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roopali purohit
White Men they don't write about Women who is complete in herself.. A form of wisdom A force to reckon.. Herself nature... yet A nurturer who is dependent A homemaker who is homeless A complete creature but incomplete.. Because if men write women than they will have to write that a women completes them. They will have to admit they are also as complete and as incomplete as women... So men they don't write women.. ©roopali purohit Ever wondered why men don't write about a women because maybe it made them come across the fact that they are as incomplete as women #women
HintsOfHeart.
लड़कों के पास जितना दिमाग़ है ना उतना तो हम लड़कियों का ख़राब पड़ा रहता है।😂😂 ©HintsOfHeart. #Women are better at big picture thinking.
Rakhi Saroj
आसान नहीं होता उस स्त्री के साथ चलना जिसका प्रेम आपकी नजरों में चुबन बन जाएं ©Rakhi Saroj #Women
Anil Ray
हिंदी से इतिहास समझा औरत का पर अनिल कुछ तो भूगोल अधुरा है अभी.. 🤔 ©Anil Ray #Women
sabr
छोटे बालों वाली लड़कियाँ एक शाम जब समंदर सूरज निगल रहा था, हम दोनों रेत पे नज़रें गड़ाए चल रहे थे, तब वो मेरे बालों को देखते हुए कहता, ‘मैंने सुना था छोटे बाल वाली लड़कियाँ होती हैं उद्धंड, बदतमीज़ और आवारा।’ मैं एक उँगली से भवों पे आ रहे बालों को समेट कर बोली, ‘मैंने तो जिया है छोटे बालों वाली लड़की को, और मुझे पसंद है उद्दंड, बेबाक़ और आवारा होना।’ एक गहरी साँस भरी मैंने और कहा ,’लेकिन एक उमर में मैंने भी सवारे थे अपने लंबे बाल, बचपन में एक बार मैं अपने खुले लंबे बाल ले कर खेलने गई थी पड़ोस में, लेकिन पड़ोस के अंकल ने दे दिया था एक अनजाना सा डर। मैंने घर में कहा, तो सबने मेरे बालों का दोष बताया और डाँट के कह दिया मुझे, ‘उद्दंड लड़की’।’ ‘स्कूल जाती थी मैं कंधे पे चोटियों को सजा कर, लेकिन सर की उँगलियाँ नापने लगी मेरी चोटियों को, मैंने दूसरे सर से बताया तो उन्होंने मेरे बालों का दोष बताया और नाम दिया मुझे ‘आवारा’।’ ‘मुझे अच्छा लगता था बालों में फूल लगाना, उन्हें सजाना, फूल दिलाने के बहाने कज़िन ले गया कहीं दूर, बीच रास्ते से भाग आई किसी तरह, घर आ कर जब उसकी बुराई की तो दोष मिला मेरे बालों को और मुझे नाम मिला ‘बदतमीज़’।’ मैंने फीकी मुस्कान पहन कर उसको देखा और कहा, ‘सुनो, ज़रूरी नहीं तुम मुझे पसंद करो, लेकिन मुझे पसंद है उद्दंड, बदतमीज़ और आवारा होना।’ नहीं पता कि उसे पसंद आया था ये सच सुनना, नहीं पता कि उसके निःशब्द जवाब में हाँ थी या ना, नहीं पता कि वो अब से मेरे बारे में क्या राय रखेगा, बस पता था कि, बालों की लंबाई कुछ भी हो, लड़कियाँ तो लड़कियाँ ही होती हैं। ©sabr #Women
sabr
चरित्रहीन होना बड़ा आसान लगा मुझे ,इसके मापदंड निराले हैं नये जुड़ रहे मापदंड चरित्रहीनता के और भी मोहक रहे सजना ,संवरना,अपनी सेहत से समझौता न करना, अत रंगी फोटो खिंचना , एक कदम ठेल देता है चरित्रहीनता की ओर। देर रात ऑनलाइन रहना,प्रेम कविता लिखना, रोज अपनी तस्वीर बदलना और हर किसी से बतियाना, लव ,दिल ,पोस्ट पर आवाजाही की आवृत्ति पुष्टि करने को काफी है । सच कितना आसान है चरित्रहीन होना ©sabr #Women
sabr
गाँठें सालों से माँओं ने अपनी बेटियों को भेंट की कई सारी गाँठें, कुछ मन से, कुछ अनमने ही! प्रेम को अपराध बता कर एक गाँठ बाँध दी, सिखाया प्रेम के बिना ही जीते जाना कहना ‘जो हुक्म मेरे आका’ और एक गाँठ बाँध दी, सिर झुका कर जीने के सारे गुण भरे अपने सपने ख़ुद मत देखना, और एक गाँठ बाँध दी, जिसमें सबकी ख़ुशी हो वही काम करना तुम अवमानना एक अपराध है……. शायद माँओं को भी ऐसे ही कुछ गाँठें मिली होंगी विरासत में। अब ये शृंखला तोड़नी है, इन गाँठों को खोलना है, भयभीत हो कर कुछ नहीं करना है ग्लानि कोई गहना नहीं है अपना जीवन ख़ुद लिखो, खूब अच्छे से लिखो……… कोई फिर से तुम्हें मिटाए, फिर से ख़ुद को बनाना तुम कोई फिर से तुम्हें हराये, फिर से जीवन जी जाना तुम ©sabr #Women
विजय
समझ दिया क्यूँ मुझको इतना कि हर बार मैं ही समझती हूँ सहनशीलता दिया क्यूँ इतना कि हर बार मैं ही सब सहती हूँ भाव सहेज का दिया क्यूँ इतना हर रिश्ता सहेज मैं रखती हूँ भूलने की आदत इतनी क्यूँ दी हर शख्स की गलती भूला करती हूँ अदा सिर्फ मुस्कुराने की क्यूँ दी दर्द में भी मैं हँसती रहती हूँ रूह तक को भी सब आंसू दे जाते मुस्कान चेहरे पर सदा मैं रखती हूँ दिल मेरा क्यूँ इतना बड़ा बनाया दफन राज हर शख्स के कर देती हूँ ज्योति आंखों में इतनी भी क्यूँ दी छलते है सब,पर अंधी बनी मैं रहती हूँ ©विजय #Women
Nithyasri
women's are not just a human there are a super power.... HAPPY WOMEN'S DAY TO ALL THE WOMEN ©Nithyasri #womeninternational women will be women
sabr
बहुत कुछ कहने को आतुर , व्यथित अंतर मन , मौन धारण किए, बस चुप्पी सी धर जाए अपने आप में ही, इक छोर उसमे अटका, इक छोर मुझमें बाकी है कहीं , मै इन दूरियों को मिटाने की कोशिश करती, अपने आप में ही, कुछ अनकही खामोशियों में, लिपटी सी मै, अक्सर खो जाती हूं अपने आप में ही...! ©sabr #Women