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kirla

#justice

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©kirla #justice

Chreey chreey

#leafbook peace of mind of ☘️🌵

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Unsplash  peace of mind of ☘️🌵

©Chreey chreey #leafbook  peace of mind of ☘️🌵

Praveen Jain "पल्लव"

#justice अंधा कानून बेकसूरों की जान निगल रहा है

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पल्लव की डायरी
जीवन को ही मौत के गले लगा ले
अन्याय के डर से
तोड़ दे आदमी को न्याय के दरबार से
लिखी जाये पटकथा सौदे के लिये
और फैलाया जाये मकड़जाल तारीखों के रूप में
तोड़ दो भरम अब न्याय का
मुँह यहाँ काला सच्चाई का होता है
झूठे गवाह झूठे केसो से
निर्वाह वकीलों और जजों का होता है
जमानत और तारीखे 
बढ़ाने भर का बस यहाँ खेल होता है
दम तोड़ती इंसानियत
सुसाइड न्याय कर रहा है
अंधा कानून बेकसूरों की जान निगल रहा है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #justice अंधा कानून बेकसूरों की जान निगल रहा है

Ankitaishika

#justice

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Har galiti ki saja hoti hai..
Phir galti kisiki bhi kyu n ho.

©Ankitaishika #justice

Ravi Gupta

#justice

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“जो वकील अपने मुवक्किल की उम्मीदों को व्यापार समझे, वह न्याय की मर्यादा को ठेस पहुंचाता है।”

©Ravi Gupta #justice

साँस लेती hui lash

White 

You must have understood what I am writing about rapist

कुछ एक हादसों से पहले हमको ये लगता था की  दरिन्दे आदमी के खाल में नहीं आते 
✍️✍️

©साँस लेती hui lash #rapist #girl #Rape #justice #Deep #duniya #matlabi #Bharosa #Nahi #Hona  sad shayari

C2

इन दिनों कुछ शब्द है जो गूंज रहे है देश में 
असल में चुभ रहे है भविष्य के कानों में
मॉब लिंचिंग से मौत और दंगे,अब हैरान नहीं करते
खौंफ जगाते हैं बहुतों को अपने आज और कल के होने में
कभी संभल तो कभी अजमेर, मणिपुर का तो अभी जिक्र भी नहीं
आग की लपटें, चारों और धुआं ही धुआं और पथराव
ये तस्वीरे हर रोज की खबर है, जिसे मैं देखना नहीं चाहता
मैं भविष्य आज खड़ा हूं इस असीम शोर-नहीं-बवाल में
शिमला कितना ठंडा है... फिर उसमें ऊबाल क्यों 
कुछ तो गलत है शायद सही सुझाव सोच से परे है 
क्या किसी को शांति पसंद नहीं जिस पर अमल हो
क्या कोई सुलगती आग को बुझाना नहीं चाहता 
मैं भविष्य, ऐसा भविष्य बिल्कुल नहीं चाहता 
वक्त रहते इसका अंत हो, समस्या का निदान हो
ये सूरज की लालिमा का रंग सूरज से ही निकले तो अच्छा है
धरती से सूरज को जाएगा तो सब कुछ जलना  ही है 
मुझे तो कल में जीना है और ज्वलंत लपटें चुभ रही है
मैं भविष्य, ऐसा भविष्य बिल्कुल नहीं चाहता 
क्या कोई सुलगती आग को बुझाना नहीं जानता।।
 -C2


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©C2 #protest #peace #justice #harmony #poem

Shashi Goutam

Kumar.Satyajit

Shashi Goutam

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