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Prerit Modi सफ़र
मूलाधार से सहस्त्रार चक्र तक पहुंचना है मुझ स्थूल को सूक्ष्म होना है 'शक्ति' को 'शिव' में विलीन होना है 'अंतस' के 'अनहद' को सुनना है मुझे 'शिव' 'पारब्रह्म' होना है अन्नत 'सफ़र' पर मुझे निकलना है अपने भीतर मुझे उतरना है मुझे 'ध्यान' होना है मुझ 'शक्ति' को 'शिवहोम' होना है मूलाधार- सूक्ष्म शरीर का आखरी चक्र जहाँ शक्ति विराजती हैं सहस्त्रार- सूक्ष्म शरीर का पहला चक्र जहाँ विराजते हैं शिव #poetry #spritual #nav
kittuvishal1
निज भाषा उन्नति अहै,सब उन्नति को मूल, बिनु निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल। अर्थ- निज यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव है क्योंकि यही सारी उन्नतियों का मूलाधार है तथा अपनी भाषा के ज्ञान के बिना मन की पीड़ा को दूर करना मुश्किल है (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र) #dikkit ©kittuvishal1 निज भाषा उन्नति अहै,सब उन्नति को मूल, बिनु निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल। अर्थ- निज यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव है क्योंकि यही
Divyanshu Pathak
वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रकृति का सारा खेल ऊर्जा और पदार्थ के एक-दूसरे में परिवर्तित होने के सिद्धांत पर चलता है। इनको देखना, समझना और मापना संभव है। जब भावनाओं के द्वारा हमारे मन और शरीर में विभिन्न क्रियाओं का संचालन होता है तो निश्चित है कि वहां ऊर्जा है शक्ति है। सृष्टि की समस्त ऊर्जा सामग्री का सम्बन्ध पदार्थ से होता है। यह भी सत्य है कि यह ऊर्जा अति सूक्ष्म है। :😊Good morning ji😊💕🙏🍨👨🍀☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕ इसी कारण यह वैश्विक अंतरिक्षीय ऊर्जा का अंग है और उसी के साथ एक जीव होकर कार्य करती है। एक ही प्रकार के स
AB
" शैलपुत्री " वन्दे वंछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढाम् शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में साक्षात शैलपुत्री की पूजा देवी के मंडपों में पहले नवरात्र के दिन होती है। शैलपुत्री अपने
Divyanshu Pathak
किसी भी व्यक्ति के स्वभाव का एक प्राकृतिक भाव है- क्रोध। इतिहास उठाकर देखें तो पता चलेगा कि क्रोध की भी अपनी अहम् भूमिका रही है। अनेक अवसरों पर क्रोध ने इतिहास को नए मोड़ दिए हैं। क्रोध को शारीरिक शक्ति और अहंकार का सूचक भी माना गया है। भय पैदा करने में भी क्रोध की अपनी भूमिका रही है। क्रोध ने बडे-बड़े ऋषियों को शाप देने जैसी नकारात्मक भूमिका में डाला है। दुर्वासा और लक्ष्मण के व्यक्तित्व क्रोध के ही पर्याय भी बने। कौन व्यक्ति होगा इस पृथ्वी पर जिसे क्रोध नहीं आता? क्रोध अनेक प्रकार के आवेशों और आवेगों का निमित्त बनता है। अपराधों का मूल निमित्त क्रोध को
Vikas Sharma Shivaaya'
ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:। नवरात्र का आरंभ आज से हो चुका है-नवरात्र के पहले दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में साक्षात मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है और कलश स्थापना की जाती है। पुराणों में कलश को भगवान गणेश का स्वरूप माना गया है ! ऐसा है मां का स्वरूप:- मां के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प है। यह नंदी नामक बैल पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं। इसलिए इनको वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी जाना जाता है। यह वृषभ वाहन शिवा का ही स्वरूप है। घोर तपस्या करने वाली शैलपुत्री समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक भी हैं। शैलपुत्री के अधीन वे समस्त भक्तगण आते हैं, जो योग, साधना-तप और अनुष्ठान के लिए पर्वतराज हिमालय की शरण लेते हैं। मां शैलपुत्री के पूजा मंत्र: वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।। पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्॥ पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥ प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम् । कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम् ॥ या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:। ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:। नवरात्र का आरंभ आज से हो चुका है-नवरात्र के पहले दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में साक
Arsh
#philosophy इंसान सामनेवाली के असमन्याय(कठोरता) तब तक बर्दाश्त करता है जब उसे सामने वाले से या तो कुछ मिल रहा होता है अथवा भविष्य में कुछ मिल जाने की उम्मीद लगी हुई होती है Read more in Caption👇 पर हम इंसानों से अलग, जानवरों को अपने प्रेम से किसी तरह की कोई उम्मीद नहीं होती। एक कुतिया या बिल्ली अपने बच्चे का कितना ख्याल रखती है जबकि
Sanu Mishra
"वेदान्तप्रतिबोधिता विजयते विन्ध्याचलाधीश्वरी" वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृत शेखराम। वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम॥ श्री दुर्
मेरी आपबीती
' जगत जननी तथा त्याग की मूर्ति नारी ' " या देवी सर्व भूतेषु , स्त्री रूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै , नमस्तस्यै , नमस्तस्यै नमो नमः ।" (अनुशीर्षक में पढ़े ) महादेवी वर्मा जी नारी महानता के बारे में कहती है कि :- "नारी केवल मांस पिण्ड की संज्ञा नही है , आदिम काल से आज तक विकास पथ पर पुरुष का साथ द