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Stories related to जज़्बा bandeyaa

theABHAYSINGH_BIPIN

#Book चलो कोई मंज़िल तलाशते हैं, किसी के सपनों को सजाते हैं। खो गई हैं जो चेहरे की मुस्कान, चलो उसे वापस लाते हैं। गिर रहे हैं आंधियों से

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Unsplash चलो कोई मंज़िल तलाशते हैं,
किसी के सपनों को सजाते हैं।
खो गई हैं जो चेहरे की मुस्कान,
चलो उसे वापस लाते हैं।

गिर रहे हैं आंधियों से आशियाँ,
चलो नया इक घर बनाते हैं।
भटक गए हैं जो अपने रास्तों से,
चलो उन्हें राह दिखाते हैं।

चलो इंसान को इंसान बनाते हैं,
जो फासले बने हैं, उन्हें मिटाते हैं।
जो मासूमियत दब रही है धूल में,
चलो उसे आईना दिखाते हैं।

दम तोड़ रहे हैं जो बेबस लम्हों में,
चलो उन्हें जीने का जज़्बा सिखाते हैं।
जो टूट गए हैं डर के साए में,
चलो उन्हें उम्मीद से मिलाते हैं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Book 
चलो कोई मंज़िल तलाशते हैं,
किसी के सपनों को सजाते हैं।
खो गई हैं जो चेहरे की मुस्कान,
चलो उसे वापस लाते हैं।

गिर रहे हैं आंधियों से

#Mr.India

ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर प

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White ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है,
सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है।
उम्मीदें पलती हैं, फिर पल में बिखर जाती हैं,
ठोकर लगती है तो ज़िंदगी रुककर ख़ुद सँभल जाती है।

हर मोड़ पर आफ़तें हैं, हर रास्ता अजनबी है,
सिरफ़रोशी का जज़्बा है, यही हमारी तलब है।
तूफ़ानों में चलने का इरादा हमने बांधा है,
जहाँ सहर नहीं, वहीं एक चिराग़ हमने जलाया है।

हवा के रुख़ से डरकर हम क़दम पीछे नहीं करते,
सूरज की तपिश में भी साया ढूंढ लिया करते।
मंज़िल नहीं तो क्या हुआ, सफ़र का मज़ा लिया जाएगा,
हर गिरते पत्थर को राह का नक़्शा बनाया जाएगा।

©#Mr.India ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है,
सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है।
उम्मीदें पलती हैं, फिर प

नवनीत ठाकुर

"इस दुनिया को अपना नाम तो दे, काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे, मंजिल को कोई मुकाम तो दे, छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ हर कदम पर अपनी प

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इस दुनिया को अपना नाम तो दे,
काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे।
मंजिल को आखिर कोई मुकाम तो दे।
छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ, 
हर कदम पर अपनी पहचान तो दे।
दुनिया को दिखा दे अपनी हिम्मत का जज़्बा,
किसी के रोकने से भी न रुके, 
वही सच्चा इन्सान तो दे।

©नवनीत ठाकुर "इस दुनिया को अपना नाम तो दे,
काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे,
मंजिल को कोई मुकाम तो दे,
छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ 
हर कदम पर अपनी प
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