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Sarun Singh

थोड़ी सी लिबलिबी ये मिट्टी हाथों की सिलवट में सिमटी रखी गोल सी चकरी पे घुमा -घुमा के एक बनाया एक सकोरा मिट्टी का लेकर उसको हाट में पहुँचा बे

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थोड़ी सी लिबलिबी ये मिट्टी हाथों की सिलवट में सिमटी रखी गोल सी चकरी पे घुमा -घुमा के एक बनाया एक सकोरा मिट्टी का लेकर उसको हाट में पहुँचा बे

ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

पानी का वास्तविक स्वाद क्या होता है यह उसको पता होती है जिसके कंठो मे प्यास होती है,,,,,,यह पंक्ति इतिहास के पन्नो पर अंकित रामबाण सी है,,,,

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 पानी का वास्तविक स्वाद क्या होता है यह उसको पता होती है जिसके कंठो मे प्यास होती है,,,,,,यह पंक्ति इतिहास के पन्नो पर अंकित रामबाण सी है,,,,

ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

बे मतलब का शौक मत पाला करो,इनका भी घर आने का कोई इंतजार कर रहा होता है,,,, पंक्षी पर्यावरण गुलशन की रौनक , सृष्टि की सुषमा होते है,,,,,,,,,फ

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 बे मतलब का शौक मत पाला करो,इनका भी घर आने का कोई इंतजार कर रहा होता है,,,, पंक्षी पर्यावरण गुलशन की रौनक , सृष्टि की सुषमा होते है,,,,,,,,,फ

Vishal Vaid

जो क़द्रें वो सुनाती थीं कि जिन के सेल कभी मरते नहीं थे वो क़द्रें अब नज़र आती नहीं घर में जो रिश्ते वो सुनाती थीं वो सारे उधड़े उधड़े ह #Book #किताब #किताबें

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सोचा था किताबों पे कुछ लिखता हूँ पर फिर गुलज़ार जी की एक नज़्म याद आई तो सोचा इस से बेहतर क्या होगा ।  तो उसी को सब की नज़र कर रहा हूँ

किताबें 
किताबें झाँकती हैं बंद अलमारी के शीशों से 
बड़ी हसरत से तकती हैं 
महीनों अब मुलाक़ातें नहीं होतीं 
जो शामें उन की सोहबत में कटा करती थीं, अब अक्सर 
गुज़र जाती हैं कंप्यूटर के पर्दों पर 
बड़ी बेचैन रहती हैं किताबें 
उन्हें अब नींद में चलने की आदत हो गई है 

 जो क़द्रें वो सुनाती थीं 
कि जिन के सेल कभी मरते नहीं थे 
वो क़द्रें अब नज़र आती नहीं घर में 
जो रिश्ते वो सुनाती थीं 
वो सारे उधड़े उधड़े ह

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 7 – अमोह 'मेरा पुत्र ही सिंहासनासीन हो, यह मोह है वत्स!' आज सातवीं बार कुलपुरोहित स

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
7 – अमोह

'मेरा पुत्र ही सिंहासनासीन हो, यह मोह है वत्स!' आज सातवीं बार कुलपुरोहित स
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