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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
उडियाना छन्द :- स्वाद में सब जन बहे , जीव हत्या करें । और देते ज्ञान हैं , पाप क्यों सिर धरे ।। जानते है सब यहीं , पाप है ये बड़ा । देखता हूँ फिर वहाँ , घेरकर सब खड़ा ।। मारकर सब डुबकियां , पाप धोने चले । मातु गंगा सोचती , तनय कैसे पले ।। पीर इनकी सब मिटे, और आगे बढ़े । राह जीवन की सभी , स्वयं चलकर गढ़े ।। कष्ट सारे झेलकर , चक्षु जिनके खुले । राम-सिय जपते रहे , श्वास जब तक चले ।। लौट जायें वो सभी, सुगम पथ पर कहीं । विनय करता यह प्रखर , आप ठहरे वहीं ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR उडियाना छन्द :- स्वाद में सब जन बहे , जीव हत्या करें । और देते ज्ञान हैं , पाप क्यों सिर धरे ।। जानते है सब यहीं , पाप है ये बड़ा । देखता ह
Himanshu Prajapati
White लोगों के बहकावे में बिल्कुल भी ना आए लोग तो कुछ भी कहते हैं जैसे कहते हैं कि जिंदगी में सब कुछ बनो लेकिन "आम" मत बनो, लेकिन जिंदगी में "आम" का कितना महत्व होता है यह बात कोई नहीं समझता, जैसे "कच्चे आम" का अचार खाने का स्वाद बढ़ाता है वैसे ही "पके आम" का रस पीने का स्वाद बढ़ाता है, इसलिए जिंदगी में थोड़ा "आम" भी होना चाहिए, तभी जिंदगी का स्वाद आता है..! ©Himanshu Prajapati #mango लोगों के बहकावे में बिल्कुल भी ना आए लोग तो कुछ भी कहते हैं जैसे कहते हैं कि जिंदगी में सब कुछ बनो लेकिन "आम" मत बनो, लेकिन जिंदग
MUKESH KUMAR
White ☝️एक विचार ✍️* जीतने का असली स्वाद तभी आता है.... जब सभी आपके हारने की दुवा कर रहे हो... ©MUKESH KUMAR ☝️एक विचार ✍️* जीतने का असली स्वाद तभी आता है.... जब सभी आपके हारने की दुवा कर रहे हो... #ekvichar #vichar4you #quote #motivation #Though
Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).
अपनी मेहनत की रोटी का स्वाद सबसे अलग और सबसे अच्छा होता है.. ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). #bachpan #अपनी मेहनत की रोटी का स्वाद सबसे अलग और सबसे अच्छा होता है..
Sanjeev Kumar
काश की कोई सुबह ऐसा आए तुम मेरे साथ हो और एक एक चाय हो जाए 🌹 ©Sanjeev Kumar #GingerTea चाय की स्वाद महबूब की याद
MohiTRocK F44
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- राज नेता बना दूँ अगर तुम कहो । तख़्त ये भी दिला दूँ अगर तुम कहो ।। वंश हो तुम हमारा तुम्हारे लिए । जान अपनी लुटा दूँ अगर तुम कहो ।। लूटा कैसे है आवाम को मैं यहाँ । राज़ सारे बता दूँ अगर तुम कहो ।। वोट सारे मिलेंगे तुम्हें ही सुनों । बात लिख के दिला दूँ अगर तुम कहो ।। काम थोड़ा करूँ और चर्चा बहुत । नाम ऐसे उठा दूँ अगर तुम कहो ।। गाँव घर को जला सेंक दूँ रोटियां । स्वाद उनका चखा दूँ अगर तुम कहो ।। लड़ पड़ेंगे सभी मूर्ख है ये प्रखर । एक ट्रेलर दिखा दूँ अगर तुम कहो ।। ०३/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- राज नेता बना दूँ अगर तुम कहो । तख़्त ये भी दिला दूँ अगर तुम कहो ।।