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ajay chouksey

रात कली एक ख्वाब में आई #Singingtalent #Videos

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Internet Jockey

#leaf एक कली तब तक ही खिलती है जब तक वो पेड़ से जुड़ी हुई रहती है #कविता

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एक कली तब तक ही खिलती है 
जब तक वो पेड़ से जुड़ी हुई रहती है

©Internet Jockey #leaf एक कली तब तक ही खिलती है 
जब तक वो पेड़ से जुड़ी हुई रहती है

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है । अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१ नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर । चलूँ अब चाल मैं #शायरी

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Village Life ग़ज़ल :-
रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है ।
अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१
नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर ।
चलूँ अब चाल मैं उनकी की चाहत का महीना है ।।२
चुनावी हो रहे दंगल गली घर में लगे पर्चे ।
करो मतदान तुम बस अब सियासत का महीना है ।।३
लड़ेगी आँख तेरी भी किसी दिन तो हसीनों से ।
जिगर तू थाम लेना बस मुहब्बत का महीना है ।।४
अभी आयी जवानी है सँभलकर तुम जरा चलना ।
कदम बलखा न जाये अब नज़ाकत का महीना है ।।५
खिले जो फूल गुलशन में उन्हें कच्ची कली मानों
भँवर को भी बता दो अब हिफ़ाज़त का महीना है ।।६
प्रखर से सीख लो कुछ इल्म झूठी इन रिवायतों के ।
बता देगा तुम्हें वो भी तिज़ारत का महीना है ।।७
२८/०३/२०२४     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है ।
अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१
नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर ।
चलूँ अब चाल मैं

Vishalkumar "Vishal"

Nazm- बागबां को तोड चली बागबां कि कली by Vishal Sudha Tripathi Sheikh salahuddin Ayub vineetapanchal Internet Jockey Mukesh Poonia #शायरी

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Sonal Panwar

नन्हीं कली है बेटी👸🥰❤️ #daughter #daughterlove #बेटी #बेटीबचाओ #SaveGirlChild Poetry Shayari #Quotes #शायरी

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल वो सभी तो धनी से मिलते हैं । वो कहाँ आदमी से मिलते हैं ।।१ #शायरी

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ग़ज़ल

वो सभी तो धनी से मिलते हैं ।
वो कहाँ आदमी से मिलते हैं ।।१
रात दिन की बेकसी से मिलते हैं ।
फिर नहीं वो किसी से मिलते हैं ।।२
यार सागर समझ ले तू उनको ।
आजकल वो सभी से मिलते हैं ।।३
क्या उन्हें हम समझ ले अब कान्हा ।
इस तरह जो बासुरी से मिलते है ।।४
जाने क्या हो गया सनम को अब ।
आजकल बेरुखी से मिलते हैं ।।५
वो दिखाकर गये हमें तारा ।
लौटकर हम तुम्ही से मिलते हैं ।।६
ख़्व़ाब आकर चले गये सारे ।
अब गले हम ख़ुदी से मिलते हैं ।।७
अब कहीं और जी नहीं लगता ।
चल उसी जलपरी से मिलते हैं ।।८
यूँ तो घड़ियां गुजार दूँ तुम बिन ।
डर है की ज़िन्दगी से मिलते हैं ।।९
बीवियाँ अब नहीं सँवरती घर ।
चल खिली फिर कली से मिलते हैं ।।१०
प्यार में इस तरह प्रखर पागल ।
छोड़ जग गृहिणी से मिलते हैं ।।११

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल


वो सभी तो धनी से मिलते हैं ।

वो कहाँ आदमी से मिलते हैं ।।१
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