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N S Yadav GoldMine
इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानिए !! 📯📯 {Bolo Ji Radhey Radhey} सांवेर के उलटे हनुमानजी :- 🏯 भारत की धार्मिक नगरी उज्जैन से केवल 30 किमी दूर स्थित है यह धार्मिक स्थान जहाँ भगवान हनुमान जी की उल्टे रूप में पूजा की जाती है। यह मंदिर साँवरे नामक स्थान पर स्थापित है इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं। मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है। 🏯 सांवेर का हनुमान मंदिर हनुमान भक्तों का महत्वपूर्ण स्थान है यहाँ आकर भक्त भगवान के अटूट भक्ति में लीन होकर सभी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं। यह स्थान ऐसे भक्त का रूप है जो भक्त से भक्ति योग्य हो गया। इस मंदिर की खासियत यह है कि इसमें हनुमानजी की उलटी मूर्ति स्थापित है। और इसी वजह से यह मंदिर उलटे हनुमान के नाम से मालवा क्षेत्र में प्रसिद्ध है। 👈 पौराणिक कथा :- 🏯 यहाँ के लोग एक पौराणिक कथा का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जब कहा जाता है कि जब रामायण काल में भगवान श्री राम व रावण का युद्ध हो रहा था, तब अहिरावण ने एक चाल चली. उसने रूप बदल कर अपने को राम की सेना में शामिल कर लिया और जब रात्रि समय सभी लोग सो रहे थे,तब अहिरावण ने अपनी जादुई शक्ति से श्री राम एवं लक्ष्मण जी को मूर्छित कर उनका अपहरण कर लिया। वह उन्हें अपने साथ पाताल लोक में ले जाता है। जब वानर सेना को इस बात का पता चलता है तो चारों ओर हडकंप मच जाता है। सभी इस बात से विचलित हो जाते हैं। 🏯 इस पर हनुमान जी भगवान राम व लक्ष्मण जी की खोज में पाताल लोक पहुँच जाते हैं और वहां पर अहिरावण से युद्ध करके उसका वध कर देते हैं तथा श्री राम एवं लक्ष्मण जी के प्राँणों की रक्षा करते हैं। उन्हें पाताल से निकाल कर सुरक्षित बाहर ले आते हैं। 🏯 ऐसी मान्यता है कि यही वह स्थान है, जहाँ से हनुमानजी ने पाताल लोक जाने हेतु पृथ्वी में प्रवेश किया था। जहाँ से हनुमान जी पाताल लोक की और गए थे। उस समय हनुमान जी के पाँव आकाश की ओर तथा सर धरती की ओर था जिस कारण उनके उल्टे रूप की पूजा की जाती है। 🏯 साँवेर के उलटे हनुमान मंदिर में श्रीराम, सीता, लक्ष्मणजी, शिव-पार्वती की मूर्तियाँ हैं। मंगलवार को हनुमानजी को चौला भी चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि तीन मंगलवार, पाँच मंगलवार यहाँ दर्शन करने से जीवन में आई कठिन से कठिन विपदा दूर हो जाती है। कहते हैं भक्ति में तर्क के बजाय आस्था का महत्व अधिक होता है। यहाँ प्रतिष्ठित मूर्ति अत्यन्त चमत्कारी मानी जाती है। यहाँ कई संतों की समाधियाँ हैं। सन् 1200 तक का इतिहास यहाँ मिलता है। 🏯 उलटे हनुमान मंदिर परिसर में पीपल, नीम, पारिजात, तुलसी, बरगद के पेड़ हैं। यहाँ वर्षों पुराने दो पारिजात के वृक्ष हैं। पुराणों के अनुसार पारिजात वृक्ष में हनुमानजी का भी वास रहता है। मंदिर के आसपास के वृक्षों पर तोतों के कई झुंड हैं। इस बारे में एक दंतकथा भी प्रचलित है। तोता ब्राह्मण का अवतार माना जाता है। हनुमानजी ने भी तुलसीदासजी के लिए तोते का रूप धारण कर उन्हें भी श्रीराम के दर्शन कराए थे। 🏯 नगर के साँवरे क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध पाताल विजय हनुमानन की उलटी प्रतिमा स्थापित है। यहां ऐसी हनुमानजी की दुर्लभ प्रतिमा है जो बहुत ही कम देखने को मिलती है। लोकप्रिय और पुरातन मंदिर होने के कारण हनुमानजी के प्रति श्रद्धा रखने वाले श्रद्धा रखने वाले लोग दूर-दूर से यहां आते हैं और रामभक्त हनुमानजी उनकी मनोकामना पूरी करते हैं। 👉 Rao Sahab N S Yadav... ©N S Yadav GoldMine #mahashivaratri इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानिए !! 📯📯 {Bolo Ji Radhey Radhey} सांवेर
