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Ajita Bansal
New Year 2025 नया साल आया है, नई उम्मीदें लेकर, सपनों की दुनिया अब नये रंगों से सजे। हर दिन हो शुभ, हर रात हो रोशन, खुशियों से भरी हो ये नयी शुरुआत। पुरानी यादों को छोड़, चलें आगे हम, नई राहों पर, नए क़दम। सपने हों पूरे, दिलों में हो विश्वास, साल 2025 हो, सफलता से भरा खास। जो बीता, वह सीख है, जो आने वाला है, वो खुशियों का खजाना, जो हमें पाना है। समय की रेत पर लकीरें न छोड़ें, साथ चलें हम, बस यही है शेरों। नववर्ष की शुभकामनाएं, सबको मिले सुख-शांति, हर दिल में हो प्रेम, और जीवन में हो ध्वनि। साल 2025 हो, हम सब के लिए मंगलमय, नई उम्मीदें, नई शुरुआत, हो सभी के लिए सफलाय। ©Ajita Bansal #Newyear2025 poem of the day
#Newyear2025 poem of the day
read moreDark Shadow
Unsplash very beautiful full environment save tree save environment ©Dark Shadow #snow save tree save environment
#snow save tree save environment
read moreSchizology
The unknown I have a fear of the unknown But I would go with you blindfolded Anywhere at anytime ©Schizology The unknown #poem✍🧡🧡💛
The unknown poem✍🧡🧡💛
read moreJIJITH p thankachan " king of underdogs"
Unsplash when you plant a tree for desires growth in a period only use from amount of water without polluted ©JIJITH p thankachan " king of underdogs" #tree
Srinivas
A leaf draws its life from the tree, and we from our roots; connection is the pulse of existence. ©Srinivas A leaf draws its life from the tree, and we from our roots; connection is the pulse of existence.
A leaf draws its life from the tree, and we from our roots; connection is the pulse of existence.
read moreHarish Choudhary
*गंदा पानी* पोधो को बढने से नही *रोक सकता* इसलिये *नकारात्मक शब्दो* को अपनी *प्रगती में बाधा न बनने दे* 🙏🏻🙏🏻 *सुप्रभात*🙏🏻🙏🏻 ©Harish Choudhary #tree
Mishra Agency
अंत का भी अंत होता है कुछ भी कहां अनंत होता है पतझड़ भी एक घटना है 12 महीने कहां बसंत होता है ©Mishra Agency #tree
Ajita Bansal
White दर्द ने सिखाया खुद से मिलना, राहों में खो जाने से पहले, ख़ुद को जानना ज़रूरी है, तब जाकर कोई सही रास्ता लगे। हर ख्वाब का पीछा करते हुए, सपनों में खो जाते हैं हम, लेकिन जब वो टूटते हैं, तब महसूस होता है, हम कहाँ थे, कहाँ हम। अक्सर दूसरों की नज़र से ही जीते हैं हम, पर सच्ची पहचान तो अंदर से आती है। जो खुद को समझे, वही खुद को पा सकता है, बाकी सब तो बस एक छलावा होता है। अब मेरी आँखों में बस एक सवाल है, क्या मैं सचमुच खुद से प्यार करता हूँ? जब तक ये सवाल हल नहीं होगा, ख़ुद के ही हाल में, ख़ुद से जूझता रहूँगा। ©Ajita Bansal #Sad_Status poem of the day
#Sad_Status poem of the day
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