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N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} सहर की दवा और गांव की हवा करीब-2 एक समान है। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} सहर की दवा और गांव की हवा करीब-2 एक समान है। जय श्री राधेकृष्ण जी।।
#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} सहर की दवा और गांव की हवा करीब-2 एक समान है। जय श्री राधेकृष्ण जी।।
read moreSatish Kumar Meena
White मेरे गांव की हवा कुछ ऐसी है अगर वहां चले जाओ तो वापस आने नहीं देती, इसका मतलब बड़ी ही मिलनसार आबोहवा है। ©Satish Kumar Meena मेरे गांव की हवा
मेरे गांव की हवा
read moreशुभम मिश्र बेलौरा
White भले किरदार कुछ भी हो ,सदा हल्का दिखूंगा मैं। बड़ी औकात मत लाना,नहीं उसमें बिकूंगा मैं। बहुत दुनिया में घूमूंगा , रहूंगा मैं कहीं पर भी पसंद पूछोगे मेरी तो,सदा तिलका लिखूंगा मैं। ©शुभम मिश्र बेलौरा #good_night गांव
#good_night गांव
read moreneelu
White दिवाली के वक्त रामलीला तो बनती है.. मंथरा aur कैकेयी... में ज्यादा गलती किसकी थी.... ©neelu #sunset_time #दिवाली के #वक्त #रामलीला तो #बनती है desh bhakti shayari bhakti
#sunset_time #दिवाली के #वक्त #रामलीला तो #बनती है desh bhakti shayari bhakti
read moreVeer Tiwari
रात के 9:00 बज रहे हैं, और गाँव की गलियों में एक सुकून भरी ठंडक घुली हुई है। गली के दोनों किनारों पर लगी स्ट्रीट लाइट्स की रोशनी चारों ओर बिखरी हुई है, जो गाँव की सड़कों को चाँदनी जैसा उजाला दे रही है। गर्मी अब विदा लेने को है, और ठंडी हवा के झोंके जैसे इसे अलविदा कहने के लिए हर तरफ हाथ हिला रहे हैं। गाँव की यह रात किसी बड़े शहर की चहल-पहल से अलग है—यहाँ की सड़कों पर अब हल्की रौनक बची है। कहीं-कहीं लोग अभी भी अपने घरों के बाहर बैठकर हँसी-मज़ाक कर रहे हैं, और कहीं दूर से मोबाइल की धीमी-सी धुन सुनाई दे जाती है। खेतों के किनारे खड़े बिजली के खंभे और उनके तारों पर बैठी चिड़ियों की आवाज़ें अब शांत हो गई हैं, और सड़कों के किनारे लगे पेड़ हवा के साथ धीरे-धीरे हिल रहे हैं। चार-पाँच दिन बाद दिवाली है, और उससे पहले यह ठंडी रातें जैसे त्योहार का आगाज़ कर रही हैं। यह सिर्फ़ मौसम का बदलाव नहीं है, यह एक नई ताजगी और उम्मीद का संकेत है। जैसे ही हवा के झोंके पेड़ों से टकराते हैं, उनकी पत्तियाँ हौले से फड़फड़ाती हैं, जैसे गाँव का हर कोना इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहता हो। आसमान में चमकते तारे और एक साफ चाँद की रोशनी, स्ट्रीट लाइट्स की पीली चमक में घुल-मिल गई है। सड़कें अब लगभग खाली हैं, पर कुछ गाड़ियों की लाइट्स अभी भी गाँव की सड़कों को पार कर रही हैं। यहाँ की रातें अब बस आराम और सुकून की होती हैं, जहाँ लोग अपने दिनभर की थकान को भुलाकर थोड़ी देर ठंडी हवा में बैठे रहते हैं। गाँव का यह दृश्य—साफ सजी-धजी गलियाँ, बिजली की रोशनी, और चारों ओर फैली हल्की ठंड—मन को एक अलग ही सुकून देती है। यह आधुनिकता और गाँव की सादगी का एक सुंदर मेल है, जहाँ रातें सिर्फ़ आराम की नहीं, बल्कि एक नए एहसास की भी हैं। धूल और हवा में तैरती ठंडक, ये सब मिलकर एक नया सुर रचते हैं, जो सीधे दिल तक पहुँचता है। यहाँ की रातें, यह शांति, और हर जगह की अपनी कहानी—सब कुछ मिलकर एक ऐसा अनुभव रचती हैं, जो बहुत गहरा और मनमोहक है। यह गाँव का नया रंग है, जहाँ आधुनिकता के साथ गाँव की आत्मा बरकरार है, और हर रात उसकी अपनी ही एक नई कहानी बुनती है। ©Veer Tiwari गांव की एक शाम ....
गांव की एक शाम ....
read moreशुभम मिश्र बेलौरा
White गांव का शहरी जब गांवों से पढ़ने निकले थे लक्ष्यों का अंबार लिए, माता पिता और गुरु दोस्त के सपनों का किरदार लिए। मक्खन रोटी के डिब्बे में नानी के दिये अचार लिए, दादी दादा के लाड प्यार में घुले हुए संस्कार लिए। शहर पहुंचते ही ये सब धीरे धीरे छूट गये, चमकीले चौराहों पर सब कन्ठी माला टूट गये। शहर पहुंच कर शाम को जब सब्जी लेना शुरू किया, पहली बार birthday में जब छोटा सा pack पिया। गांवों में उठने के वक्त अब शहरों में डेली सोता हूं, उठते ही पहले टपरी पर चाय सिगरेट पीता हूं। शहरी बनने के चक्कर में मेरा गांव ही पीछे छूट गया, गांव शहर की होड़ में मेरा लक्ष्य भी मुझसे रूठ गया। ©Shubham Mishra #Sad_Status गांव का शहरी
#Sad_Status गांव का शहरी
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