V S
खामियां ही याद रख लो मेरी खासियत तो लोग वैसे ही नजर अंदाज़ करते है ©V S #arabianhorse #खामियां #खासियत #लोग #नजर #अंदाज़ #nojohindi #nojofamily #nojofamily #nokotoshayari Bhavana kmishra Anshu writer All in All E
cheeku
Day 17th of 366 बुरा इंसान नहीं उसका वक्त होता है, जिसके आगे वो झुक जाता है, और अक्सर ऐसे कई फैसले लेने पड़ जाते हैं जो हमारे अपनो नामंजूर होता है। @nyashi❣️ ©cheeku हर वक्त की एक खासियत है, कि वो एक सा नही रहता ।#samay #Waqt #waqtkibaat #खास
Anuradha T Gautam 6280
#शराब पीने वालों के प्रकार 👉वार्तालाप दो दोस्तों के बीच में औरतों के नजरों में शराबियों की टिप्पणी शराब पीने वाले तीन प्रकार के होते हैं १:-#अतिउत्तमशराबी👉फैशन के रूप में पिया जाता है समाज में रुतबा दिखाने के लिए किया जाता है पीते शौक से हैं और घर भी भर देते हैं जिस में की परिवार को कोई शिकायत ना हो कि मैं पीता हूं पर घर में ध्यान नहीं देता हूं शराब पीने वाले को अपने सेहत का कोई भी मोह नहीं रहता🙏 जय हो प्रथम शराबी बाबा की 🙏 २:-#मध्यशराबी👉 यह शराब पीते हैं पर समाज और परिवार से छुपा कर पीना पसंद करते हैं जैसे कभी-कभी तीज त्यौहार और शादी ब्याह में इनकी खासियत है कि दोस्तों के पैसों से ज्यादा खुद के पैसों से कम पीते हैं इसलिए इनको संगति शराबी के नाम से जाना जाता है 🙏 जय हो द्वितीय शराबी बाबा की🙏 ३:-#अन्यशराबी👉 इसमें सबसे ज्यादा लेवल ऊपर है बहुत मिलेंगे जो पी कर यहां वहां डाले रहेंगे घर काम आएंगे बाहर रहेंगे रोड में पड़े रहेंगे और अपना सब कुछ पीने में लुटा देंगे शराब के लिए इनको होस नहीं रहता पूरी जिंदगी शराब की बोतल में ही दिखती है ऐसी शराबी से घर परिवार समाज में बहुत दिक्कतें होती हैं दिन पर दिन इनकी मात्रा ज्यादा होती जा रही है झूठ की व्याख्या बहुत लंबी होती है इन शराबियों में🙏जय हो तृतीय शराबी बाबा की🙏 #नोट-शराब शरीर को खत्म करती है और समाज को भी आओ आज इस शराब को खत्म करते हैं 😀एक बोतल तुम खत्म करो एक बोतल हम खत्म करते हैं..🖊️ 🙏शराब सेहत के लिए हानिकारक है कम से कम किसी और के लिए नहीं अपने शरीर का मोह कर लो एक बार फिर #ठान लो शराब को हाथ नहीं लगाओगे🙏 🙏शराबी बाबा स्वाहा 🙏 😀😀😀😀😀😀 #अनु ॲजुरि🤦🙆♀️ ०५/०१/२४ ©Anuradha T Gautam 6280 #शराब पीने वालों के प्रकार 👉वार्तालाप दो दोस्तों के बीच में औरतों के नजरों में शराबियों की टिप्पणी शराब पीने वाले तीन प्रकार के हो
AJAY NAYAK
मेरी प्यारी हिंदी जो सजती है माथे पर बन बिंदी जो जिससे जुड़ती उसको है निखारती कभी नही जतलाती चुप चाप काम करती ख़ुद के साथ साथ हर भाषा को सम्मान देती ख़ुद के साथ साथ उसे भी बढ़ने का हज़ार मौके है देती यही है इसकी खासियत तभी सबसे ज्यादा है बोली जाती। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Hindidiwas मेरी प्यारी हिंदी जो सजती है माथे पर बन बिंदी जो जिससे जुड़ती उसको है निखारती कभी नही जतलाती चुप चाप काम करती
वंदना ....
