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Vivek
रंग दीवाने हो गए दिशाएं भी बहुत खुश दिखें पलकों में तुम जगह तो दो हम भी उनमें सुख बन बिछें...!!! ©Vivek #रंग
Antim
तरह तरह के लोग तरह तरह के रंग दिखाते है, वक्त है साहब सब अपना रंग दिखाते है। ©Antim #रंग
Rajni Vijay singla
वोट डालने के बाद पता चलता उल्लू नेता नहीं उल्लू बने हम फिर भी बार-बार बनते हैं इस बात का गम ©Rajni Vijay singla #बच के रहना रे बाबा
Anand Ji Mayura Ji
हाथों में तुम्हारे ही वतन की लाज है । कर्णधार हो तुम ये तुम्हारा ही राज है । जो चढा दे अपने सरो की भेट , ऐसे वीरों की जरुरत आज हैं । अपने प्राणो से इसकी आरती उताराये ©Anand Ji Mayura Ji कविता के रंग आनंद के रंग
S. ansari
लोगों के असली रंग देखते देखते रूठना भी सीखा दिया ज़िंदगी ने ©S. ansari रंग
Yogita Harne
जीवन रंगोली है, कई रंगों की ,हर रंग की अपनी कहानी है होठो की मुस्कुराहट की परिकल्पना ,आंखो की दास्तान की रवानी है कुछ रंग सपनो के ,कुछ रअपनो के संग . जिम्मेदारियो का क्रम ,आशान्वित उमंग... हर रंगो से अलंकृत यह हमारी है रंगोली दहन निर्वहण अंत आरंभ यही है होली हर एक हवा के झोंके से रंग बिखर है जाते समेटकर संवारने मे मनमोहक रूप निखर है आते .. ©Yogita Harne रंग
Aliyah Khan
यहां हर रंग के लोग रहते हैं साबिया, कब कौन अपना रंग दिखा जाऐ ये किसको कहां पता। साबिया रब्बानी ✍️ ©Aliyah Khan #Holi #विचार #रंग रंग बदलते लोग
Rishika Srivastava "Rishnit"
शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अंग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे...! थोड़ा सा ग़ुलाल मैं लगाऊं, थोड़ा तुम लगाना.. लपक-झपक ग़ुलाल के रंगों से, रंगे दोनों संग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! ना जाने कहाँ होंगे अगले बरस, एक दूसरे को देखने को नजरें जाएगी तरस.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! आगे की चिंता की शिकन ना आने दे हमारे दरमियान, तू और इस रंग-बिरंगे रंगों संग जिंदगी में भरे हर रंग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! बरस-बरस भीगेंगे आँचल, भिगोए जलते तन-मन रे.. आओ सखी, बुझा दे प्रेम से हर पीड़ा की चुभन रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!! ©Rishika Srivastava "Rishnit" शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अ
Arora PR
चल चल रे मुसाफिर चल तू उस दुनिया मे चल जहा न हो कोई फ़िक् जहा न हो मौत का कोई डर ©Arora PR चल चल रे मुसाफिर चल