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Stories related to धीरे खेलो भवानी मां अंखियों से रतन झरे lyrics

Kalpana Srivastava

#मां

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कुछ मां यशोदा जैसी होती है 
जो दूसरे के संतान को भी अपने गले 
से लगाए रहती है।
और कुछ मां कैकई की तरह 
अपने बच्चों में ही फर्क करती है।

©Kalpana Srivastava #मां

Sarvesh kumar kashyap

🤷 धीरे-धीरे सब..🤔👥 #Best #shayri #Motivational #status Life #Sarveshkashyap #viral #Emotional

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Anuradha T Gautam 6280

धीरे-धीरे रात बीतती रही और मैं #एक_टक खिड़की से आसमान को निहारती रही..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ 👀☁️👀

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हिमांशु Kulshreshtha

धीरे धीरे...

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धीरे धीरे अंतस का 
सारा शोर थम जाता है..
सारी पीड़ाएं,सारे दुख 
सुन्न से हो सो जाते हैं..
फिर कुछ भी हैरान नहीं करता,
कुछ भी परेशान नहीं करता..
पीछे मुड़कर देखने पर 
लगता है जिस जिंदगी को जीया,
भावनाओं का जो ज्वार उमड़ा 
सब बचकाना था 
सब कुछ बेमानी था.... 
जिस को जाना था 
वो चला ही जाता है ख़ामोशी से 
बस, अपने निशाँ छोड़ कर 
धीमे धीमे जिदगी 
फ़िर ढर्रे पर आने लगती है 
किसी के बिना 
जी न पाने का डर कम होता जाता है 
बस.. 
कभी कभी सीने में 
एक आग सी उठती है 
एक ख़ामोश शोर कानों में गूंजता है 
फ़िर, सब सतह पर पहले सा हो जाता है

©हिमांशु Kulshreshtha धीरे धीरे...

Vinod Kuma

lyrics 💥

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नवनीत ठाकुर

#मां

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मां की ममता का कोई हिसाब नहीं होता,
उसका हर आँसू भी बेवजह नहीं होता।

दुआएं उसकी साये की तरह होती हैं,
मां के कदमों तले ही तो जन्नत होती है।

©नवनीत ठाकुर #मां

Rakesh frnds4ever

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, #ढल रही है #जिंदगानी #धीरे धीरे #डूब रहा है जीवन का #सूरज धीरे धीरे घिर चुके हैं इस जंजाल में धीरे धीर

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Ajeet Singh

##my song lyrics

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Vinod Mishra

कार्ड मत खेलो: रैशनल अथवा इमोशनल कार्ड #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन ✍️

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नवनीत ठाकुर

#मां

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White माँ के आँचल में बसी है जन्नत की खुशबू,
उसके प्यार में हर दर्द की दवा बाकी है।
लोरी की धुन से सजे हैं बचपन के नगमें,
उसकी ममता का हर रंग-ओ-हवा बाकी है।

उसके आशीर्वाद से रोशन है ये दुनिया,
हर कठिन राह में उसका साया बाकी है।
माँ की दुआओं में वो असर है छुपा,
जो हर ठोकर पे हमें संभाल लेता बाकी है।

माँ के आँचल की ठंडी छाँव है रहमत,
जिसमें सुकून-ओ-अमन का जहाँ बाकी है।
उसकी ममता में बसी है खुदा की रहमत,
माँ का हर एहसास बेमिसाल बाकी है।


जब भी गिरते हैं, उठाने को वो तैयार रहती है,
उसकी ममता का हर पल हमें सहारा बाकी है।
उसकी आँखों में दुआओं का एक समंदर है,
हर लम्हा उसके प्यार का दरिया बाकी है।

उसकी मुस्कान में छुपा है सुकून का जहाँ,
उसकी बातों में जन्नत का सफ़र बाकी है।
दूर रहकर भी उसके साये का एहसास मिलता है,
माँ की ममता का वो अमर रिश्ता बाकी है।

©नवनीत ठाकुर #मां
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