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MaMtAa
हिन्दू, हिन्दू एकता की बात करते हैं और पिछड़ी जाती के लोगों से घृणा करते हैं वाह क्या पिछड़ी जाती हिन्दू नहीं ©MaMtAa 02/01/2025
02/01/2025
read moreMaMtAa
भरोसा और इज़्ज़त कमाई जाती है ये बाप की जायदाद नहीं जो मुफ़्त में मिल जाए ©MaMtAa 01/01/2025
01/01/2025
read moreChirag Dodiya
New Year 2025 aaj ka din bohot achha gya mera or aap ka kesa gya din ©Chirag Dodiya #Newyear2025 01/01/2025
#Newyear2025 01/01/2025
read moreSunita Pathania
ख्वाहिश _writes
White आज एक हादसा ऐसा हो गया, मैंने अपने मौसा जी को खो दिया, वो शेर की दहाड़ रखने वाले इंसान थे, शरीर से सख़्त और बलवान थे, खिलता चेहरा खुश मिजाज़ रहने वाले, हम सब उनकी और वो हमारी जान थे, हंसके मिलते थे वो सबसे, बहुत लाड करते थे वो हम सबसे, बहुत बातें करते थे वो सबसे, उनके हंसते हुए चेहरे की बात ही और थी, उनकी तारीफ़ उनके पीछे हर ओर थी, अंत तक उन्होंने साहस न छोड़ा, हर किसी को आज एक साथ जोड़ा, हमारे दिल पर सदा वो राज करेंगे, वो हमारे दिल में हमेशा रहेंगे, न जाने हमारा ये कैसा नसीब था, लगता है भगवान हमसे भी ज़्यादा गरीब था..!! ॐ शांति 🙏🏻 - Kiran ✍🏻 ❤️ 🧿 ©ख्वाहिश _writes #life_quotes #SAD 01/12/24 Sunday
life_quotes SAD 01/12/24 Sunday
read moreDr Anoop
White खफा होना, इतराना फिर मान जाना, तीन रंगों में बहुत जचतें हो तुम..!!🖤 ©Dr Anoop #sad_quotes 01
#sad_quotes 01
read moreVeerpal
😱 1Vs1 custom ✨️ | 01/12/2024 दिसम्बर ki New video 1Vs1 Custom me OK 👍 @Veerpal-Rajput-e5x 😱🔥🔥
read moreneelu
White Yesterday I saw a few episodes of the Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God... ©neelu #sad_quotes #Yesterday I #saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
#sad_quotes #yesterday I #Saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
read moreAvinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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