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Sadhna Somvanshi
ख़ुशियों में नजर सी लग गयी... बहुत कुछ था जो जानना था उसका मुझसे पहले भी था कोई उसकी तो आदत सी थी हर किसी से बात करना किसी को भी अपना बना लेना यही करता रहा वो मुझसे कहता रहा प्यार करता हूँ तुम जान बन गयी हो लेकिन मेरे अलावा भी दुसरो से बात करता रहा उससे भी वही प्यार... Sadhna Som.... Story...part 14
Akhil Kael
misunderstood part 14... FINE WE DON'T KNOW WHAT'S OUR BEST TODAY, BUT WE GOTTA BE WILLING TO FIGHT AND FIND IT, OUR WAY, NOT SLEEP WALKING THROUGH IT BECAUSE OUR PAIN, IS GONNA CARVE OUR WAY, WE'LL MAKE SURE THAT WE GOTTA THIS TIME WE STAY, AND FACE OURSELVES HEAD ON, NO MATTER WHAT OR ANYONE SAYS, WE GOTTA MAKE SURE THAT EVEN GOD KNOWS THAT WE ARE DOING COMPLETE JUSTICE TO HIS CHOICE FOR GIVING US A SECOND CHANCE... OUR HONESTY WITH OURSELVES IS TO BE EACH OTHER'S MEASURING STANCE. WE GOTTA GO AHEAD HAND IN HAND.. ONLY THIS TIME TILL WE FIND OURSELVES, ©Akhil Kael #misunderstood part 14 #Journey
रामजी की बेटी
राजा से स्वप्न में ऐसा कहकर भगवान सत्यनारायण अन्तर्धान हो गये। इसके बाद प्रातः काल राजा ने अपने सभासदों के साथ सभा में बैठकर अपना स्वप्न लोगों को बताया और कहा - ‘दोनों बन्दी वणिकपुत्रों को शीघ्र ही मुक्त कर दो।’ राजा की ऐसी बात सुनकर वे राजपुरुष दोनों महाजनों को बन्धनमुक्त करके राजा के सामने लाकर विनयपूर्वक बोले - ‘महाराज! बेड़ी-बन्धन से मुक्त करके दोनों वणिक पुत्र लाये गये हैं। इसके बाद दोनों महाजन नृपश्रेष्ठ चन्द्रकेतु को प्रणाम करके अपने पूर्व-वृतान्त का स्मरण करते हुए भयविह्वन हो गये और कुछ बोल न सके। राजा ने वणिक पुत्रों को देखकर आदरपूर्वक कहा -‘आप लोगों को प्रारब्धवश यह महान दुख प्राप्त हुआ है, इस समय अब कोई भय नहीं है।’, ऐसा कहकर उनकी बेड़ी खुलवाकर क्षौरकर्म आदि कराया। राजा ने वस्त्र, अलंकार देकर उन दोनों वणिकपुत्रों को सन्तुष्ट किया तथा सामने बुलाकर वाणी द्वारा अत्यधिक आनन्दित किया। पहले जो धन लिया था, उसे दूना करके दिया, उसके बाद राजा ने पुनः उनसे कहा - ‘साधो! अब आप अपने घर को जायें।’ राजा को प्रणाम करके ‘आप की कृपा से हम जा रहे हैं।’ - ऐसा कहकर उन दोनों महावैश्यों ने अपने घर की ओर प्रस्थान किया। ©रामजी की बेटी #Aasmaan #katha part 14