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गौरव दीक्षित(लव)

गुजरते लम्हों में, सदियां तलाश करता हूँ। ये मेरी प्यास है भातृभूमि की नदियां तलाश करता हूँ। यहाँ तो लोग गिनाते हैं, खूबियां अपनी। #शायरी

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गुजरते लम्हों में,
सदियां तलाश करता हूँ।

ये मेरी प्यास है भातृभूमि की
नदियां तलाश करता हूँ।

यहाँ तो लोग गिनाते हैं,
खूबियां अपनी।

मैं अपने आप में,
कमियां तलाश करता हूँ...!!....... �🙏
गौरव दीक्षित ✍️✍️🙏❤️ गुजरते लम्हों में,
सदियां तलाश करता हूँ।

ये मेरी प्यास है भातृभूमि की
नदियां तलाश करता हूँ।

यहाँ तो लोग गिनाते हैं,
खूबियां अपनी।

#maxicandragon

आओ भैया राखी आई आओ भैया राखी आई लाचार हुई है तेरी बहना क्यों दुनिया है बनी कसाई भैया हुआ करते थे रक्षक पर अब क्यों कहलाते "भाई" #rakshabandhan #रक्षाबंधन #Sadharanmanushya #RakshaBandhan2021

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आओ भैया राखी आई
आओ भैया राखी आई

लाचार हुई है तेरी बहना
क्यों दुनिया है बनी कसाई

भैया हुआ करते थे रक्षक
पर अब क्यों कहलाते "भाई"

गली चौराहे बाजार और नुक्कड़ 
क्यो है ये खामोशी छाई

एसिड चाकू कट्टा लेकर घूमें 
मवाली गुंडे खूनी भाई

रक्षासूत्र तुम बांध शपथ लो
खत्म करोगे नकली भाई

मुझको प्यारे भैया मेरे
भ्राता भातृ और तात पर्यायी

#रक्षाबंधन
#RakshaBandhan
#Sadharanmanushya

©#maxicandragon आओ भैया राखी आई
आओ भैया राखी आई

लाचार हुई है तेरी बहना
क्यों दुनिया है बनी कसाई

भैया हुआ करते थे रक्षक
पर अब क्यों कहलाते "भाई"

तुषार"आदित्य"

माना पत्थर जैसा हूँ ,पर तेरे लिए पिघल जाता हूँ। मैं चाहे कंकर हूँ ,तेरी मील का पत्थर बन जाता हूँ। तुझसे बड़ा या छोटा हूँ ,फ़िक्र में तेरी पड़ ज #Bhai #भाई #brotherhood #BrotherSister #brotherslove #happybrothersday #भाई_बहन #भातृदिवस

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माना पत्थर जैसा हूँ ,पर तेरे लिए पिघल जाता हूँ।
मैं चाहे कंकर हूँ ,तेरी मील का पत्थर बन जाता हूँ।
तुझसे बड़ा या छोटा हूँ ,फ़िक्र में तेरी पड़ जाता हूँ।
कभी लड़ूँ मैं तेरी ख़ातिर,कभी बात पे अड़ जाता हूँ।
जायज़ नही जो कुछ भी,मैं उसके बीच की खाई हूँ।
मैं आख़िर तो तेरा भाई हूँ ,हाँ!आख़िर तेरा भाई हूँ। माना पत्थर जैसा हूँ ,पर तेरे लिए पिघल जाता हूँ।
मैं चाहे कंकर हूँ ,तेरी मील का पत्थर बन जाता हूँ।
तुझसे बड़ा या छोटा हूँ ,फ़िक्र में तेरी पड़ ज

Anil Ray

अम्बेडकर सपना जब साकार हुआ महान देश यह भारत गणतंत्र बना। हर पल सींचा हैं शहीदो ने वतन को जिससे यें प्यारा भारत स्वतंत्र बना। पंथनिरपेक्षता, #independenceDay🇮🇳

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Anil Ray

👇👇👇👇👇👇 नीति से भ्रष्ट सियासत ने खूबसूरती जन्नते-कश्मीर, और पवित्र पंथनिरपेक्षता निज-कर कर्म से धूमिल कर। एकता, अखण्डता और बंधुत्व को दरकिनार #कविता #KashmiriFiles

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नीति से भ्रष्ट सियासत ने
खूबसूरती जन्नते-कश्मीर,
और पवित्र पंथनिरपेक्षता
निज-कर कर्म से धूमिल कर।
एकता, अखण्डता और बंधुत्व
को दरकिनार कर दूर हुआ
नकाब नापाक राजनीति का।
अजीब फितरत इंसान की
स्वयं के गुनाह पर वकील
पर करे तो फैसला जज का।
संसद एक मंदिर था कभी
फिर अखाड़े का मैदान और
अब जैसे एक मंडी है।
इस मंडी में भाव भी मनमर्जी
के लगाये जाते है,
इंसानियत को मार तमाचा
जनमन के भाव मारे जाते है।
मेरी चेतावनी गंदी सियासत को
जख्म पर मरहम रखा जाता है,
कुरेदा नही जाता, ऐसे तो जख्म
और गहरा हो जाता है।
जख्म को गहरे से कुरेदना
तो कुत्सित राजनीति है।
एक सवाल देशप्रेमियों!
और बुद्धिजीवियों से,
खाना चबाते हुये जो आ गयी
कभी रसना दांतों के मध्य 
तो क्या दांतों को तोड़कर
मुंह से बाहर फेंक दिया जाये?
एक बात और मै एक
वैधानिक हिन्दू हूं,
इससे पूर्व एक भारतीय
भारतीय से पूर्व हूं मैं एक इंसान
इंसान को इंसानियत ही चरितार्थ
करती है, यह इंसानियत बयां
करती है दिलो-दिमाग से
अपने तो अपने होते है।
पंथनिरपेक्षता की सुरक्षा के
लिए आवश्यकता नही हिंदूत्व की,
भातृत्व रहे कायम सदा 
हमें आवश्यकता है बंधुत्व की।
अंत में एक निवेदन 
भारतीय बॉलीवुड बोर्ड से,
एक फिल्म और बनाओं
उसमे बारीकी से पुलवामा 
हमला दिखलाओ, आखिर 
पता तो लगे जनमानस को,
कि 350 किलों सक्रिय जखीरा
कैसे और कहां से आया❓
जय भारत🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

©Anil Ray 👇👇👇👇👇👇
नीति से भ्रष्ट सियासत ने
खूबसूरती जन्नते-कश्मीर,
और पवित्र पंथनिरपेक्षता
निज-कर कर्म से धूमिल कर।
एकता, अखण्डता और बंधुत्व
को दरकिनार

Pramod Kumar

समोसा प्रकृति ने तीन मौसम बनाये है एक ग्रीष्म ,एक सर्दी और एक बरसात पर इंसान ने बनाई है एक ऐसी चीज , जो तीनो मौसम का अहसास , कराती हो एक #poem #कविता #calm

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ऋषभ पाण्डेय

आज दरवाजे पर एक भिखारी आया था। मुँह पर ऐसी दीनता जैसे चंद्रमा अमावस्या के दूसरे दिन निकला हो और तरस रहा हो कि थोड़ा और प्रकाश मिल जाता तो भोर #Books #story #satire #kahani #bhikhari #rustampens #katha #laghukatha

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आज दरवाजे पर एक भिखारी आया था। मुँह पर ऐसी दीनता जैसे चंद्रमा अमावस्या के दूसरे दिन निकला हो और तरस रहा हो कि थोड़ा और प्रकाश मिल जाता तो भोर
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