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सुनील मिश्रा
कथा सुनने गया एक व्यक्ति उधर से रोता हुआ रहा था, मैंने पूछा क्या हुआ भाई वह बोला कि भाई आज बहुत पिटाई कर दी लोगों ने कहीं बात तो बताओ क्या हुआ कथा में पंडित जी कह रहे थे पति पत्नी साइकिल के दो पहिए मैंने केवल इतना पूछा की पड़ोसन को मिलाकर रिक्शा बना लूं तो कैसा रहेगा इतने में पंडित जी ने बहुत पीटा आपका सुनील ©सुनील मिश्रा रिक्सा
Mamta Singh
ये बेटियाँ है साहब हर हाल में मुस्कुराना जानती है खुद मुफलसी में रह कर भी वालिदेन का कर्ज उतारना जानती है। तुम थक जाते हाे अपनाें काे संम्भालने मे ये दाे कुलाें की लाज बचाना जानती है। बात जाे मान -सम्मान पर आए बगैर साेचे-समझे, खुद काे जला देना भी जानती है। वह व्यक्ति जाे रिक्शा पर बैठा है कह रिक्सा पुलर है ,और रिक्सा चला रही है उसकी प्यारी बेटी जाे IAS topper है। पिता#बेटी#रिश्ता#yqbaba#yqdada
Neeraj Upadhyay 9548637485
Anand Mohan Jha
हरीश वर्मा हरी बेचैन
मित्रो नमस्कार ! -----------------------मेरी आवाज पढो!.. मैं मजदूर हूँ,मैं रिक्सा चालक हूं ! मैं तेहाडी हूं,मैं ही बलिहारी हूँ! दूर बहुत दूर, खलियानों में, धूप,बरसात,और सरद में, रुखी सूखी खा कर, पसीने से तर बतर.. पसीना बहता हूं !! मैं ही मैं मजदूर कहलाता हूँ!! मैं और मेरा भाई सरहद में.. जीत जीत कर लौट आता हूँ!! मैं हूँ देश का,मेरा है देश.. इसीलिये खून मैं अपना बहता हूँ! शहीद हो जाता हूं! मै और मेरा परवार सड़को पर.. रिक्सा चलाते हूं ,खोमचा लगाता हूं! बड़े बड़े मीलों में दुनियां बनाता हूं! गटर में घुस कर गंदगी उठता हूं! जाति धर्म के चक्रव्यूह में फसकर.. बट कर टूट टूट जाता हूं! छलते है लोग मुझे कदम कदम पर.. बंदेमातरम का मैं गीत गाता हूं! मेरा देश है ये,हम भी तो सायद. . . आजद ही कहलाते है !! मेरे पास अपना घर नही है! मेरा अपना शहर नही है! मै ही तो हूँ जो लुटता हूँ. . .या लूटा जाता हूँ. .सायद. . मेरी आवाज सुनो . . . मै भी अजाद होना चाहता हूँ! 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 हरीश वर्मा हरी बेचैन ८८४०८१२७१८ मित्रो नमस्कार ! -----------------------मेरी आवाज पढो!.. मैं मजदूर हूँ,मैं रिक्सा चालक हूं ! मैं तेहाडी हूं,मैं ही बलिहारी हूँ! दूर बहुत दूर
Swati shikha laxmi
नशा मैखाने का तुम बुरा समझते हो , कभी गए हो बड़े बंगलों में जो खुदको छोटा समझते हो? एक रोटी कम खा कर तुम उसको बदनसीबी समझते हो कभी चखे है छप्पन भोग अकेले बैठ! जो तुम उसको ख़ुशनसीबी समझते हो? (read caption) नशा मैखाने का तुम बुरा समझते हो कभी गए हो बड़े बंगलों में जो खुदको छोटा समझते हो? एक रोटी कम खा कर तुम उसको बदनसीबी समझते हो कभी चखे है
Kh_Nazim
खनक....! तनो,बेग़री में सब कुछ छोड़ आया हूँ, अपने मका से यु ही खफा होकर मैं मुँह मोड़ आया हूं। अपने माँ बाप चाचा ताऊ को, अकेला छोड़, अंजन परदेश में प्रवास की ज़िन्दगी बिताने चन्द सिक्कों के लिए .. मैं अपना ज़मीर बेच आया हूँ । शायद पता था । कि मुश्किल है यह सफर फिर भी चोरी से माँ के गहने बेच एक रिक्सा खरीद लाया हूँ। अपने वजूद को भूलकर अपना वजूद बनाने आया हूं, बड़ी मुश्किल से मका को भूलकर... आज खुले आसमान के नीचे सो पाया हूं । अकेला छोड़.... अपनी यादो का मेला,बापू जी की डांट का डर,माँ का प्यार, चाचा की ठिठोली ..... मैं चन्द सिक्कों की खनक में, वो सब गवा आया हूँ। मेरी आँखों ने जो चकाचौंध देखीं इस बड़े दिल्ली शहर की अधेरे में, उस रात को बड़ी तकलीफ से काट पाया हूँ। अकेला छोड़ अपनी दुनियाँ को अंजानो की बस्ती में रहने आया हूं गवा कर अपनी दौलत देखो मैं जाहिल दौलत कमाने आया हूँ। खनक....! तनो,बेग़री में सब कुछ छोड़ आया हूँ, अपने मका से यु ही खफा होकर मैं मुँह मोड़ आया हूं। अपने माँ बाप चाचा ताऊ को, अकेला छोड़, अंजन परद
Shilpi Signodia
Odhni शादी का घर है। चारो ओर भगदड़ मची हुई है। सबसे ज्यादा बोझ मा के सिर पर था। मा: अरे रामू! फूलो की बंदनवार लगवा दी सब जगह। रामू: हा माजी, हो ह
saumya
इत्तेफ़ाक ए इश्क़ love story part two read in caption मै उसके ख्यालों में खोया हुआ था बार बार उसका चेहरा मेरे सामने आ रहा था क्या हो रहा था मुझे ....थोड़ा मूड फ्रेश करने के लिए सोसायटी से बाहर न