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Shivkumar
White फूल से उसकी खुशबू को यु ना मांगो वो तो खुद घर के आँगन को यु महकाता हैं । ऐसे कोमल भाव को देख कर मेरा मन ना जाने क्यों ? बहुत ही घबराता हैं। आखिर क्यों ? अपने को गवा कर वो सबके घर में खुशियाँ को यु लुटाता है । उसकी ये छवि, मैंने हर जीव के अंदर मे भी पाई इस बात को में, भले ही देर से समझ पाई । उस फूल का बलिदान भी एक ज्ञान हैं । इस बात से हम सब क्यों अभी भी अनजान हैं ? उसकी जान लेने में, हम एक पल नहीं गवाते उसकी लाश पर गुज़र कर, हम अपनी ही महफिले को सजाते है । ©Shivkumar #flowers #Flower फूल से उसकी #खुशबू को यु ना मांगो वो तो खुद घर के #आँगन को यु महकाता हैं । ऐसे #कोमल भाव को देख कर
Himanshu Prajapati
हो गई हमसे गलती हम होश गवा बैठे, दो कदम पर था जहां हम चार कदम चल बैठे..! ©Himanshu Prajapati #lovetaj हो गई हमसे गलती हम होश गवा बैठे, दो कदम पर था जहां हम चार कदम चल बैठे..!
sujeeta
Black सब कुछ गवा दिया जिसके पीछे अब देखते है कितना वफादार है वो ©sujeeta सब कुछ गवा दिया
Ankit Singh
“मूक प्राणी के लिए जीवन उतना ही प्रिय है जितना इन्सान के लिए है जैसे ही कोई इन्सान खुशी और दर्द चाहता है वैसे ही अन्य जीव भी चाहते हैं।” ©Ankit Singh मूक प्राणी के लिए जीवन उतना ही प्रिय है जितना इन्सान के लिए है जैसे ही कोई इन्सान खुशी और दर्द चाहता है वैसे ही अन्य जीव भी चाहते हैं #anima
Himanshu Prajapati
मैं होश तब गवा बैठा, जब वह मेरे पास आ बैठा, उनसे बोलने से पहले ही बड़बड़ाने लगा देखकर मेरा हालात वह मुस्कुरा बैठा..! ©Himanshu Prajapati #lovetaj मैं होश तब गवा बैठा, जब वह मेरे पास आ बैठा, उनसे बोलने से पहले ही बड़बड़ाने लगा देखकर मेरा हालात वह मुस्कुरा बैठा..!
Himanshu Prajapati
वह हर बात में अपने बातों से चमक लाती है, उसकी यही अदा मुझे बहुत भाती है, जब से देखा है उसका अंदाजे कारनामा हम होश गवा बैठे है, वह तो केक में भी नमक डालकर खाती है..! ©Himanshu Prajapati #longdrive वह हर बात में अपने बातों से चमक लाती है, उसकी यही अदा मुझे बहुत भाती है, जब से देखा है उसका अंदाजे कारनामा हम होश गवा बैठे है, व
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- संकट सम्मुख देखकर , देते आपा खोय । देते फिर भी ज्ञान हैं , राम करे सो होय।। राम करे सो होय , जानते सब है प्राणी । फिर क्यों करके क्रोध , बोलते हो कटु वाणी । भूल प्रेम व्यवहार , खड़ा करते हो झंझट । आज परीक्षा मान , भूल जाओ सब संकट ।। २२/०३/२०२४ -महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- संकट सम्मुख देखकर , देते आपा खोय । देते फिर भी ज्ञान हैं , राम करे सो होय।। राम करे सो होय , जानते सब है प्राणी । फिर क्यों कर
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Village Life सन्ध्या छन्द 221 111 22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा ।। साधू कब तक बोले । लोभी मन मत डोले ।। इच्छा जब बढ़ती है । वो तो फिर डसती है ।। हो जीवन फिर बाधा । बोले गिरधर राधा ।। मीठी सुनकर वाणी । दौड़े सब अब प्राणी ।। सोचा नहिँ कुछ आगे । जोड़े मन-मन धागे ।। १४/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सन्ध्या छन्द 221 111 22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा
वंदना ....
हमने रिश्ते को बिगड़ते हुए देखा ....... अपनों को अपनों से झगड़ते हुए देखा ........हमने घरों को उजड़ते हुए देखा हर इंसान को बदलते हुए देखा छल , कपट , खुदगर्जी ............... ...........……इन्हें अपनाते हुए देखा प्रेम , त्याग , इंसानियत को भुलाते हुए देखा ..............…........ पैसा , धर्म , जात ,रंग , भाषा , जमीन ..........…...........इसके लिए इंसान को जानवर होते हुए देखा सच में इंसान को ......................... इतनी नीचे गिरते हुए देखा ©वंदना .... हमारे पूर्वज जो बंदर थे ना ..धीरे-धीरे उनकी बुद्धि डेवलप होती गई ...आज उसका अंजाम हमारे सामने है ....कभी-कभी सवाल आता है . .और भी प्राणी थे
Satish Ghorela