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आकाश_tales
गहरी सोंच ने घेर लिया है मुझको बैठा तन्हा सोंच रहा हूं मैं वापस घर लौट आने को फिर से। ©Natkhat वापस लौट आने को घरको। @आकाश_tales #आकाश_tales
रमेश थापा
हाम्रो गाउँ घरको सम्झना चौतारी ब्यबस्थापन नेपाली साहित्य समाज
Satyam Bhushan
सरहद पर आजकल तनाव है हाँ जी भारत मे आने वाला चुनाव है ।। #Pak_media चुनाव के मौसम मे भी हम तेरे पाप कैसे भूला दे । खाई है कसम मातृभूमी की रक्षा का ये बात कैसे भूला दे ।। #Indian #NojotoQuote जिस दिन हम अपने आप पर आ जायेंगे.... worldmap से तेरा नक्सा मिटा जायेंगे ।। मत सोच कि बुजदिल हैं हम.... अपने आप पर आये तो 2019 मे एक था आतंक
Vikas Sharma Shivaaya'
🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 11 सीताजी मन में सोचने लगती है जहँ तहँ गईं सकल तब सीता कर मन सोच। मास दिवस बीतें मोहि मारिहि निसिचर पोच ॥11॥ फिर सब राक्षसियाँ मिलकर जहां तहां चली गयी-तब सीताजी अपने मनमें सोच करने लगी की –एक महिना बितने के बाद यह नीच राक्षस (रावण) मुझे मार डालेगा ॥11॥ श्री राम, जय राम, जय जय राम सीताजी और त्रिजटा का संवाद माता सीता, त्रिजटा को, श्रीराम से विरहके दुःख के बारे में बताती है त्रिजटा सन बोलीं कर जोरी। मातु बिपति संगिनि तैं मोरी॥ तजौं देह करु बेगि उपाई। दुसह बिरहु अब नहिं सहि जाई॥ फिर त्रिजटाके पास हाथ जोड़कर सीताजी ने कहा की हे माता-तू मेरी सच्ची विपत्तिकी संगिनी (साथिन) है॥सीताजी कहती है की जल्दी उपाय कर नहीं तो मै अपना देह तजती हूँ(जल्दी कोई ऐसा उपाय कर जिससे मै शरीर छोड़ सकूँ)क्योंकि अब मुझसे अति दुखद विरहका दुःख सहा नहीं जाता॥ सीताजी का दुःख आनि काठ रचु चिता बनाई। मातु अनल पुनि देहि लगाई॥ सत्य करहि मम प्रीति सयानी। सुनै को श्रवन सूल सम बानी॥ हे माता! अब तू जल्दी काठ ला और चिता बना कर मुझको जलानेके वास्ते जल्दी उसमे आग लगा दे॥ हे सयानी! तू मेरी प्रीति सत्य कर- रावण की शूल के समान दुःख देने वाली वाणी कानो से कौन सुने?सीता जी के ऐसे शूल के सामान महा भयानाक वचन सुनकर॥ त्रिजटा सीताजी को सांत्वना देती है सुनत बचन पद गहि समुझाएसि। प्रभु प्रताप बल सुजसु सुनाएसि॥ निसि न अनल मिल सुनु सुकुमारी। अस कहि सो निज भवन सिधारी॥ त्रिजटा ने तुरंत सीताजी के चरण पकड़ कर उन्हे समझायाऔर प्रभु रामचन्द्रजी का प्रताप, बल और उनका सुयश सुनाया और सीताजी से कहा की हे राजपुत्री! हे सुकुमारी!अभी रात्री है, इसलिए अभी आग नहीं मिल सकत ऐसा कहा कर वहा अपने घरको चली गयी॥ सीताजी को प्रभु राम से विरह का दुःख आसमान के तारे कह सीता बिधि भा प्रतिकूला। हिमिलि न पावक मिटिहि न सूला॥ देखिअत प्रगट गगन अंगारा। अवनि न आवत एकउ तारा॥ तब अकेली बैठी बैठी सीताजी कहने लगी की क्या करूँ विधाता ही विपरीत हो गया-अब न तो अग्नि मिले और न मेरा दुःख कोई तरहसे मिट सके॥ऐसे कह तारो को देख कर सीताजी कहती है की ये आकाश के भीतर तो बहुत से अंगारे दिखाई दे रहे है,परंतु पृथ्वी पर पर इनमे से एक भी तारा नहीं आता॥ चन्द्रमा और अशोक वृक्ष पावकमय ससि स्रवत न आगी। मानहुँ मोहि जानि हतभागी॥ सुनहि बिनय मम बिटप असोका। सत्य नाम करु हरु मम सोका॥ सीताजी चन्द्रमा को देखकर कहती है कि यह चन्द्रमा का स्वरुप अग्निमय दिख पड़ता है,पर यह भी मानो मुझको मंदभागिन जानकार आग को नहीं बरसाता॥अशोक के वृक्ष को देखकर उससे प्रार्थना करती है कि -हे अशोक वृक्ष!मेरी विनती सुनकर तू अपना नाम सत्य कर।अर्थात मुझे अशोक अर्थात शोकरहित कर।मेरे शोकको दूर कर (मेरा शोक हर ले)॥ सीताजी को दुखी देखकर हनुमानजी को दुःख होता है नूतन किसलय अनल समाना। देहि अगिनि जनि करहि निदाना॥ देखि परम बिरहाकुल सीता। सो छन कपिहि कलप सम बीता॥ तेरे नए-नए कोमल पत्ते अग्नि के समान है ,तुम मुझको अग्नि देकर मुझको शांत करो॥इस प्रकार सीताजीको विरह से अत्यन्त व्याकुल देखकर हनुमानजी का वह एक क्षण कल्प के समान बीतता गया॥ विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 466 से 477 नाम 466 स्ववशः जगत की उत्पत्ति, स्थिति और लय के कारण हैं 467 व्यापी सर्वव्यापी 468 नैकात्मा जो विभिन्न विभूतियों के द्वारा नाना प्रकार से स्थित हैं 469 नैककर्मकृत् जो संसार की उत्पत्ति, उन्नति और विपत्ति आदि अनेक कर्म करते हैं 470 वत्सरः जिनमे सब कुछ बसा हुआ है 471 वत्सलः भक्तों के स्नेही 472 वत्सी वत्सों का पालन करने वाले 473 रत्नगर्भः रत्न जिनके गर्भरूप हैं 474 धनेश्वरः जो धनों के स्वामी हैं 475 धर्मगुब् धर्म का गोपन(रक्षा) करने वाले हैं 476 धर्मकृत् धर्म की मर्यादा के अनुसार आचरण वाले हैं 477 धर्मी धर्मों को धारण करने वाले हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 11 सीताजी मन में सोचने लगती है जहँ तहँ गईं सकल तब सीता कर मन सोच। मास दिवस बीतें मोहि मारिहि निसिचर पोच ॥11॥ फिर सब रा
Darshan Blon
"मिस्ड कॉल" (Missed Call) करण हक्का-बक्का रह गया और फूटफूटकर रोने लगाI उसके सारे दोस्त उसके पास आकर उससे पूछने लगे- "करण क्या हुआ? सब ठीक तो है?" करण बस अपने मोबाइल को देखता रह गयाI कॉल लॉग पर सुबह का वो माँ का आठ बजे वाला "मिस्ड कॉल" अभी भी दिख रहा था उसे! पूरी कहानी CAPTION में पढ़ें.............................. करण काफ़ी मेहनती लड़का थाI चार साल की "B.E" डिग्री के बाद "कैंपस प्लेसमेंट" के जरिए उसकी एक "MNC" में नौकरी लगी थीI दार्जीलिंग के एक छोटे से ज