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Kavi Himanshu Pandey
वक़्त आया है सुनहरा वर्षों बाद, प्यारे, खुशियाँ मनाओ, अभी ज़ख्मों को दे दो तिलांजलि, प्यारे, खुशियाँ मनाओ! ..... Er. Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey आनंद... #beingoriginal #NojotoHindi
आनंद... #beingoriginal Hindi
read moreShailendra Anand
New Year Resolutions ्भावचित्र ् ्निज विचार ् तुलसा संग ब्याव्ह में, एक हरि भज भयो। गज मन मेरो उदास हे, कै मन करौ उपहास मेरौ। जगत पिता ने, झूठौ रचयौ माया जाल। जण में फासयौ मणक जींवणा, भणक ना लागी पाप पुण्यौ काकाज,। मती हरी गति हरी , घट में रहया प्राण कैणा वास्ते, रमन करै जींव म्हारो खौटौ। जग में ढिंढोरा पीटे में, होऊं लागै तण मण सारौ,। जगत में एक नार एक सार, सबमें एक घट सा प्राण है। मणक बावरा पैला इणमै,, हैरा फैरा कर दीजै। फिर बणी जावा गा,, कणी भी धरमणा,।। जात,धरमणा,उरगा,मुरगा,, पूरखा कूण गपलाये म्हारे देस में,। आज भरौसौणी म्हारे ,, कुण म्हारे मारे काटै बालै दफणावै ।। जौं झूठौ रचयौ माया जाल,, खैलयौ सब धर्मोंणा णे। तथा कथा उपाख्यानों में,, णी रैणौ झूठौ ख्यालौ में।। ्कवि््शैलेन्द़ आनंद ©Shailendra Anand #newyearresolutions भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
#newyearresolutions भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
read moreEshwari
White प्राण गेल्यावरही "नेत्र" चार तास जिवंत असतात या चार तासात आपल्या माणसांची वागणूक पाहून प्राणशून्य देहाला "मरण" म्हणजे खुप मोठं गिफ्ट वाटत असेल..... ईश्वरी ©Eshwari #मरण एक आनंद
#मरण एक आनंद
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रचनादिनांक,,7,, नवम्बर,,2024 वार शनिवार समय सुबह पांच बजे ््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् ्शीर्षक ् ््छाया चित्र में सृष्टि सृजन में एक नज़र में समभाव निष्ठ विचार ऐकत्व एकमेव नियती संसार जगत है,, जींव जंन्तु जीवन में एक सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार प्रेम और विश्वास जगत पिता त्वमेव विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य ज्योति प्रकट हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ्् ्््् नज़र ही नजर में एक बार की जिंदगी को, हमेशा के लिए सम्पूर्ण भारत प्रजातांत्रिक देश की व्यवस्था बेहतर बनाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।। यही नजारा देखता हूं जो नज़र और नजरिया समझ कर खैला ही सुन्दर पल अनमोल घड़ी विलक्षण प्रतिभा को निखारना स्वयं को परखना तन मन को शांति प्रदान करे,, खोटा सिक्का चलता नहीं है,राम नाम सुखदाई है, रावण उसका सबसे बड़ा कारण मजमा लगाकर भोलेनाथ को प्रसन्न कर मदारी बनाकर अयोध्या में जन्म दिवस मंगलमय हो ऐसा खैला रावण ही कर सकता है।। , जो हर कोई ओर कर भी नहीं सकता था,, जो सेतुबंधेश्वररामेश्वरं में जो पंण्डित आचार्य दशानन रावण ही यजमान से दक्षिणा में वो सब लेता है।। जो धरती पर साकार लोक में अपना और अपने वंश का कल्याण ही जग में जगदीश्वरी मां जानकी भुमिपुत्री से सजाया गया,, जिसे हम अच्छे ख्यालात से राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं ।। तो दुनिया में रावण का भी इन्सानी मानस में शास्त्र में,, प्रकाशवान जो सुर्य तेज पुंज सम है।। ्कवि शैलेंद्र आनंद 7,, दिसंबर,,2024,, ©Shailendra Anand भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना दिनांक। 