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Arora PR
White कोई अज़ान दे रहा हैं कोई नमाज़ पद रहा हैं और कोई ऐसा भी हैं जो भजन कीर्तन में डूबा जा रहा हैं हर किसी क़ो अपना खुदा ढूंढ़ते भटकते हुऐ देखा हैं हमने ©Arora PR अपना अपना खुदा
ABRAR
चाह कर कौन छोड़ता है घर अपना हम मुहाजिर हैं इक नौकरी के लिए ©ABRAR चाह कर कौन छोड़ता है घर अपना हम मुहाजिर हैं इक नौकरी के लिए - अबरार Reeda
paras Dlonelystar
Men walking on dark street अनकही हुई बातें और तन्हाइयों में गुज़री रातें हल्का सा, कोई सपना, घर बना रहा था दिल जो गया था,फिर लौटा नहीं, कभी वो जिसे,धड़कने बनाकर,ज़िन्दगी, मुस्कुरा रहा था की,उखड़ रही थी साँसें और बोझिल थी आँखें धुंधला सा, कोई अपना, नज़र आ रहा था ©paras Dlonelystar #Emotional #parasd #lovequotes #अपना #घर #ज़िन्दगी
Rudra Pratap Singh
मुझे घर बनाने; घर से दूर निकलना पड़ा, और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा। हारा हिम्मत; टूटा हौसला कई बार, बेशक! “कुछ दूर और!” कह कर बस चलना पड़ा। थक कर चूर; जब सोया कभी इत्मीनान से, नींद आई नहीं पूरी रात; बस करवट बदलना पड़ा। याद आती रही मां, बाप से दूर होना खलता रहा, मत पूछो, अपनों से दूर हो कितना मचलना पड़ा। और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा। ©Rudra Pratap Singh मुझे घर बनाने घर से दूर निकालना पड़ा #घर #होली #Festival #holi
Naren K
रात की ठंडी हवा बयांकर हो गई। रात के अंधेरे में, एक अजीब घटना हो गई। एक जोड़ा युवक और युवती, आधे रात को एक कॉलेज में बात कर रहे थे। उन्हें अचानक एक अजीब सी आवाज सुनाई दी। उन्हें संदेह हुआ और उन्हें लगा कि उन्हें भूतों का सामना हो रहा है। सोचते-सोचते उन्हें लगा कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने भूतों का रहस्य बहुत ही सरल दिखाया है। उन्हें भूतों का अज्ञात अनुभव कुछ ही क्षणों के लिए साथ देने वाले अजीब सपने आने लगे। उनके सपने में, एक भयंकर भूत उन्हें उनकी प्रेमिका की ओर दौड़ता हुआ दिखाई दिया। अंधेरे में, उन्हें उनके वज्र दंड से काले आंखे दिखाई दी, लेकिन भूत ने उनकी प्रेमिका को कुछ नहीं किया। वह सिर्फ उनके भय पर धावित हो रहा था.....(पार्ट_1) ©Naren K भूतिया घर...।
ek insan
इस घर के कोने कोने में मेरी यादें हैं, कोने कोने से मुझे प्यार था, मेरा हसना-मेरा रोना, मेरा खिलना, मेरा मुरझाना, तेरा पास आना, और दूर जाना, सपनों सा सजना और बिखर जाना.. ..पर सच है कि किराय के घर को कितना भी सजा लो.. वो अपना घर नहीं होता, मुझे जाना होगा.. सब कुछ छोड़ कर, तुम्हें छोड़ कर, अपनी यादों को छोड़ कर.. ©ek insan घर से दूर एक घर # vidai
Vikas sharma
घर कितने खूबसूरत होते हैं.. घर से निकलते है लौट कर घर आने के लिये... मंजिल को छोड़ आते हैं मंज़िल को पाने के लिये ©Vikas sharma #sunlight घर
Saurabh pal 85
वो गाडी से इलाहाबाद शहर देख रही थी! मैं कनखियो से , उसे देख रहा था !! वो अपना घर देख रही थी। मैं अपना घर देख रहा था !! ©Saurabh Pal वो गाड़ी से इलाहाबाद शहर देख रही थी! मैं कनखियो से , उसे देख रहा था। वो अपना घर देख रही थी। मैं अपना घर देख रहा था!!
r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla
घर से दूर घर की याद बहुत आती है। सुबह तो भाग दौड़ मे निकल जाती, शाम संग यादों का कारवां लाती है, घर से दूर घर की याद बहुत आती है। सब कुछ है इस शहर मे, बस अपनापन नही, कोई अपना नही करवटें बदलती रातों मे माँ की आँचल..। जरा सा तबियत बिगड़ जाने पे, पापा का वो हलचल... गाँव का वो डॉक्टर... जब खाना पकाते वक्त कभी अचानक से जब अंगुली जल जाती है, खाना बन गया है आके खालो ये आवाज कान से होकर आँखों तक आ जाती है... बस मे धक्के खाते वक्त पापा का बाईक से स्कूल छोड़नी याद आती है। बड़े हो जाने पर बचपन की याद सताती है। घर से दूर घर की याद बहुत आती है।। ©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla #LongRoad कविता # घर की याद...