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Alpha_Infinity
White पथ प्रदर्शक हां वो कोई कृष्ण था। तन्हा ठंडी रातों की उसको कहा फिकर थी। मनमौजी था वो, जीवन की एक ही समझ थी। लड़ते लड़ते मर भी जाऊं, नाम मेरा शहीद था। उसके जैसे कितनो ने दी कुर्बानियां अनेक थी। फिर भी कुछ गिरगिट मांगें उनसे हिसाब थे। हां वो देश का सैनिक, वो ही सबसे बड़ा वीर था। ©Alpha_Infinity हमारा महान देश! हमारे वीर जवान।। जय हिंद, जय हिंद की सेना। 💫❣️ #सैनिक #देश #Nojoto #Hindi #Deshbhakti #sainik 💫 वंदना .... vineetapanchal B
Ravendra
Banarasi..
banarasi present s ©Banarasi.. का हाल ब हो सब लोगन के एगो किताब लिखले बानी आशा करतानी सबै लोगावां के पसंद आई। लिंकवा निचवा टेपत हई- BLUEROSE STORE https://blueroseone.co
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- प्यार की हमको निशानी दे गया । इस तरह की ज़िन्दगानी दे गया ।। कुछ तो था जो वो जवानी दे गया । प्रीत को अपनी कहानी दे गया ।। कल हँसाया उसने तो था प्यार से । आज आखों में जो पानी दे गया ।। ले गया जिसको उठाकर गोद से । देख वो बेटी सयानी दे गया ।। फिर नहीं धोखा मिले वो इसलिए । यार मेरा सुरमेदानी दे गया ।। उम्र आते ही जब सँभलने वो लगा । शाम फिर मुझको सुहानी दे गया ।। है गुमां किस बात का अब आजकल । चीज़ वह सारी पुरानी दे गया ।। प्यार मे तुम भी बने पागल रहो । सोचकर शायद ये बानी दे गया ।। यूँ हँसो मत अब प्रखर सोचो ज़रा । क्यों तुम्हें वो अपनी रानी दे गया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- प्यार की हमको निशानी दे गया । इस तरह की ज़िन्दगानी दे गया ।।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- अधरो पर आकर रुकी , मेरे मन की बात । देख देख रजनी हँसे , न होगी मुलाकात ।। रात अमावस की बड़ी , होती काली रात । सँभल मुसाफिर चल यहाँ , करती पल में घात ।। रात-रात भर जागकर , रक्षा करे जवान । अमन हमारे देश हो , किए प्राण बलिदान ।। कह दूँ कैसे मैं सजन , अपने मन की बात । रजनी मुझको छेड़ती , कह बिरहन की जात ।। रात-रात करवट लिया , तुम बिन थे बेहाल । एक-एक रातें कटी , जैसे पूरा साल ।। अपने दिल के मैं सभी , दबा रही जज्बात । समझाओ आकर सजन , रजनी करे न घात ।। नींद उड़ी हर रात की , देख फसल को आज । करता आज किसान क्या , रुके सभी थे काज ।। उन पर ही अब चल रहे , सुन शब्दों के बाण । रात-रात जो देश हित , त्याग दिए थे प्राण ।। जो कुछ जीवन में मिला , बाबा तेरा प्यार । व्यक्त न कर पाऊँ कभी , तेरा वही दुलार ।। हृदय स्मृतियों में चले , बचपन के वह काल । हाथ थाम चलते सदा , कहते मेरा लाल ।। जीते जी भूलूँ नही , कभी आप उपकार । कुछ ऐसे हमको दिए , आप यहाँ संस्कार ।। जीवन में ऐसे नहीं , खिले कभी भी फूल । एक परिश्रम ही यहाँ , है ये समझो मूल ।। बिना परिश्रम इस जगत , मिलते है बस शूल । कठिन परिश्रम से यहाँ , खिलते सुंदर फूल ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अधरो पर आकर रुकी , मेरे मन की बात । देख देख रजनी हँसे , न होगी मुलाकात ।। रात अमावस की बड़ी , होती काली रात । सँभल मुसाफिर चल यहाँ , करती
प्रेम कुमार रावत
White ये दुनिया पुरा जहान करे युवा, बूढ़ा ,जवान करे ये उत्सव है लोक तंत्र का आओ मिलकर मतदान करे ©प्रेम कुमार रावत #VoteForIndia ये दुनिया पुरा जहान करे युवा बूढ़ा जवान करे ये उत्सव है लोक तंत्र का आओ मिलकर मतदान करे
Sarfaraj idrishi
Black मोहब्बत खा गई जवान नस्लों को मुरसद ..अब ये लड़के त्योहार पर भी खुश नहीं रहते ☺️ ©Sarfaraj idrishi #eidmubarak मोहब्बत खा गई जवान नस्लों को मुरसद अब ये लड़के त्योहार पर भी खुश नहीं रहतेKavisthaan Anshu writer Sethi Ji Kunal lalwani Santosh
Khushiram Yadav
Meri Mati Mera Desh लड़े वो बीर जवानों की तरह, ठंडा खून फोलाद हुआ, मरते मरते भी मार गिराए, तभी तो देश आजाद हुआ ... ©Khushiram Yadav #MeriMatiMeraDesh वीर जवान 🇮🇳
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- अब उसे आफताब कैसे दें । प्यार का हम हिसाब कैसे दें ।। जिनको इतना पसंद करता हूँ । उनको बासी गुलाब कैसे दें ।। हुस्न की आज मल्लिका वह है । सोचता हूँ ख़िताब कैसे दें ।। चंद कतरे मिलें हमें खत में । तू बता दे जवाब कैसे दें ।। गीत जिनके लिए लिखे हम थे । हम उन्हें वो किताब कैसे दें ।। प्यार उम्र भर जवान रहता है । तू बता फिर ख़िज़ाब कैसे दें ।। हसरतें दीद की लिए दिल में । अब प्रखर ये नक़ाब कैसे दें ।। १३/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- अब उसे आफताब कैसे दें । प्यार का हम हिसाब कैसे दें ।। जिनको इतना पसंद करता हूँ । उनको बासी गुलाब कैसे दें ।। हुस्न की आज मल्लिका वह