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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी आत्मनिर्भय कैसे बनते झूठ का यहाँ कारोबार है आपदाओं को अवसर बनाने की होड़ सियासतों के रोज लगते दाँव है आत्मसम्मान सब का खो रहा किस्मत आजमाने का नही मार्ग है फरेबों और झूठो ने गठ जोड़ बना लिया समस्याओं का खड़ा पहाड़ है सच्चाई की फजीहत हो गयी गुमराह सारा जहान है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #motivate आत्म निर्भर कैसे बनते
#motivate आत्म निर्भर कैसे बनते
read moreSandeep Kothar
Unsplash "खामोशी का आईना" शहर की भीड़ से, कहीं दूर, सुकून के पल तलाशता हूं, शोरगुल की आगोश में खोया हुआ, मेरा अक्स, मेरी पहचान तलाशता हूं। न जाने कब और कहां, मेरे खयालों का जहां मिल जाए, इस उम्मीद में, खामोशी का आईना तलाशता हूं। ©Sandeep Kothar प्रिय पाठकों, मैं आपके साथ अपने दिल की गहराई से बात करना चाहता हूं। मेरी कविता में मैंने अपनी जीवन यात्रा को व्यक्त किया है, जो शहर की भीड़
प्रिय पाठकों, मैं आपके साथ अपने दिल की गहराई से बात करना चाहता हूं। मेरी कविता में मैंने अपनी जीवन यात्रा को व्यक्त किया है, जो शहर की भीड़
read moreJitendra Giri Hindu
"कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं।" - यह हमें याद दिलाता है कि चुनौतियाँ हमारे विकास का हिस्सा हैं। ©Jitendra Giri Hindu पॉजिटिव गुड मॉर्निंग कोट्स मोटिवेशनल कोट्स कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स हिंदी गुड मॉर्निंग कोट्स कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं – यह एक
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read morek.Harmukh
भीतर भीतर सब रस चूसै, हंसि हंसि के तन मन धन मूसै। जाहिर बातन में अति तेज, कयों सखि सज्जन नहिं अंग्रेज।। भारतेंदु ©Khushboo #sad_quotes #भारतेन्दु #हिंदी #हिंदी_कोट्स_शायरी #हिंदी_कविता #आधुनिकयुग #खुशबू #हिंदी_साहित्य #चेतना अनमोल विचार बेस्ट सुविचार हिंदी छोटे
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read morepuja udeshi
एक औरत घर तब छोड़ती हैं जब उसके आत्मसम्मान क़ो ठेस पहुँचती हैं वो बच्ची के साथ वो घर छोड देती हैं खुद आत्म निर्भर बनने वो दुबारा घर भी नहीं बसाती बच्ची की देखभाल और carrier की खातिर कठिन मेहनत करती हैं मर्द समाज क़ो देखता हैं पर औरत के प्यार क़ो नहीं पहचान पाता हाथ उठा कर मर्द बनता हैं ऐसे मर्द एकाकी जीवन जीते हैं.... ©puja udeshi एक औरत घर तब छोड़ती हैं जब उसके आत्मसम्मान क़ो ठेस पहुँचती हैं वो बच्ची के साथ वो घर छोड देती हैं खुद आत्म निर्भर बनने वो दुबारा घर भी नहीं
एक औरत घर तब छोड़ती हैं जब उसके आत्मसम्मान क़ो ठेस पहुँचती हैं वो बच्ची के साथ वो घर छोड देती हैं खुद आत्म निर्भर बनने वो दुबारा घर भी नहीं
read moreVinod Mishra
Vinod Mishra
संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
हिन्दी अनुवाद भाग२ आज भी अग्निपरीक्षा (लेख) आज भी स्थिति यही है हर नारी की अग्निपरीक्षा देती है हर क्षण प्रतिक्षण, प्रश्नावली जीवन की समाज
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