कर्ण ... सारा जीवन श्रापित श्रापित हर रिश्ता बेनाम कहो मुझको ही छलने के खातिर मुरली वाले श्याम कहो कीसे लिखूं में प्रेम की पाती कैसे कैसे इंसान हुए रणभूमि में छल करते हो तुम कैसे भगवान हुए ..... 🙏🙏🙏🙏 आप सबके समीक्ष .. अपना कुछ मनोगत व्यक्त करना चाहती हूं " दृष्टिकोण " 🙏🙏🙏🙏🙏 ©वंदना .... #Nozoto #Hindi..🙏🙏 कर्ण के किरदार से मैं बहुत प्रभावित हूं .. वैसे तो हम कहीं भी प्रभावित हो जाते हैं .. जिसे हम सबसे ऊंचे स्तर पर रखते हैं
DILKHUSH KUMAR
गम इंसान के जिंदगी में दवाई की तरह होती है ,जो लगती तो बुरी है ,लेकिन वो हमे बेहतर बनाने के लिए होती है ©DILKHUSH KUMAR #KhoyaMan # इंसान का खासियत का लव किया होती है #@ लव # लाइफ #
S.Kay_Hindustani
कुछ तो खासियत है मुझमें भी साहब.... उसका दिल अब तक किसी पर नहीं आया था। ©S.kay_Hindustani कुछ तो खासियत है मुझमें भी साहब.... उसका दिल अब तक किसी पर नहीं आया था। #Love #s_kay_hindustani
N S Yadav GoldMine
यह हिन्दू धर्म के सबसे प्रमुख और प्राचीनतम धार्मिक स्थलों में से एक है इस मंदिर के बारे में जानिए !! 🔯🔯 {Bolo Ji Radhey Radhey} लिंगराज मंदिर :- लिंगराज मंदिर, जहां भगवान शिव और विष्णु दोनों की एक साथ होती है पूजा :- 🎪 लिंगराज मंदिर उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित है। यह हिन्दू धर्म के सबसे प्रमुख और प्राचीनतम धार्मिक स्थलों में से एक है। इस मंदिर से लाखों भक्तों आस्था जुड़ी हुई है। इस मंदिर से तमाम मान्यताएं और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। लिंगराज मंदिर की प्रसिद्धि और महत्व की वजह से हर साल लाखों श्रद्धालु यहां भगवान शंकर और विष्णु के हरिहर स्वरुप के दर्शन कर अभिभूत होते हैं। यह मंदिर न सिर्फ अपने धार्मिक महत्व की वजह से, बल्कि अपनी अद्भुत बनावट की वजह से भी काफी प्रसिद्ध है। यह उड़ीसा राज्य के प्रमुख आर्कषणों में से एक है। भगवान शिव के हरिहर स्वरुप को समर्पित लिंगराज मंदिर को सोमवंशी सम्राज्य के राजा जाजति केशती द्धारा बनवाया गया था।इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मंदिर में सिर्फ हिन्दू धर्म के लोग ही दर्शन कर सकते हैं, अन्य धर्म के लोगों को इस मंदिर में आने की अनुमति नहीं है। लिंगराज मंदिर का निर्माण एवं इसका इतिहास :- 🎪 भारत के सबसे प्राचीनतम मंदिरो में से एक इस लिंगराज मंदिर के वर्तमान स्वरुप को करीब 11 शताब्दी (1090 से 1104 ईसवी के बीच) में बनवाया गया था। हालांकि, कुछ इतिहासकारों एवं विद्दानों की माने तो यह मंदिर 6 वीं शताब्दी के बाद से ही आस्तित्व में आ गया था, क्योंकि 7वीं सदी के संस्कृत लेखों में इस मंदिर का जिक्र किया गया है। वहीं महान इतिहासकार फग्युर्सन का मानना था कि, इस मंदिर का निर्माण काम ललाट इंदु केशरी ने 615 से 657 ईसवी के बीच करवाया था। इसके बाद जगमोहन (प्रार्थना कक्ष) एवं मुख्य मंदिर और मंदिर के टावर का निर्माण 11वीं सदी