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Babli Gurjar

सुशिक्षित #शायरी

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Vinod Bagul

सुशिक्षित झाऊत #poetryunplugged #nojotovideo

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kavi Dinesh kumar

#बेरोजगार मैं बेरोजगार हूं #कविता

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durgesh ujiyal

पूर्वार्थ

खाली कंधों पर थोड़ा सा भार चाहिए
बेरोजगार हूँ साहब रोजगार चाहिए
जेब में पैसे नहीं हैं डिग्री लिए फिरता हूँ
दिनोदिन अपनी नजरों में गिरता हूँ.
कामयाबी के घर में खुले किवाड़ चाहिए
बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए
टेलेंट की कमी नहीं हैं भारत की सड़कों पर
दुनिया बदल देगे भरोसा करो इन लड़कों पर
लिखते लिखते मेरी कलम तक घिस गई
नौकरी की प्रक्रिया में अब सुधार चाहिए
बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए
दिन रात करके मेहनत बहुत करता हूँ
सुखी रोटी खाकर ही चैन से पेट भरता हूँ
भ्रष्टाचार से लोग खूब नौकरी पा रहे हैं
रिश्वत की कमाई खूब मजे से खा रहे है.
नौकरी पाने के लिए यहाँ जुगाड़ चाहिए
बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए

©पूर्वार्थ #बेरोजगार

Mohit Dadhich

बेरोजगार

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3000-3500

चिरागों को हवाओं में उछाला जा 
रहा है
हवाओं पर भी रॉब डाला जा रहा है
अरे हम ही तो बुनियाद है
युवा भारत की
और आज हमें ही
  बेरोजगार की उपाधि  से नवाजा जा रहा हैं। बेरोजगार

Abhit khudarvi

जो आप खुद को खुदा समझते हो
ओर हर बात में अपने झूठे कसीदे पढ़ते हो।
ऐसा नही है कि हम समझते नही है
पूरे शहर को इल्म है इस हालात का
पर खामोस सब कुछ कहते नही है।
बांट धर्म के बवंडर में जो आप खेल रहे हैं
गलती हमने ही किया था जो आपको झेल रहे है।
वक्क्त आने दो हम आपको आईना दिखायँगे
ओर जितना ऊपर आप समझते है खुद को
हम उतना नीचे गिरायँगे।
ऐसा उत्पात मचेगा आप त्राहिमाम हो जायँगे
और हर क्रोध एक ज्वाला बनेगा
तब आपको आपकी अवकात दिखायँगे। #बेरोजगार

भगवान ukpedia

#Pehlealfaaz संघर्षों की लहरें नहीं, शांति का कगार लिखता हूँ,
चमचमाते शहर नहीं, अंधकार का पहाड़ लिखता हूँ,
ताजा समाचार नहीं, रात्रि छप जाने वाला अखबार लिखता हूँ,
सपनों की कब्र पर महिनान्त मिलने वाली पगार लिखता हूँ,
आज मैं बेगार लिखता हूँ..

प्रगति की मिश्री नहीं, ठप पड़ा कारोबार लिखता हूँ,
बेखौफ गुनहगार और खौफजदा थानेदार लिखता हूँ,
स्थिर मजदूर और गतिशील ठेकेदार लिखता हूँ,
नीति का नवाचार नहीं, राजनीति का प्रतिकार लिखता हूँ,
युवा हृदय के धधकते अंगार लिखता हूँ,
आज मैं सरकार नहीं, बेरोजगार लिखता हूँ,
                  आज मैं बेगार लिखता हूँ... #बेरोजगार

Krtikaa

बेरोजगार #Poetry

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पूर्वार्थ

खाली कंधों पर थोड़ा सा भार चाहिए
बेरोजगार हूँ साहब रोजगार चाहिए
जेब में पैसे नहीं हैं डिग्री लिए फिरता हूँ
दिनोदिन अपनी नजरों में गिरता हूँ.
कामयाबी के घर में खुले किवाड़ चाहिए
बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए
टेलेंट की कमी नहीं हैं भारत की सड़कों पर
दुनिया बदल देगे भरोसा करो इन लड़कों पर
लिखते लिखते मेरी कलम तक घिस गई
नौकरी की प्रक्रिया में अब सुधार चाहिए
बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए
दिन रात करके मेहनत बहुत करता हूँ
सुखी रोटी खाकर ही चैन से पेट भरता हूँ
भ्रष्टाचार से लोग खूब नौकरी पा रहे हैं
रिश्वत की कमाई खूब मजे से खा रहे है.
नौकरी पाने के लिए यहाँ जुगाड़ चाहिए
बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए

©पूर्वार्थ #बेरोजगार
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