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Stories related to बहा किलिकी सोंग

theABHAYSINGH_BIPIN

#lovelife आओ फिर से अजनबी हो जाएं, दिल से हर ग़म को भुला जाएं। तुम्हारी वही नज़र, वही अंदाज़ हो, फिर से मोहब्बत का आगाज़ हो। सुलझा लें रिश्

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Unsplash आओ फिर से अजनबी हो जाएं,
दिल से हर ग़म को भुला जाएं।
तुम्हारी वही नज़र, वही अंदाज़ हो,
फिर से मोहब्बत का आगाज़ हो।

सुलझा लें रिश्तों की उलझी डोर,
हर ख्वाब फिर से करें चमत्कोर।
नीलगगन की बाहों में उड़ते रहें,
प्यार का पतंग संग थामे चलें।

हर शिकायत को हवा में बहा दें,
हर दूरी को अपने करीब ला दें।
आओ फिर से अजनबी हो जाएं,
एक नई दास्तां फिर लिख जाएं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #lovelife आओ फिर से अजनबी हो जाएं,
दिल से हर ग़म को भुला जाएं।
तुम्हारी वही नज़र, वही अंदाज़ हो,
फिर से मोहब्बत का आगाज़ हो।

सुलझा लें रिश्

theABHAYSINGH_BIPIN

#love_shayari रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कहीं बारिश तो ओले गिराए। कहीं मिलन के फूल खिलाए, रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कभी चारों तरफ़ बहा

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White रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कहीं बारिश तो ओले गिराए।
कहीं मिलन के फूल खिलाए,
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कभी चारों तरफ़ बहारें छाईं,
कभी जुदाई से भरी पतझड़ आई।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

कभी रुस्वाई से भरी रातें थीं,
तो कहीं जुदाई के आँसू बहाए।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कभी उम्मीदों का सूरज उग जाए,
कभी बगैर चाँद आसमान सुना हो जाए।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

कभी सपनों को बहार मिली,
कभी उम्मीदों पर सितारे गिरे।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।
कभी पलकों पे मुस्कानें बिखरीं,
कभी दिलों पे ग़मों के छाए।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

कभी खुशियों का झरना बहा,
कभी ख़ामोशियाँ गूंजीं यहाँ।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।
कभी सर्द हवाओं में आग जली,
कभी गर्मी में बर्फ़ पिघली।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari 
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कहीं बारिश तो ओले गिराए।
कहीं मिलन के फूल खिलाए,
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कभी चारों तरफ़ बहा

Madhur Kumar

सोंग

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नवनीत ठाकुर

"उठाओ जाम, बहा दो हर ग़म की याद, आज के पल में छुपा है हर सवेर का राज। हँसी में डूबा दो हर दर्द की बात, दिलों में फिर से बसा दो वो पुराना साथ

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"उठाओ जाम, बहा दो हर ग़म की याद,
आज के पल में छुपा है हर सवेर का राज।
हँसी में डूबा दो हर दर्द की बात,
दिलों में फिर से बसा दो वो पुराना साथ,
मयखाना खोल दो, मिले हैं यार दो साल बाद।"
हर दिल से मिटा दो दूरी की साज़िश,
महफ़िल को बना दो जन्नत की सौगात।"

©नवनीत ठाकुर "उठाओ जाम, बहा दो हर ग़म की याद,
आज के पल में छुपा है हर सवेर का राज।
हँसी में डूबा दो हर दर्द की बात,
दिलों में फिर से बसा दो वो पुराना साथ
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