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कवि अर्जून सिंह बंजारा
हिंदी साहित्य मंच ©कवि अर्जून सिंह बंजारा कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता आज की पीढ़ी
roshan lal
White याद रहे तारीफों के पुल के नीचे अक्सर मतलब की नदी बहती है! ©roshan lal #Moon तारीफ और नदी
HARSH369
मन कि व्यथा मन ही जाने, ना तुम जान सको न मैं जानू क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन ना तुम जान सको ना हि मैं जानू.. बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..! बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..! मन की व्यथा..मन हि जाने..!! ©SHI.V.A 369 #मन की व्यथा..!! #कविता मन की
Sunil Kumar Maurya Bekhud
पर्वतों के बीच में नदी है मनोहर कल कल करती बह रही निरंतर निर्मल जल शीतल अथाह चंचल बदल रहा निज स्वरूप पल पल विह्वल हो निहारता अंबर छवि झांकता मेघों से इसको देखो रवि लज्जा भरी हुई प्रकृति आनंदित देख रहा है कवि होकर प्रसन्नचित ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #नदी
HintsOfHeart.
"सपने की एक किरण मुझको दो ना, है मेरा इष्ट तुम्हारे उस सपने का कण होना। और सब समय पराया है, बस उतना ही क्षण अपना। तुम्हारी पलकों का कँपना, तनिक-सा चमक खुलना, फिर झँपना।"¹ ©HintsOfHeart. #Good_Night 💖 1.अज्ञेय की कविता #पलकों_का_कँपना का अंश।
Sunil Kumar Maurya Bekhud
नदी बह रही है अविरल ध्वनि करती है कल कल वृक्ष खड़े हैं प्रहरी बनकर रक्षा करते हैं पल पल तट पर खड़े कतारों में बोल रहे हैं हम सबसे बेखुद तुम खिलवाड़ नहीं कर सकते करके हलचल ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #नदी
paritosh@run
वो नदी थी वापस मुड़ी नहीं... मैं समंदर था आगे बढ़ा नहीं... ©paritosh@run वो नदी थी..