4,, दिसंबर,,2024,, वार बुधवार समय सुबह पांच बजे ्््भाव से काम कर रहे वह आज चेहरे पर मुस्कान लिये अधरो की मुस्कान बने,, यही मेरी स्वरचित कविता भाव में स्थित सोच पर जिंदगी में, एक स्वर पुकार नाद प्रेम शब्द ही आनंद है ््् ््निज विचार ्् ्भावचित्र ् भावचित्र में सनातन वैदिक विचारधारा शाश्वत सत्यता पर ख्यालात अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर सकते हैं ् वर्तमान समय में जिस प्रकार निराकार साकार लोक में भ़मण करते हुए ईश्वर रुप में भारतीय नागरिक मतदाता होने पर एक दिलचस्प बात यह है, देश में अवाम में खुशहाली आती है तो देश आगे बढ़ेगा और आज हमारे देश में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा आयोजित सेवा में समर्पित करिष्यामि नमन वन्दंनीय है,, ्््भावचित्र है मां गौमाता को राष्ट्रीय पशु घोषित कर सकल सनातन विचार सच में एक जीवंत प्रयास करें ,, यही भाव से मेरी स्वरचित रचना में मालवी भाषा में, कुछ लिखने का प्रयास किया गया है ्शीर्षक ् मनुज जणम जोणि में धरम करम का रोणा में, रौवे जींव जगत का मैला ढोने लाग्या रै््।।1।। ।म्हणे मनुज जणम पायोजी मैंने,, थाके सेवाणी गौवंश गौसेवा में, सजल नयन अश्रुजल से,नहलायो तन मन को।।2।। चौरासी लख जणम जोणि में,, पण मण धण में जींव म्हारो असो लांगे।।3।। माणो गौरक्षधाम प्यारों श्याम सुंदर णे , माखण मिश्री की मटकी फोड़ी, ग्वाल धेनूबाल संग वन में रोटीयां से , माखण सब कुछ,बांटचुटकर खावी जावे।।4।। तण मण जोगण बरसाणा में,, लागी लगण राधिका श्याम में।।5।। मण धण में जींव म्हारो घट में,, लुफ्त है प्राण असो प्यारो लांगे रै।।6।। मण आंन्दणो जाणो माणो,, गौरक्षधामणो में पंछी बणके, रचिया बसिया चुगणा लाग्या।।7।। प्रेम भक्ति का दाणा चुगिणे ,, चाल्या अपणा अपणा घोंसला में।।8।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ् 4, दिसंबर 2024,, ©Shailendra Anand भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना दिनांक 3 दिसम्बर 2024 वार मंगलवार समय सुबह दस बजे ््भाव रस से भावचित्र ्् ्निज विचार ् ्््छाया चित्र में दिखाया गया जिसे हम इस नश्वर शरीर में प्राण वायु और पंचतत्व से बना हुआ प्राणतत्व में माया मोह में फंसे हुए जीवन में कर्मलीला कर्मशील नायक बम्हदेव वरदानित भाव है क्या देव असुर, यक्ष, किन्नर, गन्धर्व, मनुज देह है प्राण गंवाए है मारिच असूर सर्वग्य भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता कोटीश्यं प्रमाणितं ब़म्हकर्मसाक्ष्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम है ्् ््् ,,निज मानस स्वरचित है भावचित्र स्वज्ञान है,, ़्् कंचन मृग मारिच असूर,मन हरण, सियाजानकी रघुराज लीला करत ,मारिचप्रान अधार करंहि,, लखन राम राम उच्चारण ही हरण,शरण, दासहनुं््यमदूत शोकविनाशमं काल है,।। छल माया मोह ््मद सब धर्मों में, भेद नहीं भाव नहीं है, सब कर्म भूमि पर जातक जींवजीवाश्म प्राणी में , प्राण वायु सब कुछ एक है,, ््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्् 3,, दिसंबर 2024,, ©Shailendra Anand भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना दिनांक,1, दिसंबर 2024,, वार रविवार समय सुबह पांच बजे ्््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् ््शीर्षक ्् ्््आंतकवाद क्या है और वह किस अंन्दाज में फलता फूलता है,, उस पर देश और दुनिया भर में एक अंकूश बहुत जरूरी प्रयास होना , मानव सभ्यता संस्कृति के लिए सम्पूर्ण विश्व में सबसे अधिक प्रभावित करती है निजविचार ्््््् प्रिय मित्र,, सादर वन्दे, आंतकवाद किसे कहते हैं ्् आतंक से आत्ममंथन तक सामान्य रूप से जोअपराध अपराधी के चाल चरित्र से जो चौकस रहते मुस्तैद होकर लक्ष्य विद्रोह ,खौफ, भय, दहशत, मानव जीवन में जिसने भी फैलाया