Find the Latest Status about कि वह कितने मासूम थे from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, कि वह कितने मासूम थे.
Parasram Arora
White वे भी क्या दिन थे ज़ब मै ठहाके मार कर हँसा करता था बिना शिकायत के जिंदगी बसर करता था छोटे छोटे खबाब देख कर जिंदगी के दिन काट लिया करता था रफ्ता रफरता वक़्त गुजरता गया और बचपन पीछे छुटता गया और मै जवान होता गया ©Parasram Arora भी क्या दिन थे
भी क्या दिन थे
read moreseema patidar
White एक दिन के इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है हमारे इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है एक दिन बैठते है दिनों बाद साथ में हम और फिर उस दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है। ©seema patidar एक दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है
एक दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है
read moreMP Ritesh
किसी ने एक बार कहा था कि बड़ी अद्भुत बात यह है कि जो व्यक्ति पहाड़ पर चढ़ता है वह झुककर भी चढ़ता है। wbhojpuri video wvideos gana
read moreSANIR SINGNORI
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे.. जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे..🥀 . ©SANIR SINGNORI कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
read moreneelu
White एक दौर था जब दोस्त कहते थे हमें अच्छा नहीं लग रहा है.... हम उनका उस हद तक जीना हराम करते थे जब तक की उनको लगना बंद ना हो जाए.. ...... अब वह दौर है जहां अगर दोस्त कहते हैं कि हमें अच्छा नहीं लग रहा है तो उनको उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए.... ..... विचारों में मातभेद हो सकता है ©neelu #sad_quotes #एक #दौर था जब दोस्त कहते थे हमें अच्छा नहीं लग रहा है.... हम #उनका उस हद तक जीना हराम करते थे जब तक की #उनको लगना बंद ना हो ज
#sad_quotes #एक #दौर था जब दोस्त कहते थे हमें अच्छा नहीं लग रहा है.... हम #उनका उस हद तक जीना हराम करते थे जब तक की #उनको लगना बंद ना हो ज
read moreParasram Arora
White माना कि मैंने दिखावे के लिए हाथ ऊपर उठा कर तुम्हारे लिए दुआ नहीं मांगी इसके बावजूद मुझे उम्मीद है मेरा खुदा नेरे दिल की बात का मान जरूर रझेगा ©Parasram Arora माना कि
माना कि
read moreShashi Bhushan Mishra
आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा, झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा, बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा, जादू-टोना, ओझा मंतर, पूजा-पाठ सभी कर डाले, मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा, धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है, बड़ी-बड़ी मीनारों से भी करके सीना चाक के देखा, कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा, चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #आस्तीन के सांप बहुत थे#
#आस्तीन के सांप बहुत थे#
read more