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SANTU KUMAR
White एक तुम ही तो जानती थी मुझे, मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी "क्यों उदास हो?.. ❤️❤️🙏🙏❤️❤️ ©SANTU KUMAR #love_shayari एक तुम ही तो जानती थी मुझे, मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी "क्यों उदास हो?.. 🖤
#love_shayari एक तुम ही तो जानती थी मुझे, मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी "क्यों उदास हो?.. 🖤
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी पहने रहते लोग, चोला आज शेरो का शिकार गीदड़ों का करते है गिरे कुचले लोगो को भयभीत कर दम्भ राजा बनने का करते है मिमियाते है जब वे ,सामना जब असल लोग करते है ना शान है ना ताव है बस छिपकर वार करते है कोई भी उसूल, ना नैतिकता फॉलो करते है सर्कर्स की तरह रिंग मास्टरों के हाथों में लगाम अपनी सौप देते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #life_quotes कोई भी उसूल ना नैतिकता फॉलो करते है
#life_quotes कोई भी उसूल ना नैतिकता फॉलो करते है
read moreनवनीत ठाकुर
ज़ुबां कहे भी तो किसे सुनाए ग़म, जिस दिल ने जिया है, वही समझे कम। बेनिशान थी आरज़ू, मगर गहरी छाप छोड़ गई, ज़ुबां खामोश रही, मगर दास्तां बोल गई। दिल के अंदर एक कहानी दबी थी, जो न कह सका, वो नरगिस ने सुनाई थी। गहरी छाप थी मोहब्बत की, वक़्त ने छोड़ दी, ज़ुबां की खामोशी में सच्चाई खोल दी। दर्द को छिपाकर, दिल ने उसे सहा, जिसे कह न सका, वही आह में बहा। मौन की गहराई में, दिल की आवाज़ पाई, जो अल्फ़ाज़ न थे, वो खामोशी ने जताई। ©नवनीत ठाकुर #जुबां खामोश थी
#जुबां खामोश थी
read moreAshtvinayak
कोई "हालात" को नहीं समझता, तो कोई "जज़्बात" को नहीं समझता.. ये तो बस अपनी-अपनी "समझ” है... कोई "कोरा कागज़” भी पढ़ लेता है, तो कोई पूरी "क
read moreSarvesh kumar kashyap
neelu
White मेरी नानी अक्सर कहती थी चुप रहने के तो चार कारण हो भी सकते हैं ज्यादा बोलने का तो कोई कारण होता ही नहीं है और खराब बोलने का तो अक1रण भी नहीं होता है ©neelu #GoodMorning मेरी #नानी अक्सर कहती थी चुप रहने के तो चार #कारण हो भी सकते हैं ज्यादा #बोलने का तो कोई कारण होता ही नहीं है और #खराब #बोलने
Gourav (iamkumargourav)
White दिल को क़रार मिले ऐसी तक़दीर चाहिए थी मुझे तो यार बस उसकी एक तस्वीर चाहिए थी वो रहे अपनी दुनियाँ में मशगूल, मुझे कोई ग़म नहीं हो जाए कभी मुलाक़ात, क़िस्मत बे-नज़ीर चाहिए थी वो के सादा-दिल है उसपर मख़मली आवाज़ उसकी मिज़ाज़ को मेरे ऐसी ही कोई दिल-गीर चाहिए थी ये नवम्बर का महीना और तपन ऐसी मौसम तो अब तलक अकसीर चाहिए थी तुम के यार रहते हो ख़ल्वत में "गौरव" हुलिए से तो तुमको होना बे-पीर चाहिए थी ©️iamkumargourav ©Gourav (iamkumargourav) दिल को क़रार मिले ऐसी तक़दीर चाहिए थी मुझे तो यार बस उसकी एक तस्वीर चाहिए थी वो रहे अपनी दुनियाँ में मशगूल, मुझे कोई ग़म नहीं हो जाए कभी मुलाक़
दिल को क़रार मिले ऐसी तक़दीर चाहिए थी मुझे तो यार बस उसकी एक तस्वीर चाहिए थी वो रहे अपनी दुनियाँ में मशगूल, मुझे कोई ग़म नहीं हो जाए कभी मुलाक़
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