उसका तात्कालिक मकसद अराजकता और दमनकारी और अपने धर्म और नीति नियत पर अक़ामकता से घात प्रतिघात संघर्ष का रुप धारण जिस किसी का विरोध करने वाले राजसत्ता विरोध ही जनमानस में खतरा बन जाना ही आतंकवाद कहते हैं ।। जो उस अपराध में डुबता है वह आतंकवादी कहलाता है ।। अपराधी सिर्फ अपराधी होता है।। माना कि एक वर्ग विशेष समुह के लोग अधिकांश देश भक्त होते हैं।। ठीक विपरीत एक वर्ग विशेष समुह समाज का के लोग विश्व में अधिकांश साम्यवादी विचारधारा आक़ोश खौफ दहशत के साथ और समर्पित होकर अपने कर्म लक्ष्य पर मर मिट जाता है।। यही जस्बा विद्रोह बन जाता है।। वही आगे चलकर अफगानिस्तान में शासक वर्ग बनकर राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित देश का अंग बन जाता है।।््् ््््््निजविचार ््् ््् यह प्रक्रियाओं से जन्मा विचार सच में एक त्रासदी है ् ््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 1, दिसंबर 2024 कवि शैलेंद्र आनंद,, 1,, दिसंबर 2024,, ©Shailendra Anand मोटिवेशनल कोट्स समस्याओं पर कवि शैलेंद्र आनंद
मोटिवेशनल कोट्स समस्याओं पर कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना दिनांक,,28,,11,,2024 वार,, गुरुवार समय,, सुबह पांच बजे ्््भावचित्र ्् ््््निज विचार ्् ्््शीर्षक ््् ््ये मोहब्बत में दिल से, जन्मा ये आत्मप्रेम का मन्ज़रनामा््््रचना्््भावचित्र ््् ््ये मोहब्बत और दिल से, जन्मा आत्म मन्ज़रनामा्््् वाह बहुत खूब जनाब ने फ़रमाया है,, यह दिल बाजार से उठकर, किसी नक्काशी वाले के हाथ पत्थर के बुत में, हथौड़े छिनी और उस पत्थर के बुत में समा गई।। वो मोहब्ब्त जो निकलती भी नहीं, और मेरे घर आंगन में किराये के,, इस दिल के दरवाजे पर दस्तक दे चुकी है ।। अब बताओ मैं करु तो क्या करु, ,,हरुफ से स्वरुप में विराज रही है, प्रेम शब्द की शब्दावली से धड़कने बनकर, दिलों में बारुद लेकर विस्फोट कर चुकी हैं ,, अब जाय तो मस्तिष्क रुपी चक्की में पीस पीस कर देख रहा हूं।। मैं इस पत्थर की बेजान शिला मैं शैलेंद्र जो पत्थर ही मेरा शाब्दिक अर्थ, मौलिक कल्पना में ही आनंद है,, जो कला संस्कृति साहित्य में , एक जीवंत कलाकृति होती है।। यही है मोहब्बत का मन्ज़रनामा, जो हर पल हर क्षण हरहाल में,, अपने वज़ू में इल्म नूरानी मोज्जां , चमत्कार से कम नहीं है।। हम तो बस एक फानूस है, किसी की मोहब्बत भरी नज़रों के,, आप मेरे दिल का आयना नजरिया है,।। यह दरिया दिल के समन्दर में,, मिले ना मिले ये मोहब्बत, ये मन्ज़रनामाये दिलों की पालकी है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् 28,,, नवम्बर 2024,, ©Shailendra Anand हिंदी शायरी ्््भावचित्र ््््् कवि शैलेंद्र आनंद
हिंदी शायरी ्््भावचित्र ््््् कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना दिनांक 27,,11,,2024,, वार बुधवार समय सुबह पांच बजे ,,,भावचित्र ््् ्््निज विचार ््््् ््््््शीर्षक ््््् ्््मै गध पद कहानीकार कथा साहित्य कथन सच्चाई का सजग प्रहरी हूं लेखक उदयीमान प्राशु वर्मा ््प्रांशु वर्मा ््भावचित्र ्् ््निज विचार ् ् गध पद कहानीकार और संस्कृति साहित्य में एक लफ्ज़ निकले नयन सजल हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है,, आज चेहरे पर शिंकन है और चिंतन शिविर में मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता से है ।। जो भारत प्रजातांत्रिक देश की पहल और विश्व में गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित शांति वार्ता प्रस्ताव लेकर देश के प्रमुख दुनिया में यात्रा करने वाले भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व करते हुए