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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- जीवन में किस बात का , कहिए है अभिमान । मृत्यु बाद सब चाहते , दो गज भू का दान ।। जीवन में संघर्ष ही , देता हरदम काम । एक समय के बाद #कविता

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दोहा :-
जीवन में किस बात का , कहिए है अभिमान ।
मृत्यु बाद सब चाहते , दो गज भू का दान ।।

जीवन में संघर्ष ही , देता हरदम काम ।
एक समय के बाद में , दे सुंदर परिणाम ।।

परम-पिता से मेल का, कष्ट बनाये योग ।
बाद मृत्यु के आप भी , करते इसका भोग ।।

जीवन के संताप को ,  एक परीक्षा जान ।
करते जाओ पार सब , पाओगे सम्मान ।।

मीठे होंगे फल सभी , पहले कर संतोष ।
यूँ ही अपने भाग्य को , नहीं आप दें दोष ।।

करता जो संघर्ष है , मन में अपने ठान ।
पाता है वह एक दिन , जग में सुन सम्मान ।।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
जीवन में किस बात का , कहिए है अभिमान ।
मृत्यु बाद सब चाहते , दो गज भू का दान ।।

जीवन में संघर्ष ही , देता हरदम काम ।
एक समय के बाद

Vinod Mishra

"अपनी भूमिका से भागोगे तो भू कम पड़ जायेगी." #vinod #mishra #Motivation 😀😀🙏🙏✍️✍️😀😀 #मोटिवेशनल

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N S Yadav GoldMine

#mothers_day गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि क #विचार

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Anjali Srivastav

दोहा भारत-भू का लाडला, सच्चा पहरेदार । मेवाड़ी सरदार को, नमन करोङों बार ॥ अरावली पाषाण पर, सुन चेतक की टाप। खड़ा खड़ा दुश्मन गिरे, भू पर अप #कविता

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सरसी छन्द  अबकी होली सुन लो प्रियतम , मेरे मन की चाह । संग तुम्हारे खेलूँ होली , तकती तेरी राह ।। अबकी होली सुन लो प्रियतम.... ताने देती ह #कविता

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सरसी छन्द 

अबकी होली सुन लो प्रियतम , मेरे मन की चाह ।
संग तुम्हारे खेलूँ होली , तकती तेरी राह ।।
अबकी होली सुन लो प्रियतम....

ताने देती हैं सब सखियां , कहके विरहन आज ।
जबकी दिल पे मेरे साजन , बस तेरा ही राज ।।
आओ अपने अंग लगा लो , बस इतनी है चाह ।
अबकी होली सुन लो प्रियतम ....

माह जेष्ठ में भू ये जलती , तुम बिन जिया हमार ।
अबके फागुन में आ जाओ , हो मन का शृंगार ।।
बिरहन बनकर कब देखूँ , मैं अब तेरी राह ।
अब की होली सुन ....

आज विरह में तन ये काला , मल दो प्रीत गुलाल ।
बनकर मीरा दर-दर भटकू, आओ मेरे ग्वाल ।।
आज प्रेम की मीरा प्यासी  , करे मिलन की चाह ।
अब की होली सुन लो प्रियतम..।

अबकी होली सुन लो प्रियतम , मेरे मन की चाह ।
संग तुम्हारे खेलूँ होली , तकती तेरी राह ।।

०७/०३/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सरसी छन्द 

अबकी होली सुन लो प्रियतम , मेरे मन की चाह ।
संग तुम्हारे खेलूँ होली , तकती तेरी राह ।।
अबकी होली सुन लो प्रियतम....

ताने देती ह
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