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श्रेजल मिश्रा🍂

शहर शहर घूमी फिरि,कहीं आराम न मिला, कहीं न मिला मुझे सुकून,जिसकी तलबगार थी रूह, थक गई तो सोचा फिर ,वापस अपने घर चलूँ, वापस अपनो में चलूँ।।❣ #Zindagi #feelings #truelove #yqbaba #yqdidi #yqquotes

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ऐ बारिश तेरा असर कुछ इस क़दर हो,
की दिल पे लगी हर चोट भी बेअसर हो,
दिल भी कुछ ऐसे दुखे मेरा ,
न किसी को पता चले,न किसी को खबर हो,
मैं बरसूं जब जब भी मेरी तू ही हमसफर हो,
की ऐ बारिश तेरा असर कुछ इस कदर हो।
 शहर शहर घूमी फिरि,कहीं आराम न मिला,
कहीं न मिला मुझे सुकून,जिसकी तलबगार थी रूह,

थक गई तो सोचा फिर ,वापस अपने घर चलूँ,
वापस अपनो में चलूँ।।❣

Anil Tiwari

मैने तुमको चाहा और तुम्ही पर अपनी चाहत खत्म कर दी 💞 मैने तुम्हारी ही राह पकड़ी और सब डगर भुला दी💞 #nojotophoto

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 मैने तुमको चाहा
और तुम्ही पर
अपनी चाहत खत्म कर दी 💞

मैने तुम्हारी ही
राह पकड़ी
और सब डगर भुला दी💞

Vishnu Jat

ना रोको इन्हें ना टोको इन्हें अबतो इनको जीने दो, किया सदियों अत्याचार अबतो इनको जीने दो! जिसे बनाया कभी द्रोपदी, तो कभी वह सीता बनकर वन वन #Poetry #firstpost #बलिदान #सम्मान

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ना रोको इन्हें ना टोको इन्हें 
अबतो इनको जीने दो,
किया सदियों अत्याचार
अबतो इनको जीने दो!

जिसे बनाया कभी द्रोपदी,
तो कभी वह सीता बनकर वन वन

Bambhu Kumar (बम्भू)

थे यही #सावन के दिन हरखू गया था #हाट को सो रही #बूढ़ी ओसारे में बिछाए #खाट को #डूबती #सूरज की किरनें #खेलती थीं #रेत से घास का गट्ठर लिए वह #poem #अजनबी #होठों #जज्बात #वासना #कृष्णा #ढह #ढीली #बेख़बर #कौमार्य #भेड़िया #चीख़ #छटपटाई #कछारों

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2.
थे यही सावन के दिन हरखू गया था हाट को
सो रही बूढ़ी ओसारे में बिछाए खाट को

डूबती सूरज की किरनें खेलती थीं रेत से
घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से

आ रही थी वह चली खोई हुई जज्बात में
क्या पता उसको कि कोई भेड़िया है घात में

होनी से बेखबर कृष्णा बेख़बर राहों में थी
मोड़ पर घूमी तो देखा अजनबी बाहों में थी

चीख़ निकली भी तो होठों में ही घुट कर रह गई
छटपटाई पहले फिर ढीली पड़ी फिर ढह गई

दिन तो सरजू के कछारों में था कब का ढल गया
वासना की आग में कौमार्य उसका जल गया... थे यही #सावन के दिन हरखू गया था #हाट को
सो रही #बूढ़ी ओसारे में बिछाए #खाट को

#डूबती #सूरज की किरनें #खेलती थीं #रेत से
घास का गट्ठर लिए वह

SARAS KUMAR poetry

अनजानी उलझी पगडंडी चले हजारों लोग साथ में बिन बोले और बिन पहचाने कैसे मिल गए हाथ में अपनी अपनी होड़ा हिचकी से सारे कदम बढ़ाये कोई बैठा को

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अनजानी उलझी पगडंडी चले हजारों लोग साथ में 
बिन बोले और बिन पहचाने कैसे मिल गए हाथ में 
अपनी अपनी होड़ा हिचकी से सारे कदम बढ़ाये 
कोई बैठा कोई छूटा कोई चले कोई दौड़ा जाये 
कितनी बड़ी चुनौती आई देखो सबके सम्मुख है 
इतना बड़ा स्वार्थ मन बैठा जिसमें दुख ही दुख है 
थोड़े से गम मे रोते है अधिक खुशी आने पर हसतें 
पर निर्दयी हृदय है तेरा जो बदल लिए है तूने रस्ते 
टूटे पड़े मकानो में दीर्घ परिवार बड़े व्याकुल है 
तेरे आलीशान महल है क्या इसमें कोई संकुल है 
सुख की नींद नहीं सोता तू धन दौलत देखे बैठा 
नींद आ रही निर्धन को क्या क्या है बेचे बैठा 
तूने बड़ी महफिले घूमी बड़ी सवारी तू करता है 
तू गुनहगार बड़ा चालाकी झुग्गीवाला ही मरता है 
              सरस कुमार 
         जिला टीकमगढ़ अनजानी उलझी पगडंडी चले हजारों लोग साथ में 
बिन बोले और बिन पहचाने कैसे मिल गए हाथ में 
अपनी अपनी होड़ा हिचकी से सारे कदम बढ़ाये 
कोई बैठा को

Nazar Biswas

मेरे पास लफ़्ज़ों की कमी जरूर हो जाएगी अगर मैंने इन चंद लफ़्ज़ों के सहारे बनारस के प्रति अपना प्यार व्यक्त किया तो। दुनिया ज़्यादा तो नहीं घ #poem #Banaras #hindipoetry #yqdidi #banarasi_writes #astheticthoughts #nazarbiswas