देश का प्रधानमंत्री अनेक राष्ट्रों का दौरा कर चुके हैं,, लेकिन अभी तक कोई भी रिश्ता अमूमन कामयाबी के शिखर पर नहीं पहुंचा है।। ,,प्रयास में कयास और अपने विचार और विचारों का आदान प्रदान समसामयिक घटनाचक्र से और अधिक निखारा संवारा जा सकता है,,।। जैसे विश्व में पुर्व सरकारों ने रसायनिक हथियार और विस्फोटक बैलेस्टिक मिसाइल और अन्य उपकरणों पर निशस्त्रीकरण के समर्थन में की राष्ट्र एकजूट थे ,, उस समय की तत्कालीन प्रतिनिधित्व मंण्डल ने इस दिशा में काफी कुछ किया गया था।। चाहे तो वर्तमान समय में यह सरकार भी अपने राजनीतिक परिदृश्य अनुसार रीति नीति में बदलाव कर नये समीकरण से छोटे राष्ट्रों को एकजुट करने वाले अच्छे प्रयास हो सकते हैं,, यही समय की मांग है जो तत्कालीन प्रतिनिधित्व मंण्डल भारतीय सरकार अगर अमल में लाती है, तो देश को आगे बढ़ाने में सहायक हो सकता है।। यही सही समय की मांग है और भारत देश महान है,, कल्पना कीजिए कि असल में आज विश्व की महाशक्ति में भारत प्रजातांत्रिक प्रणाली का और रीति नीति नियत परिधि समय का आयना नजरिया की कायल हैं।। ््कवि््शैलेन्द़ आनंद ् 27,,11,,2024 ©Shailendra Anand मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स कवि शैलेंद्र आनंद
मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना दिनांक,,26,,11,,2024,,, वार मंगलवार समय,, सुबह पांच बजे ्््भावचित्र ््् ्््निज विचार ्् ्््छाया चित्र बहुत सुंदर है जो बिल्कुल भी रंग बिरंगी सिनहरियो से सजाया गया कला मंच पर जिंदगी के ख्यालों में खोया हुआ जमीर बड़ी बात है जिन्दगी ही एक ऐसा आभुषण कहलाता है समझो बांटो नादान कभी नहीं देखा तो समझिए आपने कुछ पाया कुछ खोया हुआ बोला गया कभी अकारथ नहीं गया तो दुनिया सुनती हैं ,, आनेवाली पीढ़ी भी इन्सानी मानस को परखना ही जिंदगी है््् ्््भावचित्र ्््् एक प्रश्न प्रतिप्रश्न प्रशंसक सनातन विचार सच में बहुत ही सुन्दर और मजबूत है,, मेरा सवाल समझ में यह है परमात्मा ने अर्वाचीन प्राचीन भारतीय इतिहास पुराण कथा साहित्य कथन सच्चाई है,, जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है अगर मगर तथाकथित सभ्य सुसंस्कृत संगठनों ने अपना अभिमत आत्म धर्म कर्म सोच में पड़ गए हैं ।। कि सनातन विचार सच में कमजोर हो रहा है वो कैसे और क्यों ्््भावचित्र निज विचार है,, जब सनातन विचार सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्कार प्राचीन शास्त्रों का एक कल्पवृक्ष है जो बिल्कुल कपिला गाय की तरह है।। जब एक परिवार सनातन वैदिक विचारधारा है,, और सनातन विचार कर्ममंत्र यंत्र देवत्व कलाओं से परिपूर्ण प्रधान है ।। ऐसी स्थिति में जब वैचारिक रूप से जब परिवार में असहमति जताई गई हो जब प्रबल विरोध किया गया ईश्वर सम्बंधित अनेकानेक अध्यात्मिक दर्शन कल्याण ज्ञान दर्शन का सृजन उदय हुआ है।। जो कभी आपके सदविचार अमल करते थे आज नहीं करते है,, वो निर्राकार आकारहीन ऐकेश्वर ईश्वर में विश्वास करते हैं।। और मूर्ति पूजा बूतपूजा नहीं करते है,, कुछ वन जंगल पहाड़ धरती को अपना आराध्य देव अर्चनंमाधवं मानते हैं।। ऐसे असंख्य लोगों को हम दिलों से कहां रखेंगे,, या उन्हें कौन सा जीवन में एक जीवंत प्रयास स्थान दे रहे हैं।। आप चाहें तो कुछ लगन से कार्य कर देख रहा है ईश्वर सत्य ही जिंदगी में एक सब धर्मों का निचोड़ प्रेरणा स्त्रोत बना हुआ एक दस्तावेज उदगम स्त्रोत बना हुआ है।। ्््निजधिचार ्् ्््भावचित्र ्् ्््््कवि शैलेंद्र आनंद 26,,11,,2024,,, ©Shailendra Anand मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
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