में किया गया था, जबकि लिंगराज मंदिर के भोग-मंडप का निर्माण 12वीं सदी में किया गया है। इतिहासकारों के मुताबिक सोमवंशी सम्राज्य के शासक जाजति प्रथम ने, जब अपनी राजधानी राजस्थान के जयपुर से उड़ीसा प्रांत के भुवनेश्वर में स्थानांतरित की थी, तब उन्होंने करीब 11 सदीं में इस मंदिर का निर्माण करवाया था। यह भारत का ऐसा इकलौता मंदिर है, जहां भगवान शंकर और भगवान विष्णु दोनों के ही रुप इस मंदिर में बसते हैं। लिंगराज मंदिर से जुड़ी लोकप्रिय पौराणिक कथा :- 🎪 अपने धार्मिक महत्व एवं बेहतरीन कारीगिरी के लिए पूरे देश में विख्यात लिंगराज मंदिर से कई मान्यताएं एवं पौराणिक कथाएं जुड़ी हुईं हैं। एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान शिव की अर्धांगिनी देवी माता पार्वती ने लिट्टी और वसा नाम के दो महापापी राक्षसों का वध भुवनेश्वर के इसी स्थान पर किया था। और इस युद्ध के बाद जब देवी पार्वती को प्यास लगी, तब भगवान शिव यहां अवतरित हुए और सभी नदियों के योगदान से बिंदू सरस झील का निर्माण किया जो कि बिन्दुसागर सरोवर के नाम से जाना जाता है, इस सरोवर के पास ही लिंगराज का यह अद्भभुत एवं विशालकाय मंदिर स्थित है। लिंगराज मंदिर की अद्भुत संरचना एवं अनूठी वास्तुकला :- 🎪 भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक लिंगराज मंदिर अपने अनूठी वास्तुकला और अद्भुत बनावट के लिए भी जाना जाता है। भगवान शंकर को समर्पित यह मंदिर कलिंग वास्तुशैली और उड़ीसा शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। अपनी अनुपम स्थापत्य कला के लिए मशहूर लिंगराज मंदिर को गहरे शेड बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल कर बनाया गया है। करीब 2,50,000 वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में बना यह अद्भुत मंदिर का मुख्य द्धार पूर्व की तरफ है, जबकि अन्य छोटे उत्तर और दक्षिण दिशा की तरफ मौजूद हैं। 🎪 भव्य बिंदू सागर झील के पास बना यह मंदिर किले की दीवारों से घिरा हुआ है, इसकी दीवारें सुंदर मूर्तियों से सुशोभित हैं तथा इस पर अति सुंदर नक्काशी की गई है। भारत के शानदार मंदिरों में से एक लिंगराज के मंदिर की ऊंचाई 55 मीटर है। मुख्य मंदिर के विमान से गौरी, गणेश और कार्तिकेय के तीन छोटे मंदिर भी जुड़े हुए हैं। इसके अलावा यह मंदिर हिन्दू देवी-देवताओं के करीब डेढ़ सौ छोटे-छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है। मंदिर के चार प्रमुख हिस्से हैं- जिनमें से गर्भ गृह, यज्ञ शैलम, भोग मंडप और नाट्यशाला शामिल हैं। लिंगराज मंदिर में शिवरात्रि का विशेष उत्सव :- 🎪 भारत के इस प्रसिद्द मंदिर में हिन्दुओं के कई पवित्र त्योहारों को धूमधाम से मनाया जाता है। त्योहोरों के दौरान भक्तों की जमकर भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर से निकलने वाली रथ यात्रा, चंदन यात्रा और महाशिवरात्रि का पर्व बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस मौके पर लिंगराज मंदिर की रौनक देखते ही बनती है। भगवान हरिहर को समर्पित इस मंदिर में फाल्गुन महीने में महाशिवरात्रि का त्योहार बनाया जाता है। इस दिन इस मंदिर में प्रतिष्ठित शिव प्रतिमा को विशेष तौर पर सजाया जाता है। 