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pratibha pahuja
Unsplash कभी हार मत मानो, क्योंकि आप नहीं जानते कि अगली कोशिश कितनी कामयाब हो सकती है| ©pratibha pahuja #Book#motivational#Book #koshish#kamyab#
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read moreVIMALESH YADAV
Unsplash The Hindu Akhabar ka Itihas वर्ष 1878 में मद्रा स हा ई को र्ट की जजों की बेंच में सर टी मुथुस्वा मी अय्यर को , शामिल करने के खिलाफ एंलो इंडियन अखबार विरोध कर रहा था । इस विरोध के खिलाफ कानून की पढ़ाई करने वाले चार छात्रों और दो शिक्षकों ने चेन्नई से साप्ताहिक पत्रिका द हिंदू अखबार की शुरुआत की इस अखबार के संपादक जी . सुब्रमण्यम अय्यर और मैनेजिंग डायरेक्टर एम.वी . राघवाचार्य थे। अखबार की शुरुआत केवल एक रुपये 12 आने से हुई 1905 में एस. कस्तूरी ने इसे अपने अंतर्गत ले लिया । तब से इसका संचा लन कस्तूरी परिवार ही कर रहा है। द हिंदू समाचार पत्र का मुख्यालय चेन्नई में है। इसकी शुरुआत साप्ताहिक पत्रिका के रूप में हुई, जो आगे चलकर 1829 में दैनिक समाचार पत्र बन गया । यह भारत के शीर्ष दैनिक अंग्रेजी समाचा र पत्रों में से एक है, जो ज्यादातर दक्षिण भारत में पढ़ा जा ता है। ©VIMALESH YADAV The hindu newspaper ka itihas #Book #TheHindu #vimaleshyadav
The hindu newspaper ka itihas #Book #Thehindu #vimaleshyadav
read moreHetram Hetram
Unsplash book and I have no idea how are u gonna do with me book best culture and language and I have already received ©Hetram Hetram #Book
neelu
Unsplash जो इतिहास लिख रहे हैं उनको यह भी नहीं पता की भविष्य नहीं पढ़ते.. ©neelu #Book
neelu
Unsplash What life says, what people say, what parents say, what a book says... So much of saying.... ©neelu #Book
Narendra kumar
Unsplash बेबाक बोलो पर सही बात बोलो। नहीं तो मुंह मत खोलो। ©Narendra kumar #Book
Rahul Lohat
White प्यार-व्यार दूर होकर मैं आया इस पार, तेरे यार जैसा मीलेगा ना तुझे दूजा यार, तारीख याद कर बेटे था वो इतिहास का, चार चार बानवें , वो दिन था शनिवार।। (04- 04- 1992) Fake बातें करूँ ना मैं बाते करूं सीधी, देसी Hip -Hop की बताऊं तुझे विधि, दिल से इज्जत करूँ मैं तो हर एक नारी की, दिखावे के लिए किसी को कहता ना दीदी।। सुनो, इश्क़ के रास्तों में कभी भी आने का नहीं, किसी ओर के हक का कभी खाने का नहीं, वो चाहने के दावे तुझे करेगी हर रोज, पर वो बुलाती है, मगर जाने का नहीं।। हाँ, देख... यहाँ कौन आया वापस, लिखूं मैं नज़्म तब जलते कागज़, हां, फक्र है मुझे खुद अपनी कला पे, लिखूं ना फिज़ूल, मैं लिखता जायज़।। ©Rahul Lohat Me And My Lonely Kingdom
Me And My Lonely Kingdom
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