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Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी भीड़ से अस्त व्यस्त दुनिया किस और भागी जाती है सांसो पर नही भरोसा कितने ख्वाव सजाती है सिर्फ अहंकार का पोषण करने दल दल में जिंदगी फंसती जाती है तोड़ कर सारे पैमाने नैतिकता के अंतर्मन को साध नही पाते है लालचों के आगोश में सकून के क्षण छूटे जाते है अपेक्षा के सागर इतने बड़े चुल्लू भर शांति का अहसास कर नही पाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Free अपेक्षा के सागर इतने बड़े #nojotohindi
#Free अपेक्षा के सागर इतने बड़े #nojotohindi #कविता
read moreGodambari Negi
White उपजती है जहाँ करुणा , वहीं तो प्रेम पलता है। कभी छलती नहीं करुणा, जमाना भी न जलता है। समझ लो बात सच्ची ये, यही है प्रेम की जननी, बुरों को भी सुनों माँ का, सदा आशीष मिलता है।। ©Godambari Negi #करुणा
Dr.j.p.singh motivational speaker writer
🙏🙏श्याम प्रभु की भगति 🙏🙏श्याम प्रभु की मंडली🙏🙏 #Bhakti
read moreSandeep Sagar
मैं थी एक नदी,तुम धार हो मैं पायल तुम झंकार हो मैं खुली आसमाँ के रातों सा तुम ठंडी पवन बयार हो मैं एक उपवन में लगी हुई तुम मुझ में खिली सिंगार हो मैं गानों से भरी हुई तुम राग छेड़ वो सितार हो मैंने तुमको प्यार किया जैसे रुत सावन की बहार हो। मैं अब तेरे पास नहीं पर मेरे अक्स का हिस्सा है तू एक कहानी बुनी थी मैंने उस प्यार का किस्सा है तू। मैंने बस जग़ छोडा है तेरी याद बसा के सीने में तू खिलती रहे तू हस्ती रहे तेरी खुशी का मोल नगीने में। जब भी आए याद मेरी तुम रोना ना इतना करना कि आसमान को देख जरा बस थोड़ा सा मुस्का लेना। मैं साथ हमेशा हूँ तेरे मैं पास हमेशा हूँ तेरे तुम ना सोचो मैं चली गई मैं हर एक आस में हूँ तेरे। ©Sandeep Sagar #maa सागर की डायरी से 📖🖋😊❤️
Sandeep Sagar
White आधा चांद आधा सूरज आधा मैं बंजारों सा आधी आधी दुनिया फिर भी पूरी तुम इन तारों सा।। ©Sandeep Sagar #Moon सागर की डायरी से
Sandeep Sagar
White गिरे आँखों से आँसू तो लगे बहने लगी नदियाँ कि जैसे बिन तुम्हारे कट गयी मेरी पूरी सदियाँ वो मेरी भूल थी जो तुमको मैंने प्यार था समझा नहीं तो यूँ गुजर जाती थी एक तूफ़ाँ भरी रतियाँ। मुझे अब ख़्वाब भी वो लगने लगे है यूँ परायों से की जैसे तितलियाँ उड़ने लगी है इन सरायों से तुम्हे मैं दूँ बना एक आदमी वो भी मुन्तशिर सा मगर ना दूँ तुम्हें वो दिल जो तुम भरते थे किरायों से। मुझे अब एक नदी सी घाट घाट दरिया में जानी है पहाड़ों,पेड़ पर जाना खुद ही पंछी सी ठानी है वो एक पर्वत के पीछे एक बड़ी सी शांत घाटी है वही जीना वही मरना यही बस जिंदगानी है।। ©Sandeep Sagar #Road सागर की डायरी से