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जहां भीड़ में भी रूह एक सुकून पा जाती है,
ये बनारस है साहब,
यहां तंग गलियां भी खूब भा जाती हैं मेरे पास लफ़्ज़ों की कमी जरूर हो जाएगी अगर मैंने इन चंद लफ़्ज़ों के सहारे बनारस के प्रति अपना प्यार व्यक्त किया तो।
दुनिया ज़्यादा तो नहीं घ

Kaushal Bandhna punjabi

भीड़ में हम हंस दिये वो भी आया था उस दिन मेले में अपने दोस्तों के साथ और राधा भी अपनी सहेलियों के साथ आई थी।राधा की नज़रें बार कुछ ढूंढ रही

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भीड़ में हम हंस दिये

वो भी आया था उस दिन मेले में अपने दोस्तों के साथ और राधा भी अपनी सहेलियों के साथ आई थी।राधा की नज़रें बार कुछ ढूंढ रही थीं जैसे कुछ खो गया हो उसका। सहेलियां बातें कर रही थीं हंसी ठिठोली कर रही थी मगर राधा हूं हां ही कर रही थी ।
इतने में अचानक उसको वो दिख गया जिसको उसकी नजरें बेसब्री से तलाश रही थीं।सामने था दीपक साथ में उसके दोस्त,एक राधा का मूंह बोला भाई था तो बात करने में राधा को झिझक नहीं हुई,,,अरे रोहित भाई तू भी आया है।क्यों तुम आ सकती हो तो मैं नहीं आ सकता क्या।
और फिर तुम लोगों की सुरक्षा भी चाहिए, भीड़ बहुत है। अच्छा ऐसी बात क्या।
बातों बातों में आंखों आंखों में सजदा कर दिया था एक दूसरे को राधा और दीपक ने।
अच्छा चलते हैं हम कुछ खरीद भी लें आएं हैं तो।दीपक और दोस्त भी आगे बढ़ गये। दोनों का मन कहां भरा था अभी जैसे फिर नज़रें भटकने लगीं थीं। खैर कुछ खास नहीं खरीदा ,सभी सहेलियां घूमी फिरी इतने में पानी पूरी वाला दिखा तो पानी पूरी खाने लगीं। मैं आसपास रही उनके वो मुझे नहीं जानते थे पर मैं जानती थी उनको,मेरी कहानी के पात्र ज्यों थे वो सभी।
इतने में दीपक रोहित भी वहीं आ गये पानी पूरी खाने, अचानक से राधा बोल उठी,अरे तुम लोग क्या हमारा पीछा कर रहे हो,और उनके साथ मेले की भीड़ में हम हंस दिये।
वो सभी अपनी बातों में व्यस्त हो गये।दीपक और राधा आंखों से मोहब्बत के पैगाम देते रहे,मेले की भीड़ से अंजान अपनी दुनिया में खोए हुए थे वो,और मैं अपने मन उनकी प्रेम कहानी लिए लौट आई मेरे से।

कौशल बंधना पंजाबी। भीड़ में हम हंस दिये

वो भी आया था उस दिन मेले में अपने दोस्तों के साथ और राधा भी अपनी सहेलियों के साथ आई थी।राधा की नज़रें बार कुछ ढूंढ रही

Gumnaam

....... ....... महज कुछ ही दिन हुए थे, हमारी मुलाकात को। कुछ घंटो की बातो मे इतना तो समझ जरूर आ गया था कि सब चीज़े उल्टी है सिवाय तस्वीर ल #ShortStory #mulakat #yqbaba #yqdidi #Yuhi #gumnaam

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अच्छा सुनो... .......
.......


महज कुछ ही दिन हुए थे, हमारी मुलाकात को। कुछ घंटो की बातो मे इतना तो समझ जरूर आ गया था कि सब चीज़े उल्टी है सिवाय तस्वीर ल

Anamika Nautiyal

सोनिया जी और राधा जी बालकनी में खड़ी होकर बात कर रही थी, इस लॉक डाउन में एक यह बालकनी ही तो सहारा है ,किसी से बात करने का शाम को और सुबह के #yqdidi #अनाम #yostowrimo #गढ़वालीगर्ल #लघुकथाएँ #बालकनीकहानी

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 ज़रूरतमंद

Read in caption  सोनिया जी और राधा जी बालकनी में खड़ी होकर बात कर रही थी, इस लॉक डाउन में एक यह बालकनी ही तो सहारा है ,किसी से बात करने का शाम को और सुबह के

Harshita Dawar

#sailove #lifequotes life #yqbaba #yqdidi #yqtales Written by Harshita ✍️ #jazzbaat सहरा सा एहसास कुछ ख्यालों के परिंदे हमेशा की तरह उड़

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Written by Harshita ✍️
#Jazzbaat
सहरा सा एहसास 
कुछ ख्यालों के परिंदे हमेशा की तरह उड़ कर एक मुंडेर पर जा बैठे थे।
एक कहानी में कहा सुनी आंखे में खुले आकाश के नीचे तकिया लगाए जाग भी रहे थे।
अनुशीर्षक .....
©️ जज़्बात ए हर्षिता

     #sailove #lifequotes #life #yqbaba #yqdidi #yqtales 
Written by Harshita ✍️
#Jazzbaat
सहरा सा एहसास 
कुछ ख्यालों के परिंदे हमेशा की तरह उड़
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