Find the Latest Status about दिल की कलम से from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, दिल की कलम से.
Gondwana Sherni 750
तुमने समझा हम हार जायेगे बिखर जायेगे तुमने हमारे जर जंगल जमीन को छीना हमारे बहन बेटियों के साथ शोषण अत्याचार किया हमारा सहारा छीना हमारे इच्छाओं को छीना यहां तक कि घर गांव भी छीन लिया हमारे लोगो को खरीदा मालिक से नौकर बना दिया हमारी नीद छीनी चैन,सुकुन छीना हमारे लोगो को अपने लोगो से दुश्मनी करना सिखाया और मरने के लिए छोड़ दिया कभी नक्सली के नाम से कभी गैर कानूनी तरीके के नाम से लोगो को मारना चालू कर दिया कभी फेक वायरस के नाम पे कभी वेक्सीन के नाम पे कभी हार्प के नाम से कभी 5 जी रेडिएशन के नाम से तुम्हे लगा हम हार मान लेंगे लेकिन ये हम स्पष्ट बताना चाहते हैं की ना कभी हमने हार माना है और ना कभी हम हार मानेंगे विद्रोही क्रान्तिकारी ✍️✍️ @preeti_uikye750 29/05/24 ©Gondwana Sherni 750 विद्रोही की कलम
विद्रोही की कलम #विचार
read moreRjSunitkumar
वो तरक्की ही किस काम की जो बुढ़ापे में मां बाप का सहारा हम बन ही न सके और नाही हम अपने जीवनसाथी को समय ही न दे सके। ©RjSunitkumar दिल से
दिल से #વિચારો
read moreLakhan Rajput BJP
दिल है की मानता ही नहीं ©Lakhan Rajput BJP दिल की बात दिल से
दिल की बात दिल से #शायरी
read moreRameshwar Nag
White दिल तकलीफ मे है और तकलीफ देने वाले दिल मे! ©Rameshwar Nag #love_shayari दिल की बाते दिल से
#love_shayari दिल की बाते दिल से #विचार
read moreअज्ञात
White जब जुबां तक आते आते ठहर जाते हो तुम.. शायद जमाने के डर से सिहर जाते हो तुम.. तब लगता है दिल में ही महफूज हो तुम इसी इत्मीनान पर सब कुछ वार जाते हो तुम.. ©अज्ञात #दिल से दिल तक
K L MAHOBIA
White झुलसती धरती दौषी कौन धरती को स्वर्ग बनाने वालों,इससे जीवन को खतरा है। तपती धरती गर्मी देखो भस्मासुर सा जलता दोषी कौन? विकसित नगर बनाने वालों ,दरख्त आज मिटाने वालों जीवन जाए बनके स्मृतियां चुप क्यों बैठे हो साधे मौन? धारा हुई गरम अब तुम देखो, झुलसा फिर जगमानव है। काट काट कर नग्न नाच रहा बना आप खुद से दानव है। आग लगी धरती पर देखो, झुलस रहा घिर जनजीवन है। कब जाकर अब ये ठहरेगा बना भस्मासुर खुद जीवन है। पशु पक्षी का जीवन बूंद बूंद जल को तरस रहा ये देखो। आग लगी धरती पर सिकता सुखी नदियां यह भी देखो। कल कल करती नदियों झरनों संगीत प्रकृति ने खोया है। घट रही प्राणवायु ये मानस धरती पर प्राणों हित रोया है। घटती जीवन की सांसें कितने कोरोना रोग फिर जन्मेंगे। नहीं रुक तुम देखो जीवन के लिए पल-पल फिर तड़पेंगे। विकसित नगर बनाने वालों , दरख्त आज मिटाने वालों वायु पानी माटी और ध्वनि पर मंडराता जीवन खतरा है। पोषण आहार विकार हृदयाघात विषाक्त पौन रुके सांस। धरती मरघट रेती बंजर भूआपदा पहाड़ो में बाढ़ विनाश। रोटी पानी कपड़ा प्रकृति संसाधन घटते भस्मासुर कौन? जीवन जाए बनकर स्मृतियां चुप क्यों बैठे हो साधे मौन? के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #दिल की कलम से:- के एल महोबिया
Khan Sahab
किस्मत के खेल से निराश नहीं होते जिंदगी में कभी उदास नहीं होते, अपने हाथों की लकीरों पर यकी मत करना किस्मत उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते..! ©Khan Sahab दिल की कलम से
दिल की कलम से #Shayari
read moreSarvesh kumar kashyap
🤔दिल की कलम से 💗💐 #viral #shayri #status #Sarveshkashyap #merikalammerevichar #शायरी
read more