में कुछ व्याकरणीय, कुछ शाब्दिक, कुछ सैद्धांतिक अशुद्धियां अक्सर मिलती हैं। क्योंकि किताबों की स्याही मिटती नहीं, प्रकाशक नए संस्करण लाते हैं। कई पुस्तकें जिल्द में पूरी नहीं पड़ती, लेखक अगली कहानी को अगली जिल्द में पिरो डालते हैं। दुनिया की कोई भी किताब, मैंने समझा है, अकेली नहीं होती, उसके पहले अनगिनत जिल्दों का इतिहास और बाद नए जिल्दों के स्वरूप की पहेली होती है। पूजनीय पुस्तकें
Author Harsh Ranjan
किताबें वरदान हैं, ये मानता हूँ मैं। फिर किसी ने मुझे टोका, कहा, किताबें भगवान हैं। मैं थम गया। किताबें इंसानों को नाप चुकी। किताबें सब कुछ भांप चुकी। मैंने हामी भरी, किताबों की पूजा होनी चाहिए! नहीं। उसने मेरे गले पर चाकू लगाया, सिर्फ मेरी किताब। इसलिए कि वो ज्यादा मोटी है? तेरी चमड़ी मोटी है! उसने मुझे दो टुकड़े किया और मजहबी नारा लगाता चला गया। मैं सोच रहा हूँ कि किताब में कुछ व्याकरणीय, कुछ शाब्दिक, कुछ सैद्धांतिक अशुद्धियां अक्सर मिलती हैं। क्योंकि किताबों की स्याही मिटती नहीं, प्रकाशक नए संस्करण लाते हैं। कई पुस्तकें जिल्द में पूरी नहीं पड़ती, लेखक अगली कहानी को अगली जिल्द में पिरो डालते हैं। दुनिया की कोई भी किताब, मैंने समझा है, अकेली नहीं होती, उसके पहले अनगिनत जिल्दों का इतिहास और बाद नए जिल्दों के स्वरूप की पहेली होती है। पूजनीय पुस्तकें
Anjali Jain
World Book Day पुस्तकें जीना सिखाती है सोचना सिखाती है समझना सिखाती है फ़िर निर्णय लेना सिखाती है जीवन को समग्रता में देखना सिखाती है जीवन को आलोकित करती है हमारा निर्माण करती है तो विध्वंस भी करती है पुस्तकों का चयन क्या हो, वो भी यही सिखाती है! पुस्तक से प्यारा कोई मित्र नहीं जब अकेले हों आप तो बहारें लाती है! पुस्तकें, सचमुच जीना सिखाती है!! #पुस्तकें #28. 04.20
3 Little Hearts
हिटलर एक रात बर्लिन के सबसे प्रसिद्ध सिनेमा घर में गया, ये देखने कि जब मेरी तस्वीर आती है तो लोग क्या व्यवहार करते है । फिल्म शुरू होने से पहले हिटलर की तस्वीर आई तो सारे लोग खड़े हो गए और जय जयकार के नारे लगाने लगे । हिटलर खड़ा नहीं हुआ, और क्यों खड़ा हो ? वो तो खुद हिटलर था । मगर ये भूल गया कि वो यहाँ हिटलर बन कर नहीं आया है । सभी जय जय कार के नारे लगा रहे थे वो बहुत खुश था । तभी बगल के आदमी ने, जो खड़े होकर जय - जय कार के नारे लगा रहा था, उसको कंधे पर धक्का दिया और कहा "खड़ा हो जा भाई अगर उस हरामजादे को पता चल गया तो तू मुसीबत में पड़ जाएगा ।" ©Vishnuuu X #हिटलर #सिनेमा #अत्याचार