🎪 महाशिवरात्री के दिन लिंगराज को धतूरा, बेलपत्र, भांग भी चढ़ाया जाता है। इस दिन भक्तजन पूरे दिन उपवास करते हैं और भगवान शंकर का रुद्राभिषेक करते हैं। इस दिन सभी भक्त भगवान शिव की साधाना में डूबे नजर आते हैं। शिवरात्रि का मुख्य उत्सव रात के दौरान होता है, जब भक्तजन लिंगराज मंदिर के शिखर पर महादीप को प्रज्जवलित करने के बाद अपना व्रत खोलते हैं। महाशिवरात्रि के अलावा भगवान शंकर के इस प्रसिद्ध मंदिर में चंदन समारोह एवं चंदन यात्रा का उत्सव भी बेहद धूमधाम से किया जाता है। चंदन समारोह इस मंदिर में करीब 22 दिन तक चलने वाला महापर्व है। 🎪 इस पावन अवसर पर मंदिर के देवताओं,सेवादारों को भीषण गर्मी से बचाने के लिए चंदन का लेप लगाया जाता है। इसके अलावा चंदन समारोह के दौरान नृत्य आदि भी आयोजन किया जाता है, जिसमें महिलाएं प्रसन्न होकर शिव भक्ति के गानों पर पारंपरिक नृत्य करती हैं। अपनी अद्भुत कारीगिरी के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध इस लिंगराज मंदिर में अष्टमी के दिन निकलने वाली रथयात्रा भी यहां की काफी मशहूर है। इस रथयात्रा के दौरान यहां मंदिर के सभी देवी- देवताओं को खूबसूरत रथ में बिठाकर रामेश्वर के देवला मंदिर ले जाया जाता है। इन मौकों पर लिंगराज मंदिर का आर्कषण दो गुना बढ़ जाता है। लिंगराज मंदिर के दर्शन और बिन्दु सरोवर में स्नान करने का महत्व:- 🎪 लिंगराज मंदिर में जो भी भक्त आकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहते हैं, इसके लिए उन्हें यहां आकर पूजा करने के लिए टिकट खरीदना पड़ता है। इस मंदिर में प्रतिष्ठित लिंगराज के दर्शन के साथ यहां बिन्दु सरोवर में स्नान करने को लेकर भी काफी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। ऐसी मान्यता है कि इस सरोवर में स्नान करने से भक्तों की सभी शारीरिक और मानसिक बीमारियां दूर होती हैं लिंगराज मंदिर में दर्शन के लिए कैसे पहुंचे :- 🎪 लिंगराज मंदिर में दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। यहां वायु, रेल और सड़क तीनों मार्गों द्धारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। आपको बता दें कि लिंगराज मंदिर के पास सबसे नजदीक एयरपोर्ट भुवनेश्वर एयरपोर्ट है, जिसकी मंदिर से दूरी करीब 4 किलोमीटर है। भुवनेश्वर भारत के सभी राज्यों एवं प्रमुख शहरों से ट्रेन और बस सुविधा से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, यहां के लिए सभी प्रमुख शहरों से अच्छी बसें चलती हैं। ©N S Yadav GoldMine #JallianwalaBagh यह हिन्दू धर्म के सबसे प्रमुख और प्राचीनतम धार्मिक स्थलों में से एक है इस मंदिर के बारे में जानिए !! 🔯🔯 {Bolo Ji Radhey Ra