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kavi manish mann

सादर नमन दोहा धुरंधर मंच
 दिनांक–२५/०६/२०२१
 दिन–शुक्रवार
प्रदत्त शब्द- “शोक”
विधा–दोहा छंद।

कर्महीन मानुष सदा,देय भाग्य को दोष।
चिंता में  डूबा रहे, नित्य करे  वो शोक।।

मनीष कुमार ‘मन’
पूर्णतः स्वरचित मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित।

©kavi manish mann #कर्महीन #मनुष्य #शोक #मौर्यवंशी_मनीष_मन 

#Mic

Divyanshu Pathak

कि मैं सिर्फ मन का भाव हूँ जो इच्छाओं पर निर्भर रहता है। तुम श्रम करके उन्हें पूरा करोगे तो प्रसन्नता दूँगा। और न कर पाए तो सन्ताप या दुःख क #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqhindi #at #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #काशकोईसमझपाता

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कि मैं सिर्फ मन का भाव हूँ
जो इच्छाओं पर निर्भर रहता है।
तुम श्रम करके उन्हें पूरा करोगे
तो प्रसन्नता दूँगा।
और न कर पाए तो सन्ताप या
दुःख का कारण बनूँगा।

कैप्शन में पढ़ें ----- कि मैं सिर्फ मन का भाव हूँ
जो इच्छाओं पर निर्भर रहता है।
तुम श्रम करके उन्हें पूरा करोगे
तो प्रसन्नता दूँगा।
और न कर पाए तो सन्ताप या
दुःख क

रजनीश "स्वच्छंद"

जुर्म।। जुर्म कहो कब बदला है, चेहरे बदलते हैं, खेल वही तो चलता है, मोहरे बदलते हैं। रहो जागते गूंज रहा पर शहर पड़ा विराना था, सीटी कहो कब ब #Poetry #kavita #nojotophoto

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 जुर्म।।

जुर्म कहो कब बदला है, चेहरे बदलते हैं,
खेल वही तो चलता है, मोहरे बदलते हैं।

रहो जागते गूंज रहा पर शहर पड़ा विराना था,
सीटी कहो कब ब

Jai Singh

मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन मैं भौतिक चीज़ें भी मिस कर दूं तुम सोंच परख लो बीन बीन बाथरूम की लाइट ऑफ #कर्मठ

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मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन

मैं भौतिक चीज़ें भी मिस कर दूं

तुम सोंच परख लो बीन बीन

बाथरूम की लाइट ऑफ
फ़्रिज का दरवाजा बंद
पंखा बंद, लाइट बंद
AC बंद के नारों से प्रिये
कर डाला जीवन क्षीण क्षीण

मैं भौतिक चीज़ें भी मिस कर दूं
तुम सोंच परख लो बीन बीन

यहां का कूड़ा वहां का कूड़ा
यहां की सामान वहां पड़ा है
जूता क्यों तिरछा रखा है
इतनी तीखी नज़र लिए प्रिये
बड़ी कड़क है ये निगाहबीन

मैं भौतिक चीज़ें भी मिस कर दूं
तुम सोंच परख लो बीन बीन 
मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन

मैं भौतिक चीज़ें भी मिस कर दूं
तुम सोंच परख लो बीन बीन

बाथरूम की लाइट ऑफ

Jai Singh

Complete poem मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन मैं भौतिक चीज़ें भी मिस कर दूं तुम सोंच परख लो बीन बीन

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Part 2. complete poem in caption

मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन

चश्मा यहां क्यों, ये कलम गिरी है
तुम्हारी जेब मे बीड़ी मिली है
तुम आड़ा तिरछा क्यों बैठे हो
गेस्ट आये हैं मुँह तो धो लो
कितनी कर्मठ तुम, मैं कर्महीन


मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन

मायके से कोई आ जाये तो
ऊपर से तो मीठा मीठा 
चुपके से पर ठूंस ठूंस कर 
कोटा चौगुना कर देते प्रिये
तुम निरी गाय, मैं ही कमीन


मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन

अब आदत पड़ गयी है
जीवन वीरान से लगने लगता
जब नही होती तुम पास प्रिये
तब सब कर लेता हूँ एकदम परफेक्ट
कब क्या डांटोगी किस बात पर
मन मे रीप्ले कर देता मैं गिन गिन

मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन Complete poem

मैं चश्माधारी, तुम खुर्दबीन
तुम ये खुर्राट मैं दीन हीन

मैं भौतिक चीज़ें भी मिस कर दूं
तुम सोंच परख लो बीन बीन

Divyanshu Pathak

Good morning ji 🍉🍉🍉🍨🍧💕💕💕☕☕☕☕☕आप सभी को सादर प्रणाम आज प्रातःबेला में स्वागत है। : : भारत ऋषि-मुनियों की, ध्यान-धारणा-समाधि, भक्ति, शौर्य की #shweta #priyanka #Priya #komal #indu

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कितनी कीमत चुकाई थी इस देश ने आजादी के लिए।
कितनी जानें न्यौछावर हुईं।
उनके नाम पर आज कितने लोग बेशर्मी से,पेंशन ले रहे हैं।
यह प्रमाण है कि 65 साल में
हम “आजादी के मतवाले” देश को कहां से कहां ले आए।
हर साल बेरोजगारी और भुखमरी का विकास हो रहा है।
भ्रष्टाचार के परचम लहरा रहे हैं।
नेता और अफसर स्वयं तो कानून से ऊपर जी रहे हैं।
संविधान भारतीय लगता ही नहीं।
इसमें इतने संशोधन हो चुके हैं विकास के नाम पर,
धर्मनिरपेक्षता के नाम पर,
तीनों पायों की सुरक्षा के नाम पर इसकी सूरत ही बिगड़ गई है।
देश की एकता एवं अखण्डता का
यह प्रतीक आज खण्डन-मण्डन (अल्पसंख्यक, आरक्षित वर्ग आदि) की मशाल हाथ में लिए खड़ा है।
अखण्डता इतिहास में खो गई। Good morning ji 🍉🍉🍉🍨🍧💕💕💕☕☕☕☕☕आप सभी को सादर प्रणाम आज प्रातःबेला में स्वागत है।
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भारत ऋषि-मुनियों की, ध्यान-धारणा-समाधि, भक्ति, शौर्य की

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 4 – कर्म 'कुछ कर्मों के करने से पुण्य होता है, और कुछ के न करने से। कुछ कर्मों के कर

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
4 – कर्म

'कुछ कर्मों के करने से पुण्य होता है, और कुछ के न करने से। कुछ कर्मों के कर

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 4 – कर्म 'कुछ कर्मों के करने से पुण्य होता है, और कुछ के न करने से। कुछ कर्मों के कर

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
4 – कर्म

'कुछ कर्मों के करने से पुण्य होता है, और कुछ के न करने से। कुछ कर्मों के कर
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