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durgesh ujiyal
मिले रोजगार तो तेरे शहर को आजायेगे हम की मिले रोजगार तो तेरे शहर को आएंगे हम कमबख्त बेरोजगारी ने दूर किए बैठे हैं 🌼 ©durgesh ujiyal (GuRI) #बेरोजगार
पूर्वार्थ
खाली कंधों पर थोड़ा सा भार चाहिए बेरोजगार हूँ साहब रोजगार चाहिए जेब में पैसे नहीं हैं डिग्री लिए फिरता हूँ दिनोदिन अपनी नजरों में गिरता हूँ. कामयाबी के घर में खुले किवाड़ चाहिए बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए टेलेंट की कमी नहीं हैं भारत की सड़कों पर दुनिया बदल देगे भरोसा करो इन लड़कों पर लिखते लिखते मेरी कलम तक घिस गई नौकरी की प्रक्रिया में अब सुधार चाहिए बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए दिन रात करके मेहनत बहुत करता हूँ सुखी रोटी खाकर ही चैन से पेट भरता हूँ भ्रष्टाचार से लोग खूब नौकरी पा रहे हैं रिश्वत की कमाई खूब मजे से खा रहे है. नौकरी पाने के लिए यहाँ जुगाड़ चाहिए बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए ©पूर्वार्थ #बेरोजगार
Mohit Dadhich
3000-3500 चिरागों को हवाओं में उछाला जा रहा है हवाओं पर भी रॉब डाला जा रहा है अरे हम ही तो बुनियाद है युवा भारत की और आज हमें ही बेरोजगार की उपाधि से नवाजा जा रहा हैं। बेरोजगार
Abhit khudarvi
जो आप खुद को खुदा समझते हो ओर हर बात में अपने झूठे कसीदे पढ़ते हो। ऐसा नही है कि हम समझते नही है पूरे शहर को इल्म है इस हालात का पर खामोस सब कुछ कहते नही है। बांट धर्म के बवंडर में जो आप खेल रहे हैं गलती हमने ही किया था जो आपको झेल रहे है। वक्क्त आने दो हम आपको आईना दिखायँगे ओर जितना ऊपर आप समझते है खुद को हम उतना नीचे गिरायँगे। ऐसा उत्पात मचेगा आप त्राहिमाम हो जायँगे और हर क्रोध एक ज्वाला बनेगा तब आपको आपकी अवकात दिखायँगे। #बेरोजगार
भगवान ukpedia
#Pehlealfaaz संघर्षों की लहरें नहीं, शांति का कगार लिखता हूँ, चमचमाते शहर नहीं, अंधकार का पहाड़ लिखता हूँ, ताजा समाचार नहीं, रात्रि छप जाने वाला अखबार लिखता हूँ, सपनों की कब्र पर महिनान्त मिलने वाली पगार लिखता हूँ, आज मैं बेगार लिखता हूँ.. प्रगति की मिश्री नहीं, ठप पड़ा कारोबार लिखता हूँ, बेखौफ गुनहगार और खौफजदा थानेदार लिखता हूँ, स्थिर मजदूर और गतिशील ठेकेदार लिखता हूँ, नीति का नवाचार नहीं, राजनीति का प्रतिकार लिखता हूँ, युवा हृदय के धधकते अंगार लिखता हूँ, आज मैं सरकार नहीं, बेरोजगार लिखता हूँ, आज मैं बेगार लिखता हूँ... #बेरोजगार
पूर्वार्थ
खाली कंधों पर थोड़ा सा भार चाहिए बेरोजगार हूँ साहब रोजगार चाहिए जेब में पैसे नहीं हैं डिग्री लिए फिरता हूँ दिनोदिन अपनी नजरों में गिरता हूँ. कामयाबी के घर में खुले किवाड़ चाहिए बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए टेलेंट की कमी नहीं हैं भारत की सड़कों पर दुनिया बदल देगे भरोसा करो इन लड़कों पर लिखते लिखते मेरी कलम तक घिस गई नौकरी की प्रक्रिया में अब सुधार चाहिए बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए दिन रात करके मेहनत बहुत करता हूँ सुखी रोटी खाकर ही चैन से पेट भरता हूँ भ्रष्टाचार से लोग खूब नौकरी पा रहे हैं रिश्वत की कमाई खूब मजे से खा रहे है. नौकरी पाने के लिए यहाँ जुगाड़ चाहिए बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए ©पूर्वार्थ #बेरोजगार